Backdoor recruitment in Uttarakhand Assembly: उत्तराखंड विधानसभा में बैकडोर नियुक्तियों का जिन्न एक बार फिर बाहर आ चुका है और सत्ताधारी भाजपा से लेकर विपक्षी कांग्रेस को परेशान कर रहा है। दरअसल, बवाल तो UKSSSC Paper Leak कांड को लेकर मचा था जिसमें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सख्ती के चलते एसटीएफ ने दो दर्जन से अधिक आरोपियों की गिरफ़्तारी कर डाली है और हाकम सिंह रावत जैसे नक़ल माफिया सैलाखों के पीछे हैं और अब तलाश ऐसे नक़ल के हाकमों के असल हाकिमों की हो रही है। लेकिन इसी बीच हल्ला मच उठा विधानसभा में बैकडोर भर्तियों को लेकर जिसमें आक्रामक होकर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने भी पूर्व स्पीकर और धामी सरकार में संसदीय कार्य व वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल पर हमला बोला।
बैकडोर भर्तियों पर बौखलाएं अग्रवाल अभी कभी सफाई कभी घुड़की देते पसीना पसीना हो ही रहे थे कि लपेटे में आ गए उनके पूर्ववर्ती स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल। कुमाऊं के गांधी कहलाने वाले कुंजवाल ने करीब 158 लोगों को जिनमें अधिकतर उनके ‘अपने’ थे, उनकी सादे कागज पर अर्ज़ी लेकर मर्ज़ी की नौकरियां खैरात में बांट दीं। कुंजवाल ने अग्रवाल के बताए मंत्र ‘आवश्यकतानुसार और नियमानुसार’ को चरितार्थ करने के लिए सबसे पहले अपने घर से बेटे-बहू और भतीजे को ही चुना और सगे-संबंधियों की तैनाती सुनिश्चित करने के बाद अपने बाकी चाहने वालों को खैरात में ‘अर्ज़ी पर मर्ज़ी की नौकरियां’ बांटी।
अब सियासी गलियारे में हल्ला मचना लाज़िमी था आखिर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के विश्वस्त कुंजवाल से जुड़ा विधानसभा में बैकडोर नियुक्तियों की जिन्न बोतल से यूँ तो बाहर नहीं ही निकाला गया होगा ! हरदा बखूबी जानते हैं कि UKSSSC Paper Leak Scam पर मचे हल्ले के बीच बैकडोर भर्तियों के मुद्दे को उछालकर जैसे भाजपा का एक धड़ा सीएम धामी को काउंटर करने का रास्ता तलाश रहा होगा, ठीक वैसे ही यह मुद्दा और तूल पकड़ेगा तो कुंजवाल के बहाने वे खुद (हरदा) भी कांग्रेस के भीतर के ‘अपने’ चाहने वालों के निशाने पर होंगे।
यहीं वजह है कि जहां विधानसभा में कुंजवाल से अग्रवाल तक बैकडोर भर्तियों को लेकर नए सिरे से छिड़ी बहस पर लोगों को हरदा की चुप्पी अखर रही थी, वैसे ही हरदा को यह हल्ला खामखां का नियोजित शोर-शराबा लग रहा। इसलिए हरदा विधानसभा में बैकडोर भर्ती का मुद्दा उठाने वाले पार्टी के ‘अपने’ चाहने वालों से बाद में निपटेंगे, सबसे पहले उन्होंने मीडिया को निशाने पर लिया है।
हरदा ने कहा है कि उत्तराखंड की नियोजित पत्रकारिता धन्य है, जो पैसे लेकर सरकारी नौकरियों की बोली लगाने वाले सिंडिकेट को एक्सपोज और धरपकड़ के मुद्दे को छोड़कर विधानसभा में बैकडोर भर्तियों का राग अलापने लग गई है। हरीश रावत ने कहा कि कुछ लोगों को उनकी चुप्पी अखर रही है तो वे आकर उनसे सवाल जवाब कर लें। रावत ने कहा कि वे इस मुद्दे पर अपनी राजनीति नहीं चमकाना चाहते हैं और न ही वे किसी न्यूज चैनल से जुड़े पत्रकार हैं कि जो उन्हें ब्रेकिंग न्यूज चलानी हो।
बात सही भी है आखिर हर बात को बतंगड़ बनाकर ब्रेकिंग न्यूज चलाना असल पत्रकारिता है भी नहीं। लेकिन हरदा को कोई कैसे समझाए कि जैसे आज कांग्रेस प्रेमचंद अग्रवाल के विधानसभा अध्यक्ष रहते हुई नौकरियों की बंटरबांट को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को भी निशाने पर ले रही है, तब हरदा राज में स्पीकर रहते गोविंद सिंह कुंजवाल जिस तरह से बिना तारीख की अर्ज़ी लेकर मर्ज़ी की नौकरी बाँटते गए वैसा विरल उदाहरण उत्तराखंड में 22 साल में दूसरा नहीं होगा और उस लिहाज से इस पर पूर्व मुख्यमंत्री री चुप्पी भला क्यों न अखरे! या फिर प्रेमचंद अग्रवाल के दाग दाग हैं और कुंजवाल के ‘दाग अच्छे हैं’?
बहरहाल आप यहां पढ़िए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सोशल मीडिया में क्या लिखा है हूबहू-
#पत्रकारिता
उत्तराखंड और उत्तराखंड की नियोजित पत्रकारिता धन्य हो। मामला था एक सिंडिकेट और सुनियोजित तरीके से राज्य की राजकीय सेवाओं में धन लेकर लोगों को भर्ती कर रहा था, एक गंभीर रोग और अब सारा उत्तराखंड सिमट आया है विधानसभा में नियुक्तियों को लेकर। मैं मुख्यमंत्री के बयान की सराहना करता हूं। सारी नियुक्तियों की जांच होनी चाहिए और मैं मुख्यमंत्री जी से आग्रह करना चाहूंगा कि इन नियुक्तियों की अपने स्तर पर भी स्कैनिंग करें जो नियुक्ति नियम और विधि विधान के विरुद्ध हुई है, उन नियुक्तियों को विधानसभा प्रस्ताव पारित करके कैंसिल करे ताकि किसी भी अध्यक्ष को भविष्य में इस तरीके के दर्द कदम उठाने की हिम्मत न पड़े। बहुत सारे लोग कि मैं चुप क्यों हूँ, इसको चीख-चीखकर के कह रहे हैं जैसे इस समय जो माफिया तंत्र सिंडिकेट राजकीय सेवाओं की बिक्री कर रहा है, वह प्रमुख अपराधी नहीं है बल्कि जो है फोकस हरीश रावत पर होना चाहिए। मैं उन सब पत्रकारों को चुनौती देकर के कहना चाहता हूं कि मेरे इतने साल के सार्वजनिक जीवन में एक ऐसा व्यक्ति बता दीजिए मेरे परिवार, मेरे नातेदार व मेरे रिश्तेदार जिसको मेरे प्रभाव के कारण नौकरी दी गई! मैंने मदद जरूर की है। लेकिन मैंने नौकरी में किसी के हक को नहीं मारा है, विधानसभा में भी जिसको प्रेमचंद अग्रवाल जी ने कहा है कि परंपरा है मैंने उसका पालन किया है। मैंने उस परंपरा का भी कभी फायदा नहीं उठाया। यदि है कोई ऐसा व्यक्ति तो बताएं। मैं अपने पार्टी के महत्वपूर्ण कार्य से दिल्ली में हूं। हमारी पार्टी के सामने बहुत चुनौतीपूर्ण स्थितियां हैं और मुझे जो कुछ भी भर्ती घोटाले पर कहना था, मैं कह चुका हूं। मैं ऐसा नहीं चाहता कि भर्ती घोटाला मामला तो कहीं और चला जाए, और दंड मिल जाए उन लोगों को जो लाइन लगाकर के नौकरी के लिए खड़े हैं। यदि फिर भी कुछ दोस्त कुछ कहना चाहते हैं तो मैं आज 02:30-03:00 बजे की फ्लाइट से देहरादून आ रहा हूं। 5:00 बजे मैं अपने आवास देहरादून में पहुंचूंगा, जिन लोगों को जो कुछ भी पूछना है, मैं उन सबको सादर आमंत्रित कर रहा हूं और यदि आज नहीं आ सकते हैं तो मैं कल उनको अपने आवास पर 11:30 बजे सादर आमंत्रित कर रहा हूं जो भी उनके प्रश्न होंगे, उन प्रश्नों का उत्तर दिया जाएगा और यह भी बताया जाएगा कि कुछ मामलों में यदि कम बोला जाए तो वह कैसे राज्य और विशेष तौर पर नौजवान जो नौकरी की लाइन में खड़े हैं उनकी मदद कर सकता है। मुझे अपनी राजनीति न ही चमकानी है। क्योंकि मैं किसी चैनल में नहीं हूं कि जिसमें ब्रेकिंग न्यूज़ बनानी है। मैं ऐसा कोई बयान नहीं देना चाहता हूं जिससे नौजवानों की कमर टूटे।
हरीश रावत