
दिल्ली/चंडीगढ़ : ऐसा लगता है कि भले भाजपा और कांग्रेस एक-दूसरे की धुर विरोधी हों लेकिन राजनीतिक नफ़े-नुकसान के लिये दोनों दल एक दूसरे को फ़ॉलो करने से भी परहेज़ नहीं करते हैं। ताजा मामला पंजाब कांग्रेस में मचे कलह-कुरुक्षेत्र से जुड़ा है जहां भाजपा के नक़्शेक़दम पर चलते हुए कांग्रेस भी मुख्यमंत्री बदलती दिख रही है। दरअसल पिछले हफ्ते ही सबने देखा कि कैसे भाजपा ने अचानक विजय रुपाणी को मुख्यमंत्री पद से हटाकर भूपेन्द्र पटेल को मुख्यमंत्री बना दिया। पटेल के साथ विजय रुपाणी के मंत्री भी नहीं रखे गए और मंत्रियों की नई टीम देकर गुजरात में सरकार का एक झटके में पूरा कलेवर और तेवर बदल दिया।
सवाल है कि क्या पंजाब में शाम पांच बजे कांग्रेस भाजपा ने जो गुजरात में किया वही दोहराने जा रही है? क्या मोदी-शाह जिस शैली और स्ट्रैटेजी के साथ चेहरा बदलकर विरोध का एक भी स्वर उबरने का मौका नहीं देते हैं, वैसी सख्ती और समझबूझ आज कांगेस आलाकमान दिखाने की हैसियत रखता है। लेकिन चंडीगढ़ से खबर ऐसी ही आ रही कि कांग्रेस कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह का इस्तीफा माँग लिया है। इंडियन एक्सप्रेस ने एक रिपोर्ट में दावा किया है कि दो दिन पहले पंजाब कांग्रेस के कुछ विधायकों ने सोनिया गांधी को एक कड़ा पत्र लिखा और सीएम अमरिंदर की कार्यशैली पर गंभीर प्रश्न खड़े किए।
बताया जा रहा है कि सीएम अमरिंदर से नाराज 40 विधायकों ने यह चिट्ठी लिखी थी जिसके बाद पार्टी आलाकमान एक्शन में आया है। ज्ञात हो कि 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के 80 विधायक जीतकर आए थे और सीएम कैप्टेन अमरिंदर सिंह को सरकार का ‘सरदार’ बनाया गया था। लेकिन कैप्टेन और सिद्धू की अदावत ने अगले साल होने वाले चुनाव से पहले पार्टी नेतृत्व को गंभीर संकट में डाल रखा है। कांग्रेस नेतृत्व ने नवजोत सिंह सिद्धू को पीसीसी चीफ बनाकर झगड़ा शांत कराने कान कोशिश ज़रूर की लेकिन वह बेमानी ही रही।
शुक्रवार रात्रि को पंजाब प्रभारी महासचिव हरीश रावत ने ट्विट कर कहा कि एआईसीसी को बड़ी संख्या में विधायकों ने पत्र लिखकर विधायक दल की बैठक आहूत करने की मांग की है। इसे देखते हुए शनिवार शाम पांच बजे विधायक दल की आपात बैठक बुलाई गई है। बैठक में केन्द्रीय पर्यवेक्षक के तौर पर अजय माकन और हरीश चौधरी भी मौजूद रहेंगे। माना जा रहा है कि अगर कैप्टन बैठक से पहले इस्तीफा नहीं देते हैं तो विरोधी धड़ा उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आएगा।
सवाल है कि क्या सिद्धू, जो फिलहाल संगठन के मुखिया हैं वे मुख्यमंत्री बनने की कोशिश करेंगे? लेकिन कैप्टेन धड़ा उनका मुखर विरोध करेगा। ऐसे में क्या पूर्व पीसीसी चीफ सुनील जाखड़ को हिन्दू चेहरे के तौर पर पांच माह का मुख्यमंत्री बनाया जाएगा? इसके अलावा पूर्व पीसीसी चीफ लाल सिंह, सांसद प्रताप सिंगल बाजवा, राजिंदर कौर भट्ठल और बेअंत सिंह के पोते और सांसद रवनीत सिंह भी दौड़ में बताए जा रहे।
सवाल है कि क्या ठीक चुनाव से पहले जिस तरह से ताकतवर भाजपा हाईकमान ने उत्तराखंड से लेकर गुजरात तक मुख्यमंत्री बदल दिए उसी चातुर्य और दृढ़ता से कांग्रेस आलाकमान अंजाम दे पाएगा? आखिर मोदी-शाह रिजीम में भाजपा हाईकमान बहुत ताकतवर है जबकि दो लोकसभा चुनाव की करारी हार ने कांग्रेस नेतृत्व को उतना शक्तिशाली नहीं छोड़ा है।