देहरादून/ दिल्ली: 2022 के शुरू में यूपी, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में एक साथ विधानसभा चुनाव होंगे। अब तक के तमाम चुनावी सर्वे और आकलन एक बड़ा संकेत यह दे रहे कि पंजाब की सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती अकाली दल या भाजपा नहीं बल्कि अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी है। इसी तरह गोवा में सत्ताधारी भाजपा को परम्परागत प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस से नहीं बल्कि AAP से कड़ी चुनौती मिल रही है। लेकिन एक और राज्य है जहां बाइस के लिए बैटल छिड़ी है और वह राज्य है उत्तराखंड। उत्तराखंड में भी लड़ाई भाजपा बनाम कांग्रेस होती रही है और इसी बारी-बारी की भागीदारी को तोड़ने के मकसद से केजरीवाल पहाड़ पॉलिटिक्स में कूदे हैं।
लेकिन अब तक के तमाम सर्वे और आकलन उत्तराखंड में AAP को 10 से 12 फ़ीसदी वोट शेयर को ज़रूर दे रहे लेकिन 70 सीटों में उसे जीतने लायक़ 0-3 सीटों में ही समेट दिया जा रहा है। जबकि पंजाब, गोवा और उत्तराखंड को लेकर आम आदमी पार्टी नेतृत्व और दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल का फ़ोकस एक जैसा है, चुनावी गारंटी भी उसी तर्ज़ पर तीनों राज्यों में जनता के सामने रखी जा रही लेकिन अंतर इतना है कि यहाँ सीएम चेहरे के तौर पर कर्नल अजय कोठियाल को आगे कर दिया गया है।
अब पहाड़ पॉलिटिक्स में वैकल्पिक राजनीति का नैरेटिव गढ़ने उतरी आम आदमी पार्टी को लेकर कहा जाने लगा है कि वह महज़ वोटकटवा पार्टी है जिसका मक़सद कुछ सत्ता विरोधी भाजपाई वोट कांग्रेस से झपट लेना भर है। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के कैंपेन चीफ़ हरीश रावत इस बात को लगातार बार-बार हर मंच पर ज़ोर देकर कह रहे हैं। ताज्जुब है कि न कर्नल कोठियाल और न ही प्रदेश की आम आदमी पार्टी इसका काउंटर नैरेटिव गढ़ पाने में कामयाब होती दिख रही है।
शनिवार को आए एबीपी सी वोटर सर्वे ने उत्तराखंड में AAP को तीसरे नंबर पर महज़ 13 फ़ीसदी वोट और 1-3 सीटें मिलते दिखाया है। जबकि पार्टी को पंजाब में सबसे ज़्यादा यानी 38 फ़ीसदी वोट शेयर के साथ सरकार बनाने के क़रीब 50-56 सीटें मिलती दिखाई हैं। वहीं गोवा में भी AAP को 24 फ़ीसदी वोट शेयर के साथ कांग्रेस (20 फ़ीसदी) से आगे भाजपा (30 फ़ीसदी) को टक्कर देते दिखाया गया है।
अब दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल 14 दिसंबर को काशीपुर के रामलीला मैदान में कैंपेन कमेटी चीफ़ दीपक बाली के गढ़ में हुंकार भरेंगे। केजरीवाल का यह पाँचवा देवभूमि दौरा है जिसमें वे अपनी चौथी बड़ी घोषणा यानी चुनावी गारंटी देकर जाएँगे। अब तक केजरीवाल 300 यूनिट फ़्री बिजली, हर घर रोज़गार और जब तक रोज़गार नहीं पाँच हज़ारो बेरोज़गारी भत्ता, बुज़ुर्गों को मुफ़्त तीर्थ यात्रा जैसी गारंटी दे चुके हैं।
सवाल है कि क्या इन्हीं समान मुद्दों और कांग्रेस-भाजपा की नूराकुश्ती से जनता को निजात दिलाने के नैरेटिव के ज़रिए पंजाब और गोवा में मज़बूती से खड़ी होती आम आदमी पार्टी पहाड़ पर चढ़ने से पहले ही क्यों हाँफती नज़र आ रही है? जबकि उत्तराखंड के चार चुनाव में कांग्रेस-भाजपा बारी-बारी भागीदारी से जनता में एक उब के संकेत को हवा देकर सिमटते बसपा और तीसरी ताक़तों के वोट शेयर को अपने पाले में लेकर नई सियासी ज़मीन तराशी जा सकती थी! फिर ऐसा क्या हुआ कि उत्तराखंड के पाँचवें विधानसभा चुनाव में भी जंग भाजपा वर्सेज़ कांग्रेस ही होती दिख रही और AAP जंग से पहले ही मैदान से बाहर दर्शक दीर्घा में पहुँचती दिख रही!