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क़िस्सा कुर्सी का: कौन बनेगा नई सरकार का सूबेदार, निशंक दिल्ली बुलाए गए तो धामी से रुका नहीं गया, हरदा-प्रीतम में भी छिड़ी है सीएम के लिए दिल्ली दौड़

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देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव नतीजे 10 मार्च को आएंगे लेकिन अगली सरकार में ‘कौन बनेगा मुख्यमंत्री?’ के सवाल पर भाजपा हो या कांग्रेस अंदरखाने ज़बरदस्त भाग-दौड़ दिख रही है। सरकार किसी भी दल की बने लेकिन दोनों प्रमुख दलों में मुख्यमंत्री की कुर्सी कब्जाने को लेकर बिसात बिछाई जा रही है।

कहने को सत्ताधारी दल भाजपा ने बाइस बैटल में ‘उत्तराखंड की पुकार अबकी बार मोदी-धामी सरकार’ का नारा दिया है। लेकिन भाजपा असम में दोबारा सरकार बनाने के बावजूद सिटिंग सीएम सर्बानंद सोनोवाल को हटाकर हिमंत बिस्वा सरमा की ताजपोशी कर चुकी है। लिहाजा पुष्कर सिंह धामी का पूर्व केन्द्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को ‘दिल्ली बुलावे’ से बेचैन हो जाना स्वाभाविक है।

आखिर न निशंक अभी मार्गदर्शक मंडल में जाने को तैयार दिख रहे और ना ही पार्टी ने ही उनके एक्टिव पॉलिटिक्स से रिटायरमेंट की पटकथा लिखी है। ऐसे में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने निशंक को बैठक के लिए बुलाया तो टीम धामी भी बेचैन हो उठी और तुरंत बाद पुष्कर सिंह धामी भी दिल्ली में कैंप करते नजर आए। अब चुनावी भागमभाग में धामी की नड्डा से दिल्ली में मुलाकात न हो पाई तो मुख्यमंत्री भी कूद गए काशी के कुरुक्षेत्र में और नड्डा से मिलकर ही लौटे।

आखिर नतीजों से पहले जब निशंक एक्टिव हो गए तो मुख्यमंत्री के नाते धामी को एक्टिव होना ही था। वैसे भी मीडिया में हल्ला मच ही चुका है कि कांग्रेस से काँटे के मुकाबले में अगर बसपा या निर्दलीयों को जुटाना पड़ा तो निशंक की निर्णायक भूमिका कहीं धामी की धमक फीकी न करा डाले! लिहाजा निशंक की मुलाकात के ठीक बाद नड्डा से मिलकर धामी ने भी सुकून की साँस ली है। खैर यह तो रही भाजपा की बात लेकिन हल्ला कांग्रेस में भी सीएम कुर्सी को लेकर कुछ नहीं मचा है।

सत्रह के संग्राम में करारी शिकस्त खाकर सत्ता गंवाने वाली कांग्रेस भी बाइस बैटल जीतकर सरकार बनाने के सपने देख रही है। और जब पार्टी को सरकार बनने की प्रबल संभावनाएँ नजर आ रही हैं तब भला पूर्व सीएम हरीश रावत और नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह को सीएम कुर्सी करीब क्यों न नजर आए भला! हरदा उम्र के इस पड़ाव पर इसे ‘करो या मरो’ की बाजी करार देकर मैदान में हैं तो ऐसा लगता है कि प्रीतम भी ‘अभी नहीं तो आगे कभी नहीं’ के मंत्र के साथ सीएम रेस में आगे बढ़ रहे हैं।

यही वजह है कि नतीजों से पहले ही कांग्रेसी दिग्गजों ने दिल्ली परिक्रमा तेज कर दी है। नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह दिल्ली पहुंच चुके हैं और कहा जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल 7 मार्च को दिल्ली जाएंगे। जबकि पूर्व सीएम हरदा भी 8 मार्च तक दिल्ली पहुंच रहे हैं। 10 दिनों में यह दूसरी बार है जब प्रदेश कांग्रेस के दिग्गज दिल्ली में दस्तक दे रहे हैं। कहने को शीर्ष नेताओं से मुलाक़ातों को सामान्य और वोटिंग फीडबैक देना भर बताया जा रहा लेकिन असल खेल 10 मार्च के नतीजों के ठीक बाद अगर पार्टी को जीत मिलती है तो सीएम रेस कैसे जीती जाएगी इसका गणित दुरुस्त करने को लेकर है। साथ ही काँटे के मुकाबले में अगर सियासी सूरतेहाल 2012 जैसे बनते हैं तो भाजपा से कैसे मुकाबला किया जाएगा इसे लेकर भी एक्शन प्लान तैयार किया जाना है।

बहरहाल, सत्ता की चाबी जनता किसे सौंपती है इसका पता तो 10 मार्च की दोपहर तक ही होगा लेकिन दोनों तरफ के दिग्गजों की दिल्ली दौड़ मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर मचल रहे दिल के अरमानों की कहानी कह ही देती है।

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