देहरादून: जानें क्यों आज युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिश, कैबिनेट मंत्री डॉ धन सिंह रावत और मुख्य सचिव डॉ एस एस संधू को साथ ले उड़नखटोले से उड़कर आसमानी आफत से आई आपदा के प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण किया। वरना ज़िलाधिकारी तमाम आपदाग्रस्त क्षेत्रों में हालात सामान्य कराने को पसीना बहा ही रहे और जिस अंदाज में मुख्यमंत्री ने ड्रोन उड़ाकर केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्यों का जायज़ा लिया था उसी अंदाज में तमाम जिलों के डीएम आपदाग्रस्त क्षेत्रों में ड्रोन उड़ा देते और सचिवालय से या अपने सरकारी आवास से युवा सीएम हालात का अंदाज लगा लेते।
नाहक ही बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जिलों और विधानसभा क्षेत्रों में प्रवास का मंत्र फ़ूंककर गए! वैसे तो प्रभारी मंत्री भी बनाए जाते हैं लेकिन मंगलवार से लगातार बारिश ने पर्वतीय क्षेत्रों से लेकर मैदानी क्षेत्रों में कहर बरपा रखा है लेकिन कितने प्रभारी मंत्रियों ने जिलों में जाकर प्रवास किया या हालात का ज़ायजा लिया, यह किसी से छिपा नहीं है। अब कहेंगे बीते पूरे हफ्ते विधानसभा का सत्र चला तो कोई पूछे कि जैसे पूर्व मुख्यमंत्री अपने विधानसभा क्षेत्र डोईवाला में खनन के खेल से ध्वस्त हुए रानी पोखरी पुल पर एक ट्विट भर चिन्ता जताकर उत्तरकाशी घूम रहे वैसे ही, मंत्री और विधायक समय निकाल सकते थे। क्या हवाई सर्वे के लिए भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सत्र के समापन का इंतजार करना था!
जब घंटेभर उड़नखटोला उड़ाकर ही हालात की हकीकत समझनी थी तब तो यह कार्य दो-चार दिन पहले भी किया ही जा सकता था? मुख्यमंत्री धामी चाहते तो आपदा राहत मंत्री को दौड़ा सकते थे लोगों की तकलीफ समझने को या किसी दूसरे मंत्री की भी ड्यूटी लगा सकते थे खासतौर पर जिनके विभाग का विधासनभा सत्र में किसी दिन बहुत कार्य न रहा हो।
जबकि दूसरी तरफ कांग्रेस कैंपेन कमांडर हरीश रावत जमीन पर मोर्चा सम्भाले हैं और लगातार खनन के खेल को लेकर सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं।
हरीश रावत ने रविवार को भी डोईवाला के रानी पोखरी में ध्वस्त हुए पुल का मौके पर पहुंचकर जायज़ा लिया और खनन को लेकर सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। हरीश रावत पुष्कर सिंह धामी के हेडलाइन मैनेजमेंट के इतर जमीन पर उन तमाम मुद्दों को उठा रहे जिनसे सरकार की दुखती नस दब रही और सरकार से असंतुष्ट तमाम तबक़ों तक पहुँचकर धामी सरकार के खिलाफ माहौल बनाने में जुटे हुए हैं।
ऐसा लगता है कि मंत्रियों को छोड़िए खुद युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जुलाई के उत्तरकाशी के आपदाग्रस्त क्षेत्रों का दौरा करने के बाद से पहाड़ पर पांव रखने की बजाय पुष्पक विमान या ड्रोन उड़ाने पर ज्यादा भरोसा कर रहे।