देहरादून: …तो क्या किशोर उपाध्याय किसी भी दिन भाजपा ज्वाइन करने वाले थे? क्या भाजपा ने पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष का टिकट भी पक्का कर दिया था? क्या किशोर कांग्रेस के लिए अब ‘बोझ’ हो चले थे और आगे फजीहत न हो इसलिए कर दिया ‘मुक्त’? ऐसे कई सवाल हैं जो किशोर उपाध्याय को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाते हुए पार्टी समन्वय समिति के अध्यक्ष पद से लेकर चुनाव के दृष्टिगत बनी तमाम कमेटियों व ज़िम्मेदारियों से मुक्त करते प्रदेश प्रभारी देवेन्द्र यादव के पत्र के बाद से उठ रहे हैं।
दरअसल, देवेन्द्र यादव ने किशोर उपाध्याय पर संगीन आरोप लगाते कहा है कि ऐसे में जब उत्तराखंड की जनता बदलाव को तरस रही है और भ्रष्ट भाजपाई सरकार रो उखाड़ फेंकने का इंतजार कर रही तब आप कांग्रेस का पक्ष कमजोर करने के लिए भाजपा व अन्य दलों के साथ मुलाक़ातें कर रहे हैं। यादव ने यह भी कहा है कि व्यक्तिगत तौर पर भी कई बार चेतावनी देने के बावजूद किशोर उपाध्याय पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहे।
ज्ञात हो कि चार जनवरी की रात्रि किशोर उपाध्याय चोरी-छिपे प्रदेश भाजपा संगठन महामंत्री अजेय कुमार के आवास पर उनसे मिले थे और इस दौरान चुनाव प्रभारी केन्द्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी भी मौजूद थे। बताया जा रहा है कि इसी मुलाकात में किशोर की भाजपा में ज्वाइनिंग की पटकथा लिख दी गई थी और उनका टिकट भी पक्का कर दिया गया था। वैसे रोचक बात यह है कि एक कांग्रेसी धड़ा भी चाहता रहा है कि किशोर उपाध्याय से ‘मुक्ति’ मिले तो दिनेश धनै के जरिए टिहरी का सियासी किला फतह करना ज्यादा आसान होगा। दरअसल किशोर उपाध्याय और पूर्व सीएम हरीश रावत में लगातार कॉल्ड वॉर छिड़ा हुआ था और गाहे-बगाहे कभी भाजपा नेताओं तो कभी सपा प्रमुख अखिलेश यादव व अन्य दलों के साथ किशोर गलबईयां कर रहे थे। हालाँकि किशोर अपनी इन तमाम विरोधी दलों के नेताओं से मुलाकात को वनाधिकार अभियान से जोड़कर दिखाते थे लेकिन भाजपा में ‘अब गए तब गए’ की स्थिति ने कांग्रेस आलाकमान को ठीक चुनाव से पहले सख्ती बरतने को मजबूर कर दिया।