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Dehradun: उत्तराखंड में ज़मीनों की ख़रीद फरोख्त रोकने को लेकर राज्य की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने सख़्त भू कानून संशोधन विधेयक 2025 विधानसभा से पारित कराया है। लेकिन नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने विधानसभा में ज़मीनों को औने पौने दामों पर किराए पर देकर राज्य को अरबों रुपये के राजस्व नुक़सान का आरोप लगाया है।
नेता प्रतिपक्ष आर्य ने आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य की बेशकीमती सम्पत्तियों को अपने करीबियों को कौड़ियों के भाव लुटाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसके बहुत उदाहरण हैं जिनमें से एक वे आज सदन में रख रहे हैं। आर्य ने कहा कि हिल स्टेशन मसूरी में उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद की 172 एकड़ जमीन थी। इस जमीन में से 142 एकड़ भूमि ( 762 बीघा या 2862 नाली या 5744566 वर्ग मीटर ) को उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद के उप कार्यकारी अधिकारी ने ‘राजस एरो स्पोर्टस एण्ड एडवैंचर प्राईवेट लिमिटेड’ को केवल 1 करोड़ रुपए सालाना किराए दे दिया है। बताते हैं कि मौके पर कंपनी ने 1000 बीघा जमीन कब्जाई है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि देहरादून के राजपुर रोड पर एक दुकान भी 1 करोड़ साल के किराये पर नहीं मिल रही है और सरकार मसूरी जैसे हिल स्टेशन की अपनी बेशकीमती 1000 बीघा जमीन मात्र एक करोड़ रुपए सालाना किराए पर किसी कम्पनी को ऐसे ही तो नहीं दे रही है।
यशपाल आर्य ने कहा कि ये उत्तराखंड की जनता के साथ बहुत बड़ा धोखा है, ये जनता के साथ बहुत बड़ा घोटाला है। आर्य ने कहा कि कब्जे वाले हिस्से को छोड़ भी दे तो इस 762 बीघा भूमि यानी 5744566 वर्ग मीटर भूमि का सरकारी रेट से मूल्य आज के समय 2757,91,71,840 रुपया यानी करीब 2757 करोड़ रुपए है।
उन्होंने कहा कि जमीन का यह रेट सरकारी सर्किल रेट के अनुसार है।व्यवसायिक जमीन का वास्तविक बाजार मूल्य आम तौर पर इसके चार गुना और व्यवसायिक या पर्यटक स्थलों पर 10 गुना तक होता है। यानी ये जमीन 27 हजार करोड़ तक के मूल्य की हो सकती थी।
यशपाल आर्य ने यह भी कहा कि जिस भूमि को 15 साल के लिए 1 करोड़ सालाना किराए में दिया गया उस भूमि को देने से पहले उस पर एशियाई विकास बैंक से 23 करोड़ रुपए कर्ज लेकर उसे विकसित किया गया था। आर्य ने पूछा कि ये तो सरकार और उत्तराखण्ड पर्यटन विभाग के काबिल अधिकारी ही बता सकते हैं कि कर्जे के 23 करोड़ खर्च कर जमीन को सजा-धजा कर उसकी सारी कमियां दूर कर 15 साल के लिए राज्य की अरबों की जमीन देकर किराए के रुप में 15 करोड़ कमाने का ये कौन सा विकास का मॉडल है।
नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाते हुए कहा कि उस टेंडर की सारी प्रक्रिया ही एक कम्पनी को लाभ पंहुचाने के लिए बनायी गयी है। तीनों कम्पनियों के ‘‘बुक आफ एकांउटस ’’ के एक ही कार्यालय एक ही पते पर हैं। टेंडर डालने वाली इन तीनों पारिवारिक कपंनियों में से एक ‘‘ राजस एरो स्पोर्टस एण्ड एडवैंचर प्राईवेट लिमिटेड’’ ही सभी शर्तों को पूरा करती थी। टेंडर डालने वाली बाकी दो नई कम्पनियां कोई शर्तें पूरा नहीं करती थी। ये दोनों कम्पनियां किसी न किसी रुप में राजस एरो स्पोर्टस एण्ड एडवैंचर प्राईवेट लिमिटेड से जुड़ी थी।
आरोप लगाया कि टेंडर के दिन टेंडर की शर्तों में परिवर्तन कर दो अयोग्य कम्पनियों को टेंडर में भाग लेने की अनुमति देना उत्तराखण्ड सरकार के वित्त अनुभाग- 7 के 14 जुलाई 2017 की उत्तराखण्ड अधिप्राप्ति (प्रक्योरमैंट) नियमावली 2017 का उल्लंघन था।
उन्होंने कहा कि इस तरह उत्तराखण्ड की मसूरी जैसे हिल स्टेशन में खरबों की जमीन एक बेनामी सी कम्पनी जिसका संबध उत्तराखण्ड में जमीनों के सबसे बड़े सौदागरों में से एक ग्रुप से है, को उत्तराखण्ड सरकार के काबिल अधिकारियों ने पर्यटन विकास के नाम पर दे दी।
यशपाल आर्य ने आरोप लगाया कि इस जमीन को कब्जे में लेने के बाद इस दुर्दांत कम्पनी ने सबसे पहले इस जमीन से साथ लगी जमीनों और मकानों तक जाने वाले 200 साल से भी पुराने रास्ते को बंद कर दिया और इस रास्ते को खुलवाने के लिए स्थानीय लोग आज भी संघर्ष कर रहे हैं। कंपनी तीन घंटे की पार्किग के लिए ही 400 रुपए वसूलती है और इस सड़क पर चलने के लिए 200 रुपए प्रति व्यक्ति लेती है।
ज़ाहिर है नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने ऐसे समय मसूरी में अरबों रुपए की सरकारी जमीन को कौड़ियों के भाव चहेती कंपनी को पंद्रह साल के लिए पट्टे पर का आरोप लगाया है जब सरकार सख़्त भू कानून संशोधन विधेयक पारित कराने की वाहवाही लूट रही है। सवाल है कि क्या नेता प्रतिपक्ष के आरोपों के बाद मसूरी की सरकारी जमीन को महज़ एक करोड़ सालाना किराए पर देने को लेकर उठ रहे सवालों के जवाब आयेंगे?