देहरादून/ दिल्ली: आमतौर पर चुनाव में टिकट बँटवारे को लेकर नामांकन के आखिरी दिन तक उलझती रहने वाली कांग्रेस उत्तराखंड चुनाव में प्रत्याशियों के ऐलान में भाजपा पर भारी पड़ेगी। जी हाँ ऐसे में जब सत्ताधारी दल पर स्थानीय स्तर पर बनी सत्ता विरोधी लहर की काट में डेढ़-दो दर्जन विधायकों के टिकट काटने की नौबत आ सकती है, वहीं कांग्रेस 70 विधानसभा सीटों की लड़ाई में 60 फीसदी से ज्यादा टिकटों पर नाम फाइनल कर चुकी है। कांग्रेस के कैंपेन कमांडर हरीश रावत कह भी चुके हैं कि 45 सीटों पर नामों के लेकर सहमति बन गई है। सवाल है कि आखिर वह 45 सीटें कौनसी हैं जहां पंजे के प्रत्याशियों का जनवरी के पहले हफ्ते में ऐलान संभव है।
वैसे तो कांग्रेस के मौजूदा नौ के नौ विधायकों को टिकट मिलना तय है ही फिर भी अगर जिलावार और सीटवार बात करें तो पिथौरागढ़ से म्यूख महर को टिकट मिलेगा, धारचूला से हरीश धामी चुनाव लड़ेंगे।जबकि डीडीहाट और गंगोलीहाट में पिछली बार हारे प्रत्याशियों पर ही दांव लगाने की तैयारी है लेकिन संभव है कि इन दोनों सीटों के प्रत्याशियों का नाम पहली लिस्ट में न आए।
अल्मोड़ा में मनोज तिवाड़ी, रानीखेत में करन माहरा, जागेश्वर से गोविंद सिंह कुंजवाल, द्वाराहाट से मदन सिंह बिष्ट चुनाव लड़ेंगे और ये नाम पहली लिस्ट में होंगे। जबकि सोमेश्वर से रेखा आर्य से पिछली बार हारे राजेन्द्र बाराकोटी पर ही कांग्रेस दांव लगा सकती है लेकिन इस सीट पर प्रत्याशी का ऐलान दूसरी लिस्ट में आ सकता है। दरअसल, यहाँ पूर्व सीएम हरीश रावत राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा को लड़ाने के समर्थन में हैं लेकिन मोदी लहर में पांच सौ के करीब वोटों से हारे राजेन्द्र बाराकोटी का टिकट काटना पार्टी के लिए कठिन होगा। सल्ट को लेकर हरदा वर्सेस ‘हनुमान’ वाले हालात हैं लिहाजा इस सीट पर फैसला रामनगर सीट के प्रत्याशी के ऐलान के साथ ही होगा। यानी सोमेश्वर और सल्ट में भी प्रत्याशी दिख रहे लेकिन पहली लिस्ट में ये नाम शामिल नहीं होंगे।
चंपावत से हेमेश खर्कवाल का नाम पहली लिस्ट में घोषित हो जाएगा लेकिन लोहाघाट में 2017 में बेहद मामूली अंतर से हारे खुशाल सिंह अधिकारी का नाम तय होकर भी शायद रणनीतिक लिहाज से दूसरी लिस्ट में घोषणा हो।
बागेश्वर जिले की कपकोट सीट पर ललित फर्सवाण के नाम का ऐलान पहली लिस्ट में ही हो जायेगा लेकिन जिले की दूसरी सीट बागेश्वर में कमजोर दिख रही कांग्रेस प्रत्याशी बाद में तय करेगी।
नैनीताल जिले में नैनीताल सीट पर संजीव आर्य को टिकट मिलेगा और उनका नाम भी पहली लिस्ट में घोषित हो जाएगा। जबकि हल्द्वानी से सुमित ह्रदयेश को कांग्रेस चुनाव लड़ाएगी और लालकुंआ से हरीश चन्द्र दुर्गापाल भी पहली लिस्ट में जगह पा जाएंगे। कालाढूंगी में महेश शर्मा पर सहमति बन चुकी है लेकिन संभव है कि पहली लिस्ट में ऐलान न हो।रामनगर का ऐलान सल्ट के साथ हो सकता है, वैसे रामनगर में रणजीत रावत का टिकट पक्का है बशर्ते कि कोई बड़ा उलटफेर न हो। भीमताल में दान सिंह भंडारी के नाम का ऐलान भी शायद पहली लिस्ट में न हो।
ऊधमसिंहनगर जिले में किसान आंदोलन का सबसे ज्यादा असर था लेकिन यहाँ दमदार प्रत्याशी चयन करने में कांग्रेस को कड़ी मेहनत करनी पड़ सकती है। बाजपुर से यशपाल आर्य, जसपुर से आदेश चौहान और खटीमा से भुवन कापड़ी के नाम पहली लिस्ट में दिखेंगे। बाकी सीटों पर तिलकराज बेहड़ से लेकर सुमित भुल्लर तक कई नाम हैं लेकिन जिताऊ दावेदारों की तलाश में कांग्रेस कुछ उलटफेर के इंतजार में पांच-छह सीटों पर प्रत्याशी उतारने में जल्दबाज़ी नहीं करना चाहेगी।
हरिद्वार जिले में भी तीन सीटिंग विधायक भगवानपुर से ममता राकेश, पिरान कलियर से फुरकान अहमद और मंगलौर से क़ाज़ी निज़ामुद्दीन के नाम ही पहली लिस्ट में होंगे। बाकी आठ सीटों में से झबरेड़ा, ज्वालापुर से लेकर लक्सर और हरिद्वार ग्रामीण जैसी सीटों पर जीत की उम्मीद लगाए कांग्रेस कई जगह मजबूत दावेदार होने के बावजूद शायद ही पहली लिस्ट में कोई और नाम उजागर करे!
देहरादून जिले की चकराता सीट से नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह, विकासनगर से नवप्रभात, धर्मपुर से दिनेश अग्रवाल और राजपुर रोड से राजकुमार के नाम पहली लिस्ट में आएंगे। जबकि सहसपुर से आर्येन्द्र शर्मा, देहरादून कैंट से सूर्यकांत धस्माना और डोईवाला से हीरा सिंह बिष्ट के नाम तय ही हैं लेकिन शायद ही पहली लिस्ट में घोषणा हो। ऋषिकेश से शूरवीर सिंह सजवाण की भी यही स्थिति रह सकती है। मसूरी, रायपुर में में अभी तस्वीर साफ होती नहीं दिख रही है।
उत्तरकाशी जिले की गंगोत्री सीट से विजयपाल सजवाण का नाम पहली लिस्ट में होगा। जबकि पुरोला में राजकुमार के जाने के बाद उधर से आने को बेताब भी हैं एक दावेदार, यमुनौत्री में दावेदार सामने हैं लेकिन घोषणा दूसरी लिस्ट में ही होगी।
टिहरी जिले में टिहरी से किशोर उपाध्याय, देवप्रयाग से मंत्री प्रसाद नैथानी और प्रतापनगर से विक्रम नेगी का नाम पहली लिस्ट में होगा। जबकि घनसाली, नरेन्द्रनगर और धनौल्टी में नाम बाद में तय होंगे।
चमोली जिले में बद्रीनाथ से राजेन्द्र भंडारी, थराली से डॉ जीतराम का नाम पहली लिस्ट में होगा। जबकि कर्णप्रयाग से उम्मीदवार बाद में तय होगा।
रुद्रप्रयाग जिले में केदारनाथ से मनोज रावत का नाम तय है ही, रुद्रप्रयाग से मातबर सिंह कंडारी का नाम भी पहली लिस्ट में हो सकता है।
चौथी विधानसभा में सबसे पॉवरफुल जिले के तौर पर दिखे पौड़ी में कांग्रेस भाजपा को तगड़ा झटका देने की कोशिश में है। श्रीनगर से गणेश गोदियाल, कोटद्वार से सुरेंद्र सिंह नेगी, चौबट्टखाल से राजपाल सिंह बिष्ट का नाम पहली लिस्ट में आएगा। जबकि यमकेश्वर में शैलेन्द्र रावत और पौड़ी मे भी नाम तय है लेकिन लैंसडौन में दावेदार के बावजूद उलटफेर की संभावना में नामों पर फैसला नहीं किया जा रहा।
कुल मुलाकात कहा जाए तो 13 जिलों की 70 विधानसभा सीटों में से 35 सीटों पर कांग्रेस के एक नाम पर मुहर है और उसका विरोध भी कहीं नहीं दिखता है। यानी आधी सीटों पर तस्वीर पूरी तरह साफ है और पहली लिस्ट में ये तमाम नाम रहेंगे लेकिन कुछ नाम ऐसे हैं जिन्हें बकौल हरदा अगर 45 नामों का ऐलान पहली लिस्ट में हुआ तो उनको जोड़ा जा सकता है, वह सीटें ये हो सकती हैं। सोमेश्वर से राजेन्द्र बाराकोटी, लोहाघाट से खुशाल सिंह अधिकारी, सहसपुर से आर्येन्द्र शर्मा, कैंट से सूर्यकांत धस्माना, डोईवाला से हीरा सिंह बिष्ट और ऋषिकेश से शूरवीर सिंह सजवाण, हरिद्वार शहर से सतपाल ब्रह्मचारी, पौड़ी से नवल किशोर, गंगोलीहाट से नारायण राम आर्य, भीमताल से दान सिंह भंडारी, कालाढूंगी से महेश शर्मा और किच्छा से तिलकराज बेहड़ जैसे नामों पर भी मुहर लग सकती है।
हालाँकि इनमें से सोमेश्वर और गंगोलीहाट जैसी सीटों पर अभी एक दौर की चर्चा और हो सकती है क्योंकि यहाँ पिछले बार हारे कांग्रेस प्रत्याशियों के प्रदीप टम्टा और खजान गुड्डू के तौर पर मजबूत प्रतिद्वन्द्वी भी दिख रहे हैं।
कांग्रेस के सामने सबसे पेचीदा स्थिति इन सीटों पर दिख रही?
रायपुर में उमेश शर्मा काऊ के सामने कौन उतारा जाए? तो रूड़की, भेल रानीपुर, रुद्रपुर, काशीपुर, डीडीहाट, बागेश्वर, खानपुर, सितारगंज जैसी कुछ सीटों पर दमदार दावेदारों पर दांव खेलने में कांग्रेस को अतिरिक्त पसीना बहाना पड़ रहा है।
बहरहाल कांग्रेस भाजपा के मुकाबले तेजी दिखाकर पहली लिस्ट में आधे से अधिक प्रत्याशी उतारकर मनोवैज्ञानिक बढ़त लेना तो चाह ही रही है। साथ ही, सत्ताधारी दल पर दबाव भी बना देना चाहती है क्योंकि भाजपा को जब कई सीटिंग विधायकों के खिलाफ दिख रही एंटी इंकमबेंसी के चलते टिकट काटने या न काटने के जोखिम से जूझना पड़ रहा तब कांग्रेस टिकटों पर तस्वीर साफ कर अपने बेहतर होमवर्क की झलक पेश कर देना चाह रही है।