

ADDA IN-DEPTH: 7 जुलाई से उत्तराखंड में लगातार बारिश कहर बनकर टूट रही है। पहाड़ से मैदान तक हाहाकार है। पहाड़ों में जहां, चारधाम यात्रा के बीच आए दिन रास्ते मलबे से अवरुद्ध हो रहे और जगह जगह श्रद्धालु फंस रहे, वहीं, मैदानी क्षेत्रों खासकर हरिद्वार में कांवड़ यात्रा के बीच खानपुर और लक्सर जैसे देहात के इलाके बाढ़ झेल रहे हैं। बारिश और बाढ़ से पैदा हुए आपदा के हालातों में, जहां मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खानपुर और लक्सर के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों तक पहुंचकर हालात की समीक्षा कर आए, वहीं ना हरिद्वार जिले के प्रभारी मंत्री सतपाल महाराज नजर आ रहे हैं और ना ही अन्य जिलों में दूसरे मंत्री कैंप कर रहे।

नतीजा ये हुआ कि मुख्यमंत्री धामी को थक हारकर घरों में दुबके बारिश और बाढ़ का नजारा देख रहे मंत्रियों को याद दिलाना पड़ा है कि महाराज! जिलों का जिम्मा भी है जहां कैंप कर राहत और बचाव कार्यों में तेजी लाने को लेकर कुछ जान झोंकिए। बाकायदा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी मंत्रियों को याद दिलाते हुए निर्देश दिए हैं कि वे अपने-अपने प्रभार के जनपदों में प्रवास कर राहत एवं बचाव के कार्यों को और अधिक प्रभावी बनाएंगे, ऐसी उन से अपेक्षा है। जाहिर है मंत्रियों के उम्मीदों पर खरा न उतरते देख मुख्यमंत्री धामी को यह कहने को मजबूर होना पड़ा है।
मंत्रियों को याद दिलाना पड़ रहा है कि वर्तमान में राज्य में निरन्तर भारी वर्षा के कारण जगह-जगह आपदा की स्थिति उत्पन्न हुई है और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशों के अनुसार शासन व प्रशासन के सम्बन्धित अधिकारी, कर्मचारी राहत और बचाव कार्यों में तत्परता से लगे हैं। मंत्रियों को दिए गए मैसेज में मुख्यमंत्री धामी ने अपेक्षा जताई है कि सभी मंत्री आपदा के दौरान राहत एवं बचाव कार्यों को और अधिक प्रभावी बनाने के उद्देश्य से अपने-अपने जनपदों में प्रवास करें ताकि राहत एवं बचाव कार्यों को अधिक प्रभावी बनाया जा सके।
दरअसल जिस तरह से कोटद्वार में मालन नदी पर बना पुल टूटने के बाद जिस तरह से स्पीकर ऋतु खंडूरी भूषण ने आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा को फोन लगाकर पब्लिकली फटकारा उसने पूरे सिस्टम के धराशायी होने का सबूत पेश कर दिया है। हालांकि ऋतु खंडूरी भूषण को लगे हाथ एक फोन पीडब्ल्यूडी सचिव या सीधे सीधे PWD और सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज को भी लगा देना चाहिए था।
आखिर पीडब्लूडी मंत्री सतपाल महाराज को क्यों ना मालन नदी पर बने पुल के ध्वस्त होने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाए! जब सेफ्टी ऑडिट में मालन नदी सहित कई पुलों की मरम्मत की दरकार बता दी गई थी तब पीडब्ल्यूडी मंत्री के नाते महाराज ने कितना और कहां कहां फॉलो किया। पुल टूटने पर विभागीय जांच बिठाने की खानपूर्ति तो मंत्री महाराज पहले भी कई बार करते आए हैं।
किस मंत्री के पास कौनसा जिला ?
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज को हरिद्वार जिले का प्रभार सौंपा था लेकिन पर्यटन, धर्मस्व और संस्कृति जैसे विभाग होने के बावजूद सतपाल महाराज अब तक चारधाम यात्रा में बिलकुल भी एक्टिव नजर नहीं आए हैं। जबकि उनके विभागों को चारधाम यात्रा के लिहाज से नोडल विभाग समझा जाता है। अब भारी बारिश के चलते हरिद्वार ने बाढ़ के हालात हैं लेकिन जिले का प्रभारी मंत्री होने के बावजूद सतपाल महाराज नदारद हैं। इतना ही नहीं पीडब्ल्यूडी और सिंचाई मंत्री होने के नाते लगातार टूट रहे पुल-पुलियों और सड़कों को लेकर कितना भाग-दौड़ कर रहे यह विदित ही है।
बारिश और बाढ़ के हालात में मंत्री महाराज की एक तस्वीर दिल्ली में बीमार केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का हालचाल लेते जरूर नजर आई है। उसके अलावा न वे लक्सर और खानपुर में बाढ़ झेल रहे लोगों से मिलने पहुंचे और न ही टूटे पुलों व सड़कों की चिंता करते कहीं दिखे। जाहिर है ऐसे मंत्रियों को ढो रहे मुख्यमंत्री हारकर जिम्मेदारी याद नहीं दिलाएं तो और क्या करें! एकाध मंत्री को छोड़ दें तो बाकी मंत्रियों का हाल भी देहरादून या अधिकतम अपने विधानसभा क्षेत्र में बैठक-बैठक खेलने से अधिक नजर नहीं आ रहा है।
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल को उत्तरकाशी और टिहरी जिले की जिम्मेदारी सौंपी थी। बारिश के हालात ने आए दिन उत्तरकाशी में मुसीबत झेल रहे लोगों के बीच प्रेमचंद अग्रवाल खड़े नजर आए आप पता कर सकते हैं।
कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी को उधमसिंहनगर जिले की जिम्मेदारी मिली हुई है लेकिन जब से मंत्रिमंडल में फेरबदल और विस्तार की चर्चाएं शुरू हुई हैं उनके दिल्ली दौरे बढ़ गए हैं। हालांकि जोशी मंत्री के नाते एक्टिव नजर आने की कोशिश करते हैं लेकिन प्रभारी मंत्री के नाते बारिश के बीच अपने जिले में कब पहुंचे यह कोई भी बता देगा।
कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के पास प्रभारी मंत्री के नाते अल्मोड़ा और चमोली की जिम्मेदारी है। बारिश ने चमोली जिले में खासा नुकसान पहुंचाया है और बदरीनाथ हाईवे मलबा और बोल्डर आने से बाधित हो रहा लेकिन मंत्री देहरादून में अधिक बैठकबाजी कर रहे। कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल देहरादून जिले के प्रभारी मंत्री हैं। उनियाल दो दिन पहले रायपुर क्षेत्र में “सरकार जनता के द्वार” कार्यक्रम में जरूर नजर आए उससे ज्यादा प्रभारी मंत्री के नाते जिले में भारी बारिश के बीच वे कहीं दिखाई नहीं दिए हैं। अलबत्ता सीएम धामी जरूर खुद आईएसबीटी और चंद्रबनी इलाके में बारिश और बाढ़ के हालात में मोर्चे पर डटे दिखाई दिए। कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा रुद्रप्रयाग और बागेश्वर जिले के प्रभारी मंत्री हैं। बीते दिनों पशुपालन मंत्री बहुगुणा रुद्रप्रयाग जिले में केदारनाथ यात्रा रूट पर घोड़े-खच्चरों का हाल जानते जरूर नजर आए थे। कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य नैनीताल और चंपावत की प्रभारी मंत्री हैं और देहरादून में ही उनकी बैठकों का दौर अधिक रहता है। जबकि अभी सीएम धामी ने दिवंगत कैबिनेट मंत्री चन्दन रामदास के प्रभार वाले पिथौरागढ़ एवं पौड़ी जिलों का जिम्मा किसी मंत्री को दिया नहीं है।
यह अपने आप में बेहद दुखद स्थिति है कि मुख्यमंत्री को बाकायदा कहना पड़ रहा कि मंत्री अपने प्रभार वाले जिलों में जाकर बारिश और बाढ़ के हालात में जनता की सुध लें। लेकिन इससे बड़ी विडंबना क्या होगी कि जिस हरिद्वार जिले पर बारिश और बाढ़ की सबसे ज्यादा मार पड़ी है,जहां खानपुर और लक्सर के दर्जनों गांव जलमग्न हैं उसी जिले के प्रभारी मंत्री सतपाल महाराज लगातार दृश्य से नदारद हैं! दुखद पहलू यह भी कि वे धामी कैबिनेट में मंत्रियों में सबसे वरिष्ठ भी हैं!