न्यूज़ 360

Modi vs Rahul in 2023: भारत जोड़ो यात्रा का पॉलिटिकल इंपैक्ट और मोदी मैजिक का असर बताएंगे इन राज्यों के चुनाव

Share now

Semifinal battle in 10 States: साल 2023 का आगाज हो चुका है और सियासी लिहाज से देखें तो 2023 के रास्ते होकर ही 2024 की चुनौती के पार जाना होगा। कहने को ‘भारत जोड़ो यात्रा’ पर निकले कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी दावा कर रहे हैं कि बीजेपी का विजय रथ रोका जा सकता है, बशर्ते विपक्षी ताकतें एकजुट हो जाएं।

सवाल है कि क्या मोदी मैजिक को बेअसर साबित किया जा सकता है? उससे बड़ा सवाल यह भी की क्या नमो नाम की सियासी सुनामी के सहारे बीजेपी केंद्र की सत्ता में जीत की हैट्रिक आसानी से लगा पाएगी? जाहिर है 2024 के लिहाज इस इन सवालों का जवाब खोजते 2023 के सियासी अक्स को देखना लाजिमी है। लेकिन उससे पहले एक बार फिर लौटना होगा 2022 में।

आज जब हम 2023 के दहलीज पर दस्तक दे चुके हैं तब हमें पीछे मुड़कर देखना पड़ेगा कि तेईस को लेकर बीता साल क्या संदेश देकर गया है। 2014 से शुरू हुए मोदी मैजिक के सहारे चुनावी जीत दर्ज करने की एक कभी न थकने हारने वाली मशीन बन चुकी बीजेपी ने 2022 में न केवल देश का सबसे बड़ा सियासी सूबा यूपी दोबारा जीता बल्कि इस साल हुए सात राज्यों के चुनावो में से पांच में जीत दर्ज कर चुनावी दंगल में खुद के अजेय होने का अहसास भी कराया।

हालांकि गुजरात की ऐतिहासिक जीत के जश्न के दरमियां हिमाचल की हार के जरिए साल 2022 ने जाते जाते बीजेपी को 2023 और फिर 2024 की बड़ी चुनावी लड़ाई का रियलिटी चेक ज़रूर करा दिया। लेकिन इन सबके बावजूद गुजरा साल बता गया है कि आज के दौर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनावी अखाड़े में सीधे सीधे ललकारने का माद्दा किसी दूसरे राजनेता में नहीं है।

तो फिर क्या यह मान लिया जाए कि राहुल गांधी की बड़ी तादाद में भीड़ अट्रैक्ट कर रही भारत जोड़ो यात्रा जैसे ही श्रीनगर के लाल चौक में तिरंगा झंडा फहराकर खत्म होगी, वैसे ही कांग्रेस को लेकर बनी हवा भी 2024 की चुनावी बिसात तक पहुंचते हवा हो जाएगी? तो इसका जवाब है- जी नहीं!

2024 तक पहुंचने से पहले राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा 2023 में होने वाले नौ दस राज्यों के चुनावी दंगल में बड़ा असर छोड़ सकती है। और यह भी यह मानिए कि 2023 की राजनीतिक घटनाएं और नतीजे ही बहुत हद तक 2024 का नैरेटिव तैयार करेंगे।

2023 के पॉलिटिकल कैलेंडर की तारीखों में एक के बाद एक पूरे 10 राज्यों की बड़ी चुनावी लड़ाइयां दिखाई दे रहीं हैं। अगर दांव पर 10 राज्यों की सरकार होगी तो इसका असर 10,20,50 नहीं बल्कि देश की 122 लोकसभा सीटों पर पड़ेगा। साल के शुरू यानी फरवरी मार्च में त्रिपुरा,मेघालय और नागालैंड जैसे पूर्वोत्तर के छोटे राज्यों के चुनाव होंगे तो अप्रैल मई में दक्षिण के भाजपाई दुर्ग कर्नाटक की किलेबंदी को लेकर मोदी बनाम राहुल जंग होगी जिसे देवेगौड़ा परिवार त्रिकोण में तब्दील करना चाहेगा।

लोकसभा चुनाव की रणभेरी बजने से ठीक पहले 2023 के आखिर यानी नवंबर दिसंबर में कांग्रेस शासित राजस्थान और छत्तीसगढ़ से लेकर मध्यप्रदेश, मिजोरम और टीआरएस के तेलंगाना में चुनावी दंगल होगा। दसवां राज्य केंद्र शासित जम्मू एंड कश्मीर है जहां धारा 370 हटने के बाद पहली बार चुनावी रणभेरी बजेगी।

भले 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान गंवाकर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को इन राज्यों में साफ कर दिया था लेकिन अब बदले हालात में बीजेपी जोखिम लेना नहीं चाहेगी। तो कांग्रेस भी चार साल के सूखे के बाद हिमाचल जीतने और राहुल गांधी को भारत जोड़ो यात्रा के रिस्पांस से हालात बदलने को आतुर नजर आ रही है।

राहुल गांधी ने लंबी पदयात्रा से यह संदेश तो दे ही दिया है कि अब उसे राजनीतिक विरोधी बहुत दिनों तक नॉन सीरियस या पप्पू पॉलिटिशियन का तमगा देकर खारिज करने का जोखिम नहीं लेंगे। लेकिन राहुल को भी असल मजबूती राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सरकार बचाने और मध्यप्रदेश,कर्नाटक में बीजेपी से सत्ता छीनकर दिखाने के बाद ही मिल पाएगी।

बीजेपी भी जानती है कि मोदी मैजिक के सहारे तीसरी बार देश की सत्ता हासिल करने से पहले उसे कर्नाटक, मध्यप्रदेश जैसे अपने किले बचाते हुए राजस्थान और छत्तीसगढ़ में वापसी करनी होगी। तो 17 लोकसभा सीटों वाले दक्षिण के एक दूसरे राज्य तेलंगाना में टीआरएस, जो अब बीआरएस यानी भारत राष्ट्र समिति के तौर पर नरेंद्र मोदी को दिल्ली से बेदखल करने का दम भर रही है, की मजबूत घेराबंदी करनी होगी।

बीजेपी वर्सेज कांग्रेस जंग के इतर ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल जैसे नेताओं की भूमिका भी 2024 की सियासी तस्वीर को तय करने में अहम रोल प्ले कर सकती है। हालांकि बिहार में नीतीश और तेजस्वी की राजनीतिक जोड़ी बनने से राहुल गांधी को कुछ राहत जरूर मिल गई है लेकिन क्या कांग्रेस पैन इंडिया एंटी मोदी, एंटी बीजेपी गठजोड़ बना पाएगी?

यूपी जैसे सियासी गढ़ में सपा और बसपा की भूमिका क्या रहेगी यह भी देखना होगा क्योंकि मोदी वर्सेज राहुल जंग के इतर तीसरे मोर्चे की तान छिड़ जाए इसे अभी पूरी तरह से नकारा भी नहीं जा सकता है।

कुल मिलाकर कहा जाए तो 2024 के फाइनल मुकाबले से पहले 2023 का सेमी फाइनल खेलना होगा और 10 राज्यों के नतीजे लोकसभा की 122 सीटों का मिजाज बता देंगे।

उस पर साल 2023 में इलेक्टोरल बॉन्ड से लेकर नोटबंदी जैसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट के कई फैसले 2024 के पॉलिटिकल टेंपरेचर को बढ़ा सकते हैं।

Show More

The News Adda

The News अड्डा एक प्रयास है बिना किसी पूर्वाग्रह के बेबाक़ी से ख़बर को ख़बर की तरह कहने का आख़िर खबर जब किसी के लिये अचार और किसी के सामने लाचार बनती दिखे तब कोई तो अड्डा हो जहां से ख़बर का सही रास्ता भी दिखे और विमर्श का मज़बूत मंच भी मिले. आख़िर ख़बर ही जीवन है.

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!