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3 राज्य 180 सीटें और कांग्रेस के हिस्से सिर्फ 8, मोदी दौर में ग्रैंड ओल्ड पार्टी का कैसे हो रहा डिब्बा गोल!

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पूरब में भी नहीं उगा कांग्रेस का सूरज

2023 का जैसा आगाज हुआ

हालात न बदले तो 2024 में यही होगा अंजाम

Election Results 2023 and Congress dismal performance continues in North East: गांधी परिवार से अलग होकर कर्नाटक से दलित चेहरे मल्लिकार्जुन खड़गे को अध्यक्ष चुनने से लेकर राहुल गांधी द्वारा भारत जोड़ो यात्रा में भारी भीड़ जुटाने और महंगाई,भ्रष्टाचार जैसे तमाम मुद्दों के बावजूद नॉर्थ ईस्ट के तीन राज्यों के चुनाव नतीजों ने फिर साबित कर दिया कि पूरब में भी ग्रैंड ओल्ड पार्टी कांग्रेस का सूरज नहीं उग पाया है।

नॉर्थ ईस्ट के तीन चुनावी राज्यों त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड की कुल 180 सीटों में से कांग्रेस के हिस्से महज 8 सीटें ही आ सकीं हैं। कांग्रेस का सबसे बुरा हाल नगालैंड में हुआ है जहां पार्टी शून्य पर सिमट गई है। जबकि त्रिपुरा में लेफ्ट के साथ गठबंधन करके लड़ने का उसे इतना ही फायदा हुआ कि उसके हिस्से में 3 सीटें आ गई हैं। 2018 में कांग्रेस त्रिपुरा में अकेले लड़कर जीरो पर आउट हो गई थी। वहीं, मेघालय में जहां कभी कांग्रेस की पूरे प्रदेश में धमक होती थी वह भी वह घटकर अब महज पांच सीटों पर सिमट गई है।

वैसे अकेले नॉर्थ ईस्ट के इन तीन राज्यों की ही बात क्या करें कांग्रेस की स्थिति पैन इंडिया स्तर पर खस्ता से और खस्ताहाल होती जा रही है।

4 राज्यों में जीरो MLA, पश्चिम बंगाल में उपचुनाव में जीत के बाद कल खुला खाता

यह मोदी सत्ता काल का ही असर है कि पैन इंडिया प्रेजेंस रखने वाली कांग्रेस अब राज्य सर राज्य सिकुड़ती जा रही है। 2014 के लोकसभा चुनाव से देश की सियासत में शुरू हुए मोदी दौर से पहले 11 राज्यों में कांग्रेस की अकेले या सहयोगियों के साथ सरकारें थीं और 14 राज्यों में वह विपक्षी की भूमिका में दिखाई देती थी। अकेला सिक्किम एक ऐसा राज्य था जहां कांग्रेस का एक भी विधायक नहीं था लेकिन आज 2023 में हालात बिलकुल जुदा हो चुके हैं।

आज देश के पांच राज्य आंध्र प्रदेश, नगालैंड, सिक्किम, दिल्ली और पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के विधायकों की संख्या शून्य है। बंगाल में 2021 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जीरो पर आउट हो गई थी लेकिन गुरुवार को आए उपचुनाव नतीजों के बाद पश्चिम बंगाल में जरूर कांग्रेस का एक विधायक चुन लिया गया है। 9 राज्यों में कांग्रेस के विधायकों की संख्या 10 से भी कम रह गई है।

आज कांग्रेस की अकेले राजस्थान, छत्तीसगढ़ और हिमाचल प्रदेश में सरकारें हैं जबकि तीन राज्यों बिहार, झारखंड और तमिलनाडु में उसकी गठबंधन सरकारें हैं। आज देश में कुल 4033 विधायक हैं जिनमें से कांग्रेस के हिस्से अब 658 विधायक ही बचे हैं। मोदी सत्ता के बीते आठ नौ सालों में कांग्रेस के विधायकों की संख्या 24 प्रतिशत से घटकर 16 प्रतिशत ही रह गई है। मोदी राज कायम होने के बाद से कांग्रेस 331 विधायक गंवा चुकी है जबकि बीजेपी ने 474 विधायक और जोड़े हैं।

एक जमाने में सियासी लिहाज से देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में कांग्रेस सत्ता सिरमौर होती थी आज 403 में उसके सिर्फ दो विधायक ही हैं और इकलौती सांसद पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी हैं।

जाहिर है भारत जोड़ो यात्रा के जरिए कांग्रेस को नए सिरे से खड़ा करने को पैदल चले राहुल गांधी के सामने 2024 से पहले विधानभा चुनावों का चैलेंज बहुत बड़ा है। नॉर्थ ईस्ट को छोटे राज्य करार देकर अपनी हार के गम को छिपा रही कांग्रेस के सामने असल चुनौती फिर दो माह बाद कर्नाटक में आ रही है और उसके बाद तेलंगाना से लेकर हिंदी पट्टी के राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश चुनाव।

राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और राहुल गांधी के सामने अपनी पांच साल की सरकार के बाद बीजेपी की तर्ज पर रिपीट करके दिखाने की चुनौती होगी तो मध्यप्रदेश और कर्नाटक में सत्ता में वापसी का टास्क। साफ है 2024 के फाइनल मुकाबले से पहले कांग्रेस और राहुल गांधी को सेमीफाइनल में खुद को साबित करके दिखाना होगा। नॉर्थ ईस्ट के नतीजों को देखें तो कांग्रेस और राहुल गांधी सेमीफाइनल मुकाबले का पहला दौर हार बैठे हैं।

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