ADDA गपशप: वैसे तो विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी भूषण पढ़ी लिखी सुलझी हुई सियासतदां ठहरीं! पर राजनेता कब क्या सोचकर कदम उठा ले उसे लेकर कयास ही लगाए जा सकते हैं न कि किसी निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है। अब सोमवार दोपहर बाद स्पीकर ऋतु खंडूरी भूषण द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय पार्टी के बाद सियासी गलियारे में गपशप यही है कि ऑल इस वेल हैं ना!
चर्चाएं इसलिए कि दरअसल यह पहला मौका है जब विधानसभा सत्र की तारीखों का ऐलान हुआ नहीं है और विधानसभा अध्यक्ष रायशुमारी की खातिर ऑल पार्टी मीटिंग बुलाकर बैठ गईं हैं। वरना परंपरा रही है कि सत्र की तारीखों की घोषणा के बाद ही रायशुमारी और सदन के सुचारू संचालन को लेकर विधानसभा अध्यक्ष सर्वदलीय बैठक बुलाते आए हैं। ऐसी बैठक में निर्दलीय विधायक भी नहीं बुलाए जाते रहे हैं लेकिन परंपरा टूटती रहती हैं और अगर एक पहल स्पीकर ने भी कर डाली तो कौनसा गुनाह हो गया!
वैसे नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल भी जरूर आज की सर्वदलीय बैठक के औचित्य को लेकर कुछ न कुछ सोचते रहे होंगे! आखिर दोनों ही पूर्व विधानसभा अध्यक्ष जो ठहरे।
सत्र 16 दिसंबर से पहले पहले आहूत होना है और चर्चा है कि 15 नवम्बर के बाद सत्र की तारीख तय हो जाएं! चर्चा है कि जब परंपरा के अनुसार अगर सत्र की तारीख का ऐलान सरकार द्वारा ही किया जाना था तब उससे पहले ही सर्वदलीय बैठक करने से कौनसा उद्देश्य सफल हुआ। विपक्ष तो वैसे भी पहले से गलाफाड़ कर गैरसैंण में सत्र कराने की मांग करता आ रहा।
इसी सब के बीच किसी राजनीतिक पंडित ने ठीक ही पूछ डाला कि स्पीकर और सरकार ने ऑल इज वेल है ना? जाहिर है हाईकोर्ट के विधानसभा बैकडोर भर्तियों पर आए आदेश के बाद यह सवाल कईयों के मन में उमड़ घुमड़ रहा क्योंकि कई सत्र की तिथि से पहले सर्वदलीय बैठक को भी उसी तरफ जोड़कर देखने की कोशिश कर रहे।