पिथौरागढ़: गुरुवार को हल्द्वानी के रामलीला मैदान में आर्य पिता-पुत्र की घर वापसी के बहाने कांग्रेस ने विजय संकल्प शंखनाद रैली में बड़ी भीड़ जुटाकर सत्ताधारी भाजपा को कड़े मुकाबले का अहसास कराया था। अगले ही दिन शुक्रवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पिथौरागढ़ में चार किलोमीटर लंबा रोड शो निकालकर न केवल कांग्रेस के शक्ति-प्रदर्शन वार पर पलटवार किया बल्कि इस बहाने भाजपा ने अपनी चुनावी ताकत का अहसास भी विरोधियों को करा दिया है। चार किलोमीटर लंबे रोड शो में अपने पैतृक जिले में मुख्यमंत्री धामी की धमक तो दिखी ही साथ ही सीमांत क्षेत्र में भाजपा की चुनावी मशीनरी व तैयारी का अहसास भी हो गया।
दरअसल, मुख्यमंत्री की कुर्सी पर ताजपोशी के बाद पुष्कर सिंह धामी के लिए अपने पैतृक जिले में आ पाना मौसम और दूसरी व्यस्तताओं के चलते मुश्किल हो रहा था। लेकिन शुक्रवार को तसीएम धामी तीन दिवसीय दौरे पर पिथौरागढ़ पहुँचे तो भाजपा काडर में नया जोश दिखाई दिया। ज्ञात हो कि इससे पहले दो बार सीएम के कार्यक्रम मौसम के चलते निरस्त होने से पार्टी कार्यकर्ताओं में मायूसी थी जो सीएम की मौजूदगी पाकर शुक्रवार को काफ़ूर हो गई।
पिथौरागढ़ दौरे में सीएम पुष्कर सिंह धामी शुक्रवार को नैनी सैनी हवाई पट्टी उतरे जहां से रोड शो प्रारंभ हुआ और चार किलोमीटर से अधिक लंबा रोड शो निकला। साथ ही बड़ी तादाद में पार्टी कार्यकर्ताओं ने बाइक रैली निकाली। अपने पैतृक जिले में पहुंचे सीएम पुष्कर सिंह धामी काजनता ने गर्मजोशी से स्वागत किया, तो रोड शो के दौरान ही सीएम धामी लोगों से मिलते रहे और जगह जगह बुज़ुर्गों का आशीर्वाद भी लेते रहे।
भाजपा के रोड शो में जिले की चारों विधानसभा सीटों पिथौरागढ़, डीडीहाट, धारचूला और गंगोलीहाट से कार्यकर्ता जुटे। खास बात यह रही कि युवा सीएम के रोड शो में युवा पार्टी कार्यकर्ताओं की तादाद ज्यादा रही। दरअसल, जिस तरह से काफी समय बाद कांग्रेस ने हल्द्वानी के रामलीला मैदान में यशपाल आर्य और उनके पुत्र संजीव आर्य की कांग्रेस में घर वापसी पर स्वागत में भारी भीड़ जुटाई, अगले ही दिन भाजपा ने पिथौरागढ़ में लंबा रोड शो निकालकर जवाब देने की कोशिश की है।
खास बात यह है कि जिस तरह से जुलाई के शुरू में भाजपा आलाकमान ने युवा मुख्यमंत्री के तौर पर पुष्कर सिंह धामी पर दांव खेलकर वरिष्ठ और अनुभवी प्रतिद्वन्द्वी पूर्व सीएम हरीश रावत को लेकर व्यूहरचना बनाई उस पर अब तक धामी खटीमा के खिलाड़ी खरा उतरते दिख रहे हैं। धामी के सूबे की सत्ता का सिरमौर बनने के बाद टीएसआर राज में आहत-निराश होकर घर बैठा भाजपा काडर अब युवा जोश के साथ सड़क पर जुगलबंदी करता दिख रहा है। साथ ही ‘छठ की छुट्टी तो इगास की सरकारी छुट्टी क्यों नहीं?’ जैसे मुद्दों का धामी जिस सहजता से हल कर रहे, उससे अनुभवी हरदा की पेशानी पर बल पड़ना लाज़िमी है। देवस्थानम बोर्ड जैसे बेहद पेचीदा मसले का हल भी युवा सीएम धामी निकाल कर बैठे हैं, बस पार्टी नेतृत्व के इशारे का इंतजार है। धामी की सहज होकर पेचीदा मुद्दों पर फैसले लेने की कला ने पार्टी के भीतर और बाहर बैठे विरोधियों को दाँतों तले अंगुली दबाने पर मजबूर कर रखा है।
धामी की इसी युवा धमक का असर हालिया एबीपी न्यूज चैनल के मंथली वोटर मूड सर्वे में दिखता है, जिसमें अगले सीएम की च्वाइस के तौर पर अब धामी हरदा से दो-तीन कदम के फ़ासले पर हैं जबकि धामी को सीएम की कुर्सी पर बैठे महज चार माह का वक्त ही गुज़रा है। जाहिर है युवा बनाम अनुभवी की जंग अब रोचक होती जा रही है और हालात की गंभीरता हरदा भी बखूबी समझ रहे होंगे! देखते हैं अगला दांव किसका भारी पड़ता है?