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Uttarakhand: कांग्रेस का कुरुक्षेत्र करन माहरा के लिए पड़ेगा भारी ?

केदारनाथ उपचुनाव कैंडिडेट को लेकर किसकी चलेगी ?

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ADDA एक्सप्लेनर: उत्तराखंड कांग्रेस में करन माहरा के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद से चली आ रही किचकिच केदारनाथ धाम प्रतिष्ठा रक्षा यात्रा के स्थगित होने से ठीक पहले कुरुक्षेत्र में तब्दील हो गई थी। एक-दूसरे पर टेबल पटकने से लेकर तू-तड़ाक के बाद हालात ऐसे बने कि खबर प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा से लेकर हाई कमान तक पहुंच गई।

पिछले हफ्ते कुमारी शैलजा, सह प्रभारी दीपिका सिंह पांडे और सीडब्ल्यूसी सदस्य गुरदीप सप्पल की मौजूदगी में करन माहरा, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल से लेकर हरक सिंह रावत, लोकसभा चुनाव प्रत्याशी और तमाम दिग्गज पहले मैराथन मंथन करते हैं जिसके बाद 12 अगस्त की बैठक तय होती है जिसमें सभी पार्टी विधायकों को बुलाया गया था।

 

13 अगस्त को भी कई विधायक वन टू वन भी प्रभारी से मिलकर अपना पक्ष रख आए हैं। दूसरा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के सितंबर में 20 तारीख के आसपास के संभावित दौरे को लेकर भी मंत्रणा हुई है।

यह ऊपर हमने आपको दी तीन दिनों में उत्तराखंड कांग्रेस को लेकर दिल्ली में क्या क्या हुआ उसकी जानकारी दे दी है। लेकिन दिल्ली में हुई इस लगातार कसरत का मतलब क्या समझा जाए? क्या रुद्रप्रयाग जिले में पहुंचते पहुंचते जिस तरह से करन माहरा वर्सेज गणेश गोदियाल का बैटल ग्राउंड तैयार हो गया था उस पर ब्रेक लग गया? केदारनाथ उपचुनाव और स्थानीय निकाय चुनावों को लेकर कुछ ब्लूप्रिंट बना?

खबर ये है?

खबर छनकर यह आई है कि पहले दौर की बैठक के बाद करन माहरा को झटका लगा है क्योंकि नियुक्तियों या बड़े फैसलों के वक्त अकेले करन माहरा नहीं बल्कि पूरे 10 नेताओं की कमेटी कहिए या पैनल बनेगा जो अहम फैसलों में अध्यक्ष को अकेला नहीं छोड़ेगा बल्कि फैसले लेने में भागीदार बनेगा। यानी अब तक प्रदेश अध्यक्ष के नाते करन माहरा जो मनमानी कर गए हों अब आगे ऐसा नहीं कर पाएंगे। दस नेताओं की ये समन्वय समिति ऐसी होगी जिसमें अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष से लेकर हरीश रावत, प्रीतम सिंह के अलावा पांचों लोकसभा प्रत्याशी और कुछ नेता हो सकते हैं।

विधायकों की प्रभारी के साथ बैठक में क्या हुआ?

पिछले हफ्ते की बैठक के क्रम में सोमवार को धारचूला विधायक हरीश धामी को छोड़कर तमाम कांग्रेस विधायक प्रभारी कुमारी शैलजा और गुरदीप सप्पल के साथ बैठे। सूत्रों ने खुलासा किया कि इस बैठक में तमाम विधायकों ने भी करन माहरा के सामने ही प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर उनके फैसलों और शैली को लेकर जमकर भड़ास निकाली है।

 

विधायकों ने बताया क्यों हारे लोकसभा चुनाव

तमाम कांग्रेस विधायकों ने यह तो आरोप लगाया ही कि प्रत्याशी चयन में देरी हुई। साथ ही यह भी उनका यह भी आरोप था कि प्रत्याशी चयन में उनकी राय नहीं ली गई और ज्यादातर समय फैसले थोपे जाते हैं। सूत्रों की मानें तो वरिष्ठ विधायक प्रीतम सिंह ने खुलकर कहा कि उन्हें टिहरी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए तो कहा गया लेकिन टिहरी संसदीय क्षेत्र तो छोड़िए देहरादून महानगर अध्यक्ष कौन हो इसके लेकर पूछा गया न परवादून और बाकी जिलों में रायशुमारी की गई।
इसी तरह किच्छा से वरिष्ठ विधायक तिलक राज बेहड़, पिथौरागढ़ विधायक मयूख महर, लोहाघाट विधायक खुशाल सिंह अधिकारी, अल्मोड़ा विधायक मनोज तिवारी, खटीमा विधायक व उपनेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी से लेकर हरिद्वार जिले के विधायकों ने अपना गुबार निकाला। फिर सबसे अभी मंगलौर और बदरीनाथ बैटल जीतकर आए काजी निजामुद्दीन और लखपत बुटोला को बधाई दी।

माहरा के लिए इन मीटिंगों के मायने?

अगर उत्तराखंड कांग्रेस के हालात को गहराई से देखेंगे तो पाएंगे कि कम से कम प्रदेश के पार्टी नेताओं को बदरीनाथ और मंगलौर उपचुनाव जीत के बाद लोकसभा चुनाव की हार याद भी नहीं होगी। फिलहाल लड़ाई केदारनाथ उपचुनाव में किसे टिकट मिले इसको लेकर एक तरफ करन माहरा और उनके राजनीतिक गुरु रणजीत रावत, एआईसीसी सचिव काजी निजामुद्दीन तथा हरक सिंह रावत जैसे नेताओं का धड़ा बनता दिखाई दे रहा। तो दूसरी तरफ, गढ़वाल से लोकसभा चुनाव हारकर भी कांग्रेस के भीतर ग्राउंड पर उतरकर डटने वाले फाइटिंग फेस बनकर उभरे गणेश गोदियाल हैं जिनके पीछे कम से कम केदारनाथ उपचुनाव में कैंडिडेट के मुद्दे पर हरीश रावत, यशपाल आर्य से लेकर प्रीतम सिंह तक दिखाई दे रहे हैं।

लड़ाई किसे लेकर हैं ?

लड़ाई का मुद्दा है केदारनाथ से पूर्व विधायक मनोज रावत को टिकट मिले कि हरक सिंह रावत या किसी नए चेहरे पर दांव लगाया जाए? जो कांग्रेस इनसाइडर ने बताया कि करन माहरा मनोज रावत को ज्यादा पसंद नहीं कर रहे और उनकी पहली पसंद रुद्रप्रयाग कांग्रेस जिलाध्यक्ष कुंवर सजवान या फिर हरक सिंह रावत हो सकते हैं।
इसी वजह से केदारनाथ धाम प्रतिष्ठा रक्षा यात्रा में दोनों गुटों में झड़प हो गई थी। अब इसी बीच माहरा कैंप ने खरगे और राहुल गांधी को उत्तराखंड बुलाने का दांव चलकर सियासत को आगे बढ़ाया है तो दूसरी तरफ समन्वय समिति बनवाकर गोदियाल गुट ने माहरा को बेहद कमजोर करा देने का दांव खेला है।

सवाल है कि क्या केदारनाथ उपचुनाव में कैंडिडेट कौन हो इसका झगड़ा स्थानीय निकाय चुनाव में प्रत्याशी चयन में किसकी चलेगी इसकी भी पटकथा लिख रहा है क्या? इंतजार करना होगा!

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The News Adda

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