देहरादून: कहते हैं कोई वटवृक्ष गिरता है तो अपने आसपास गहरे निशान छोड़ जाता है और नई कोपलों को मजबूत तने बनने में अरसा गुज़र जाता है। लेकिन 2022 की बैटल पहाड़ पॉलिटिक्स के दरवाजे दस्तक दे रही है लिहाजा कांग्रेस के पास वक्त बहुत अधिक नहीं है। पार्टी के सामने चुनौती ये है कि इंदिरा के आकस्मिक निधन से खाली हुई जगह को कैसे भरा जाए। जल्द पार्टी को फैसला करना होगा कि डॉ इंदिरा के जाने से हुए रिक्त स्थान को उपनेता करन माहरा के ज़रिए भरा जाए या किसी और नए चेहरे को आगे किया जाएगा।
2017 के चुनाव नतीजों मे कांग्रेस और हरीश रावत की हार के बाद वरिष्ठता के लिहाज से डॉ इंदिरा ह्रदयेश ही वो नेता थी जिसको पार्टी ने सदन में नेता विधायक दल यानी नेता विपक्ष का ज़िम्मा सौंपा था। इंदिरा ने अपने राजनीतिक और संसदीय अनुभव के सहारे महज 11 विधायकों के कमजोर विपक्षी हमले को धारदार बनाए रखा।
अब सवाल है कि क्या उपनेता विपक्ष करन माहरा को ही बचे हुए टर्म के लिए नेता प्रतिपक्ष का ज़िम्मा सौंपा जाएगा या गोविंद सिंह कुंजवाल जैसे वरिष्ठ विधायक को ही ये ज़िम्मेदारी दी जाएगी। या फिर महिला नेता विपक्ष के जाने के बाद पार्टी कि प्रदेश में बची इकलौती विधायक ममता राकेश को आगे किया जा सकता है। ममता पार्टी की न केवल महिला विधायक हैं बल्कि मैदानी क्षेत्र में दलित चेहरा भी हैं। बीजेपी ने चुनावी साल में मदन कौशिक को अध्यक्ष बनाकर प्लेन के वोटर को साधने का दांव खेला है, ऐसे में कांग्रेस भी इस पर सोच सकती है। वैसे संसदीय और विधायी कामकाज को लेकर मंगलौर विधायक क़ाज़ी निज़ामुद्दीन भी एक नाम हो सकते हैं जिनकी राष्ट्रीय सचिव के नाते दिल्ली दरबार में ठीकठाक पकड़ है।
कहा जा रहा है कि जल्द विधायक दल नेता पर मंथन कर नए नाम पर मुहर लगा दी जाएगी। भले अब सरकार का कार्यकाल चंद महीनों का ही बचा हो और विधानसभा के एक-दो सत्र ही आयोजित होंगे, उस पर भी कोरोना महामारी का साया रहेगा। लेकिन कांग्रेस पॉलिटिक्स में नेता विधायक दल की बड़ी अहमियत है। दरअसल, प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष यानी विधायक दल नेता पार्टी आलाकमान से लगातार संपर्क में रहते हैं और अहम बैठकों में उनकी उपस्थिति अनिवार्य रहती है। फिर चाहे टिकट वितरण का अहम मसला हो या सत्ताधारी दल पर हमलावर होने के लिए बनाई जाने वाली चुनावी व्यूहरचना, हर जगह सीएलपी की अहमियत रहती है। जाहिर है इस महत्वपूर्ण पद को लेकर हरदा और प्रीतम में अपनी-अपनी पसंद को आगे करने की होड़ दिख सकती है।