देहरादून: इसे पहाड़ प्रदेश की राजनीति की विडंबना नहीं कहेंगे तो और भला क्या कहेंगे कि सत्तापक्ष बार-बार नेता सदन यानी मुख्यमंत्री बदल दे रहा है। और चुनाव के चंद माह और एक-दो सत्र बचे होने के बावजूद मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को नेता प्रतिपक्ष खोजे नहीं मिल रहा। डॉ इंदिरा ह्रदयेश के आकस्मिक निधन से खाली हुए नेता प्रतिपक्ष पद के बहाने हरदा वर्सेस प्रीतम जंग में पेंच ऐसे उलझे हैं कि हल निकलता नहीं दिख रहा। आलाकमान भी सिर पकड़कर बैठा है कि समाधान कैसे निकाले जो दोनों कैंपों को रास आ जाए। न पीछे हरदा हट रहे और न प्रीतम। पार्टी सिर्फ नया नेता प्रतिपक्ष ही बनाए या फिर अध्यक्ष भी बदले इसे लेकर महामंथन खूब हो चुका लेकिन समाधान नहीं निकल पाया है।
अब कांग्रेस को प्रेस रिलीज़ जारी कर सफाई देनी पड़ रही कि अभी नेता प्रतिपक्ष या किसी अन्य पद पर कोई फैसला नहीं हुआ है क्योंकि कैंप वॉर में सोशल मीडिया पर कभी हरदा समर्थक चला दे रहे कि अध्यक्ष गणेश गोदियाल, नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह और कैंपेन कमिटी अध्यक्ष हरीश रावत बन गए हैं। तो कभी प्रीतम कैंप की तरफ से ऑल इज वेल फ़िलर देते प्रीतम के पीसीसी चीफ बने रहने और नेता प्रतिपक्ष भी उनकी पसंद का बनने की खबरें तैर जा रही। नतीजा ये कि पार्टी को कहना पड़ रहा कि अभी कोईं फैसला नहीं लिया गया है।
उधर राजनीतिक अस्थिरता के गम्भीर आरोप झेल रही बीजेपी ने चार महीने गुज़रे नहीं और तीसरे सीएम को शपथ दिला दी है। प्रदेश के राजनीतिक गलियारे में चर्चा इसी बात को लेकर है कि चुनाव आते-आते और कितने रंग दिखाएगी पहाड़ पॉलिटिक्स!