दिल्ली/चंडीगढ़: सबसे पहले बात पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की कर लेते हैं। एनडीटीवी की सीनियर एडिटर नीता शर्मा को दिए इंटरव्यू में कैप्टन ने साफ कहा है कि वे बीजेपी ज्वाइन नहीं करेंगे और कांग्रेस में भी नहीं रहेंगे। लेकिन कैप्टन ने कांग्रेस छोडने को लेकर साफ साफ कहा कि वे ऐसे व्यक्ति नहीं जो एक झटके में निर्णय लेंगे बल्कि वे खूब नफ़ा-नुकसान और सारे जोड़-घटा सोचकर फैसला करते हैं। यानी यही से कैप्टन अमरिंदर सिंह कांग्रेस नेतृत्व के लिए अपने साथ हुए ‘अपमान’ की भरपाई का रास्ता छोड़ने नजर आते हैं। कांग्रेसी सूत्रों से जैसी जानकारी निकल कर आ रही है इसके मुताबिक़ मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और अम्बिका सोनी बैकडोर चैनल से कैप्टन का गुस्सा शांत कराने की कोशिश करेंगे।
आपने अपने THE NEWS ADDA पर बुधवार शाम को केन्द्रीय मंत्री अमित शाह से कैप्टन की मुलाक़ात के बाद एक रिपोर्ट में हमने दावा किया था कि कैप्टन किसी क़ीमत पर पंजाब के मौजूदा हालात देखकर बीजेपी में जाने का जोखिम नहीं उठाएँगे।
फिर भले बीजेपी लाख कोशिश करे लेकिन किसान आंदोलन के चलते बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी को लेकर पंजाब में जैसा माहौल इस वक़्त है उसके चलते कैप्टन तो क्या कोई भी कृषि बिलोँ के रहते बीजेपी का दामन थामकर अपनी राजनीति चौपट नहीं कराना चाहेगा। न ही शिरोमणि अकाली दल जैसे दशकों पुराने राजनीतिक सहयोगी के छिटक जाने के बाद पंजाब में अपनी स्थिति से वाक़िफ़ बीजेपी है और पीएम मोदी कैप्टन की क़ीमत पर नए तीन कृषि क़ानूनों को रद्द करना चाहेंगे क्योंकि यह कदम पीएम मोदी की राजनीति को बिलकुल अलग पटरी पर डालने वाला क़दम होगा। अधिकतम यह हो पाएगा कि अगर कैप्टन को कांग्रेस जल्द मना पाने में नाकाम रहती है तो वे अपना कोई पॉलिटिकल-सोशल फ़्रंट बनाकर पंजे को पंजाब में पस्त कराने की कोशिश करेंगे।
अब बात कांग्रेस के पंजाब प्रधान पद से इस्तीफ़ा देने वाले नवजोत सिंह सिद्धु की करते हैं। दरअसल जिस नाटकीय घटनाक्रम में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने नवजोत सिंह सिद्धू की पैरवी कर पहले उनको पंजाब में पार्टी का प्रधान बनवाया और फिर कैप्टन को कुर्सी से हटाने जैसा बड़ा फ़ैसला भी ले लिया लेकिन सिद्धू ने जिस तरह से बिना किसी को भरोसे में लिए, यहाँ तक आलाकमान के साथ खुले चैनल का इस्तेमाल न करते हुए इस्तीफ़ा भेजा उसने कांग्रेस नेतृत्व के ‘गुरु’ पर बने कॉन्फ़िडेंस को एक झटके में तोड़ डाला। सिद्धू अपनी दबंगई से एजी और डीजीपी अपनी पसंद का बिठाना चाहते थे जिसे सीएम चन्नी ने मंज़ूर नहीं किया।
लिहाज़ा सिद्धू के चलते कैप्टन को खोने जा रहे कांग्रेस नेतृत्व ने सख़्त स्टैंड लेकर सिद्धू को मैसेज दे दिया। यहाँ तक कि कांग्रेस नेतृत्व ने पंजाब कांग्रेस के प्रभारी महासचिव हरीश रावत को भी चंडीगढ़ या पटियाला भागने से रोक दिया गया। ज्ञात हो कि एक समय ऐसा रहा था कि सिद्धू की मान-मनौव्वल को लिए पार्टी आलाकमान नेताओं और अपने मैसेंजर्स को सीधे पटियाला भेजता रहा। लेकिन इस बार मामला शांत कराने का ज़िम्मा सिर्फ़ मुख्यमंत्री तरणजीत सिंह चन्नी को ही सौंपा गया और संकेत यह भी दे दिए गए कि अगर सिद्धू नहीं मानते है तो नया प्रदेश अध्यक्ष बना दिया जाए। ज़ाहिर है सिद्धू के लिए मैसेज साफ़ है लिहाज़ा चंडीगढ़ के पंजाब भवन में सीएम चन्नी के साथ बैठकर नवजोत सिंह सिद्धू झगड़ा सुलझा रहे हैं।