दिल्ली/देहरादून: उत्तराखंड में कांग्रेस की सत्ता में वापसी को लेकर पार्टी हाईकमान ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को पंजाब प्रभारी पद से मुक्त कर देवभूमि दंगल में बीजेपी से दो-दो हाथ करने को फ़्रीहैंड दे दिया है। दो दिन पहले ही हरदा ने सोशल मीडिया पर लिखा था कि उनके सामने जन्मभूमि से न्याय या कर्मभूमि से न्याय का सियासी धर्मसंकट खड़ा है। इसलिए रावत ने पार्टी हाईकमान से गुज़ारिश की थी कि उनको उत्तराखंड चुनाव तक पूरी तरह समर्पित होकर जन्मभूमि में काम करने दिया जाए।
पढिए हरदा ने क्या कहा था?
पंजाब प्रभार से मुक्त होने पर हरदा ने ये कहा:
“मैं, माननीया कांग्रेस अध्यक्षा श्रीमती #सोनियागांधी जी, श्री #राहुलगांधी जी और कांग्रेस के नेतृत्व को बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूंँ कि उन्होंने पंजाब के दायित्व से मुझे मुक्त करने का जो मेरा अनुरोध था उसे स्वीकार किया और मैं, पंजाब कांग्रेस के सभी अपने साथी, सहयोगियों को उनके द्वारा मेरे कार्यकाल में प्रदत सहयोग के लिए भी बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूंँ और पंजाब कांग्रेस व पंजाब के साथ हमारा प्रेम, स्नेह, समर्थन हमेशा यथावत बना रहेगा। बल्कि मेरा प्रयास रहेगा कि चुनाव के दौरान मैं, पंजाब कांग्रेस के साथ खड़ा होने के लिए वहां पहुंचू और मैं, पंजाब कांग्रेस के नेतृत्व से भी विशेष तौर पर मुख्यमंत्री जी और अपने कुछ मंत्रीगणों, कांग्रेस अध्यक्ष से प्रार्थना करना चाहूंगा कि वो उत्तराखंड के चुनाव में भी रुचि लें और यहां आकर हमारी पीठ ठोकने का काम करें।”
“पंजाब के दोस्तों विशेषत: कांग्रेसजन, मैं आपके प्यार और समर्थन को नहीं भूल सकता। मैं आपसे अलग नहीं हूँ। पार्टी के प्रति कर्तव्य की पुकार है कि मैं एक स्थान विशेषत: #उत्तराखंड में पूरी शक्ति लगाऊं। मेरे दिल में हमेशा पंजाब रहेगा। यूं भी मेरे दिल में एक पंजाब स्थाई रूप से बसता है, जहां से प्रतिदिन पंजाबियत की खुशबू मेरे मन को आनंदित करती है। दिवाली आ रही है, गुरु पर्व आ रहा है, आप सबको ढेर सारी बधाइयां”
दरअसल उत्तराखंड, यूपी और पंजाब में एक साथ अगले साल चुनाव होने हैं और उत्तराखंड में सत्ता में वापसी को बेक़रार कांग्रेस को हरदा को पहाड़ प्रदेश पर फोकस करने को लेकर फ़्रीहैंड मिलने से नई ताकत मिलेगी। वैसे हरीश रावत असम प्रभार लेकर पंजाब का ज़िम्मा मिलने के बाद से ही उत्तराखंड के बाहर ज्यादा काम करना नहीं चाहते थे लेकिन पिछले दिनों जिस तरह से पंजाब कांग्रेस में कलह कुरुक्षेत्र छिड़ा उसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी व राहुल गांधी ने हरदा जैसे अनुभवी नेता के जरिए न केवल कैप्टन अमरिंदर सिंह से कुर्सी लेकर दलित चाहते चरणजीत सिंह चन्नी की ताजपोशी कराई बल्कि प्रधान पद पर क़ाबिज़ होते ही विवाद खड़ा कर बैठे नवजोत सिंह सिद्धू को भी ‘जगह’ दिखाने का काम कराया।
अब हरीश रावत को ठीक उत्तराखंड चुनाव से पहले पंजाब से फ्री कर दिया गया है। हालाँकि वे कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य जरूर रहेंगे लेकिन अब रावत को सौ फीसदी ताकत के साथ देवभूमि के दंगल में झोंकने की तैयारी है। खुद हरदा भी कह चुके कि वे कुछ माह उत्तराखंड पर ही फोकस करना चाहते हैं। दरअसल 2017 से रावत को एक टीस परेशान कर रही कि आखिर उनकी अगवाई में कांग्रेस को मोदी सूनामी में कैसे सबसे करारी शिकस्त मिलती है। रावत की रणनीति है कि बाइस बैटल में अब जब पांच साल की सत्ता का हिसाब बीजेपी को देना है और उसे तीन-तीन मुख्यमंत्री बदलकर राज्य में राजनीतिक अस्थिरता की तोहमत के तीर भी झेलने हैं तथा राज्यों में मोदी मैजिक भी फ़ीका पड़ रहा, तब 2017 के संग्राम का हिसाब चुकता कर लिया जाए।
अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या कांग्रेस आलाकमान ठीक चु्नाव से पहले हरीश रावत को मुख्यमंत्री को चेहरा भी बनाता है या फिर पंजाब व केन्द्रीय पार्टी दायित्वों से मुक्त हुए हरदा अपने खास सियासी अंदाज से खुद ही माहौल अपने पक्ष में करने का करिश्मा दिखाते हैं। लेकिन इतना तय है कि हरदा को उत्तराखंड में पूरी ताकत के साथ झोंकने का संकेत देकर कांग्रेस नेतृत्व ने बीजेपी कैंप में खलबली तो मचा ही दी है।