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उत्तराखंड में हर 8 घंटे में सड़क दुर्घटना से औसत एक मौत! दुर्घटना की गंभीरता की दर राष्ट्रीय औसत से दोगुना: नौटियाल

हाल की अल्मोड़ा दुर्घटना के मामले में निचले स्तर के अधिकारियों को निलंबित करना सिर्फ एक तात्कालिक और अपरिपक्व निर्णय है, जो केवल सुर्खियों को मैनेज करने के लिए है।

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Almora Accident: सोमवार सुबह अल्मोड़ा ज़िले में हुई भीषण बस दुर्घटना ने एक बार फिर सबको झकझोर कर रख दिया है। 40 सीटर ओवरलोडेड बस में 55 से ज़्यादा सवारियां थी और हादसे ने एक झटके में 36 ज़िंदगियाँ लील दी। जबकि कई घायल ज़िंदगी की जंग लड़ रहे हैं। इस हादसे के बाद देश भर से प्रतिक्रिया आईं हैं और राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री, रक्षामंत्री और गृहमंत्री सहित उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री व अन्य ने गहरी शोक संवेदनाएँ प्रकट की हैं। मुख्यमंत्री ने मुआवज़े के ऐलान के साथ ही संबंधित क्षेत्र के एआरटीओ को सस्पेंड भी कर दिया है लेकिन पहाड़ के मार्गों पर आये दिन होते हादसों और बेपरवाह प्रशासन को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
देहरादून स्थित एसडीसी फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल ने भी इस हादसे के बाद राज्य में सड़क दुर्घटनाओं के आँकड़ों के साथ कुछ गंभीर सवाल और चिंताएं प्रकट की हैं। पढ़िए उन्हीं के शब्दों में-
उत्तराखंड में एक और दर्दनाक सड़क दुर्घटना में 36 लोगों की मौत होना हृदय विदारक है। एक राज्य के रूप में, हम हर साल करीब 1,000 लोगों को सड़क दुर्घटनाओं में खोते हैं। इसका मतलब है कि हमारे राज्य में औसत लगभग हर 8 घंटे में सड़क दुर्घटना से एक व्यक्ति की मृत्यु होती है। यह याद रखना जरूरी है कि घायलों की संख्या उन लोगों से कहीं अधिक है जो सड़क दुर्घटनाओं में मारे जाते हैं।
यह उल्लेखनीय है कि दुर्घटना की गंभीरता की दर, यानी 100 दुर्घटनाओं में मृतकों की संख्या, उत्तराखंड में राष्ट्रीय औसत की तुलना में काफी अधिक है। उत्तराखंड परिवहन विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध 2018 से 2022 की अवधि के लिए नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, राज्य में दुर्घटना की गंभीरता की दर 2018 में 71.3 के उच्चतम स्तर से 2021 में 58.36 के निम्नतम स्तर तक गई है। यह अत्यंत चिंताजनक है कि हमारी दुर्घटना की गंभीरता की दर राष्ट्रीय औसत से दोगुनी है।
 यह भी निराशाजनक है कि न तो भाजपा और न ही कांग्रेस, किसी भी राज्य सरकार ने उत्तराखंड में सड़क दुर्घटनाओं के मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया है।
हाल की अल्मोड़ा दुर्घटना के मामले में निचले स्तर के अधिकारियों को निलंबित करना सिर्फ एक तात्कालिक और अपरिपक्व निर्णय है, जो केवल सुर्खियों को मैनेज करने के लिए है।
जब तक राज्य सरकार और इसके विभिन्न विभाग 4E के सिद्धांतों – इंजीनियरिंग, इमरजेंसी केयर, एनफोर्समेंट और एजुकेशन – पर गंभीरता से काम नहीं करेंगे, तब तक हम और अधिक जीवन खोते रहेंगे। सड़क सुरक्षा के बारे में सभी नागरिकों, ड्राइवरों और टूरिस्ट्स को जागरूक करना बेहद जरूरी है।
सड़क सुरक्षा की संस्कृति विकसित करना एक भगीरथ प्रयास है, जिसके लिए सभी विभागों और सभी हितधारकों की सामूहिक कोशिशों की आवश्यकता है; यह केवल पुलिस की जिम्मेदारी नहीं हो सकती।
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The News Adda

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