हरदा vs प्रीतम कैंप वॉर तोड़ न दे फिर कांग्रेस! पंजाब कांग्रेस में कलह कुरुक्षेत्र अभी चरम पर उत्तराखंड में तो नहीं लिखी जा रही विघटन की नई पटकथा

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देहरादून: कांग्रेस आलाकमान के लिए पंजाब गर्म दूध साबित हो रहा है। कैप्टेन वर्सस सिद्धू जंग खत्म कराने में कांग्रेस आलाकमान के पसीने छूट रहे हैं। कांग्रेस न कैप्टेन को नाराज करने का जोखिम मोल लेना चाहती है और ना ही नवजोत सिंह सिद्धू को खोना चाहती है। कांग्रेस दावा जरूर कर रही है कि जल्द कैप्टेन-सिद्धू कलह पर विराम लगेगा और सुलह समझौते की औपचारिक घोषणा हो जाएगी।


खैर, पंजाब से निपटते ही कांग्रेस आलाकमान के लिए कलह कुरुक्षेत्र का अगला पहाड़ उत्तराखंड बने तो आश्चर्य नहीं होगा। पहाड़ पॉलिटिक्स में कांग्रेस में एक बड़ी बग़ावत हरदा राज में 18 मार्च 2016 को हो चुकी, जब नौ विधायकों ने पूर्व सीएम विजय बहुगुणा की अगुआई में पाला बदल लिया था। 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में हुई टूट ने पार्टी को 11 सीटों पर समेटने में अहम भूमिका निभाई थी।

अब 2022 के चुनाव से पहले उत्तराखंड कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष और अध्यक्ष को लेकर शुरू हुआ हरदा वर्सेस प्रीतम वॉर कहीं नई टूट की नींव न रख दे। सूत्र बताते हैं कि पूर्व सीएम हरीश रावत ने आलाकमान को साफ मैसेज दे दिया है कि कैंपेन कमेटी के अध्यक्ष वह तभी बनेंगे जब प्रीतम सिंह नेता प्रतिपक्ष बन जाएं और अध्यक्ष उनकी पसंद गणेश गोदियाल को बनाया जाए। उधर प्रीतम सिंह पीसीसी चीफ पद छोड़कर नेता प्रतिपक्ष बनने तो कतई तैयार नहीं हैं जैसी कि खबरें उड़ रही। सूत्रों का कहना है कि प्रीतम सिंह भी हरदा की तर्ज पर पार्टी नेतृत्व को साफ संदेश दे चुके हैं कि अगर पार्टी उनसे अध्यक्ष पद लेना चाहती है तो वे आम कार्यकर्ता बनकर काम करेंगे न कि नेता प्रतिपक्ष बनेंगे।


हालाँकि कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष धीरेन्द्र प्रताप दावा कर रहे हैं कि जल्द हरीश रावत और प्रीतम 2022 के चुनावी समर में राजनीतिक विरोधियों को हराने को एक मंच से दहाड़ते नजर आएंगे। कहीं कोई झगड़ा नहीं है और जल्द नेता प्रतिपक्ष का ऐलान हो जाएगा।


दरअसल कहा जा रहा है कि प्रीतम सिंह अध्यक्ष पद छीनकर नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने की अटकलबाजी से आहत बताए जा रहे हैं। उनके एक समर्थक ने नाम न छापने की शर्त पर The News Adda को बताया कि प्रीतम सिंह को ऐसे परेशान और अपमानित कराकर उनके सियासी विरोधी कहीं न कहीं पार्टी में विघटन की पटकथा लिखने पर आमादा हैं। जाहिर है पंजाब से फुरसत मिलने के बाद कांग्रेस नेतृत्व के लिए हरदा और प्रीतम कैंपों की कलह शांत कराना अगली चुनौती होगी।


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