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यूकॉस्ट द्वारा प्रदेश स्तर पर प्रथम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी प्रीमियर लीग का आयोजन, सीएम धामी का विज़न धरातल पर उतारते प्रो. पंत

यूकॉस्ट द्वारा आयोजित प्रथम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी प्रीमियर लीग में पौड़ी जिले की टीम प्रथम, चंपावत उपविजेता व रुद्रप्रयाग की टीम तृतीय स्थान पर रही।

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देहरादून। उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र (यूकॉस्ट) द्वारा प्रदेश में वैज्ञानिक दृष्टिकोण, नवाचार तथा तकनीकी दक्षता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ‘प्रथम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी प्रीमियर लीग’ का भव्य आयोजन किया गया। इस राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में प्रदेश के चयनित 13 जनपदों से आए छात्र-छात्राओं ने अपनी-अपनी टीमों के रूप में उत्साहपूर्वक प्रतिभाग किया।

प्रतियोगिता की शुरुआत विद्यालय स्तर से होकर ब्लॉक स्तर तथा तदुपरांत जनपद स्तर तक हुई, जिसके पश्चात चयनित टीमों ने राज्य स्तरीय मंच पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। प्रतियोगिता के दौरान विज्ञान, प्रौद्योगिकी, नवाचार, शोध एवं समस्या समाधान से संबंधित कुल सात विभिन्न चरणों (राउंड्स) का आयोजन किया गया।

श्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए जनपद पौड़ी की टीम प्रथम स्थान पर रही, जिसमें गणेश, आदित्य, मोहित एवं आशीष ने उत्कृष्ट प्रतिभा का प्रदर्शन किया। जनपद चंपावत की टीम द्वितीय (उपविजेता) स्थान पर रही, जहाँ युवराज, गार्गी, सचिन और निकिता ने अपने कौशल से सभी को प्रभावित किया। वहीं जनपद रुद्रप्रयाग की टीम ने तृतीय स्थान प्राप्त किया, जिसमें मोहित कुमार, स्नेहा, सपना और दीक्षांत शामिल रहे।

कार्यक्रम के समापन अवसर पर राज्यपाल मेजर लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि.) द्वारा प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाली जनपद की टीमों को ट्रॉफी, मोमेंटो, प्रमाण-पत्र एवं पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया गया। राज्यपाल ने छात्रों को भविष्य में और अधिक नवाचारी एवं सृजनात्मक कार्य करने हेतु प्रेरित करते हुए कहा कि यही युवा देश के वैज्ञानिक भविष्य की मजबूत नींव हैं।

कार्यक्रम का औपचारिक उद्घाटन 29 नवंबर को विधायक मुन्ना सिंह चौहान द्वारा किया गया। उन्होंने अपने संबोधन में विद्यार्थियों के भीतर वैज्ञानिक सोच (Scientific Temperament) के विकास पर विशेष जोर देते हुए कहा कि आज के युग में केवल किताबी ज्ञान नहीं, बल्कि तार्किक सोच, प्रयोगात्मक दृष्टिकोण एवं वैज्ञानिक दृष्टि का होना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजन विद्यार्थियों में जिज्ञासा, नवाचार तथा शोध की भावना को मजबूत करते हैं और उन्हें भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करते हैं।

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में एवरेस्ट विजेता कर्नल नीरज राणा एवं ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर नरेंद्र सिंह उपस्थित रहे। कर्नल नीरज राणा ने विद्यार्थियों के साथ अपने प्रेरणादायक अनुभव साझा करते हुए बताया कि किस प्रकार कठिन परिस्थितियों में भी धैर्य, आत्मविश्वास और निरंतर प्रयास से असंभव को भी संभव किया जा सकता है।

यूकॉस्ट के वैज्ञानिक एवं कार्यक्रम संयोजक डॉ. ओमप्रकाश नौटियाल ने कहा कि यह आयोजन विद्यार्थियों की वैज्ञानिक प्रतिभा को पहचानने एवं तराशने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है। उत्तराखंड के दूरस्थ और पर्वतीय क्षेत्रों में भी प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है, आवश्यकता है तो केवल सही मंच और दिशा की, जिसे यूकास्ट द्वारा निरंतर प्रदान किया जा रहा है।

वहीं यूकॉस्ट के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पंत ने कहा कि आज विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी ही किसी भी राज्य और देश के विकास का आधार हैं। उत्तराखंड आपदा की दृष्टि से संवेदनशील राज्य है, इसलिए यहां के विद्यार्थियों को आपदा प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण संरक्षण एवं नवाचार आधारित समाधान के लिए विशेष रूप से तैयार करना अत्यंत आवश्यक है।

कार्यक्रम में उपस्थित विद्यार्थियों, शिक्षकों एवं अतिथियों में विशेष उत्साह देखने को मिला। सभी ने इस आयोजन को अत्यंत सफल एवं प्रेरणादायक बताते हुए भविष्य में भी इस प्रकार के कार्यक्रमों की निरंतरता पर बल दिया।

महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पंत ने तीन दिवसीय समारोह की उपलब्धियां और एक्सपर्ट्स से मिले सुझाव गिनाए

डब्ल्यूएसडीएम 2025 के तीसरे एवं अंतिम दिन नवाचार, समावेशन और आपदा प्रबंधन विषयों पर केंद्रित सत्रों का आयोजन किया गया। समापन समारोह के मुख्य अतिथि राज्यपाल उत्तराखंड लेफ्टिनेंट जनरल (रि) गुरमीत सिंह ने कहा कि विश्व आपदा प्रबंधन सम्मेलन एक आयोजन नहीं अपितु आपदा प्रबंधन और मानवता की सेवा के लिए एक आन्दोलन है। उन्होंने कहा कि आपदा के बाद आकलन के बजाय हमें पूर्व चेतावनी और प्राकृतिक सुरक्षा प्रणालियों की बेहतर समझ विकसित करनी होगी। उन्होंने कहा आपदाओं का समाधान राजनीतिक इच्छाशक्ति, नवाचार और कृत्रिम बुद्धिमत्ता तथा आधुनिक तकनीकों के संतुलित प्रयोग से निकलेगा। उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन संतुलन और स्थिरता का विज्ञान है। इस अवसर पर उन्होंने विज्ञान सम्मेलन के विजेताओं को युवा वैज्ञानिक सम्मान से सम्मानित भी किया। साथ ही राज्य के 95 ब्लॉक से प्रीमियर लीग में चुनकर आए विजेताओं को भी सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर यूकॉस्ट के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पंत ने तीन दिवसीय समारोह की उपलब्धियां, सुझावों से सबको अवगत कराया। उन्होंने कहा कि 28 नवंबर को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सिलक्यारा विजय दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की है। साथ ही उन्होंने विश्व आपदा प्रबंधन सम्मेलन के देहरादून डिक्लेरेशन को पढ़ा । समारोह के अतिथि पद्मभूषण डॉ अनिल प्रकाश जोशी ने सुझाव देते हुए कहा कि विगत दशक के जलवायु परिवर्तन के आँकड़ों का अध्ययन किया जाना चाहिए और इससे हमने क्या सीखा उसके अनुरूप उचित भविष्य की योजनाएं तैयार की जानी चाहिए।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के प्रमुख एवं सदस्य राजेंद्र सिंह ने आपदा प्राधिकरण द्वारा तैयार एप्लीकेशन सचेत और आपदा मित्र की जानकारी दी और प्राधिकरण द्वारा इस क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों से सबको अवगत कराया।
कार्यक्रम के समापन पर ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय के अध्यक्ष प्रो. कमल घनसाला से सभी का धन्यवाद करते हुए कहा कि हमें सहयोग और सहभागिता के साथ आगे बढ़ना होगा और समुदायों को सशक्त बनाना होगा। इस अवसर पर देश-विदेश के कई अधिकारी, विशेषज्ञ, वैज्ञानिक, शोधार्थी, राज्य और केन्द्र सरकार के विभिन्न विभागों के प्रतिनिधि शामिल रहे। इस तीन दिवसीय आयोजन में विश्व के अनेक देशों सहित देशभर के 350 से अधिक वक्ताओं और हर दिन 1500 से अधिक प्रतिभागियों ने प्रतिदिन भाग लिया। पूरे आयोजन में 500 से अधिक शोधपत्र पढ़े गए। तीन दिवसीय डब्ल्यूएसडीएम एवं विज्ञान और प्रौद्योगिकी सम्मेलन में जलवायु-जल-आपदा संबंध, हिमालयी क्षेत्र की पारिस्थितिकी, आपदा प्रबंधन में मीडिया की भूमिका और समावेशी समुदाय सुरक्षा, एस सी एस टी समुदायों की भूमिका जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई।

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