- सत्यपाल मलिक राज्यपाल रहते किसान आंदोलन के बड़े हिमायती रहे
- पश्चिमी यूपी से लेकर दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब तक फैले समर्थक
- मलिक से महाभारत लड़ना 2024 में मोदी के लिए खड़ी कर देगा मुसीबत !
Modi vs Malik! विपक्ष की सियासत की सबसे बड़ी कमजोरी यही है कि जिस अंदाज में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आक्रामक होकर हल्लाबोल करते हैं, राहुल गांधी से लेकर ममता बनर्जी हों या केसीआर जैसे तमाम प्रतिपक्ष के दिग्गज उस अंदाज में पलटवार नहीं कर पाते हैं। लेकिन पुराने समाजवादी और लोहियाइट सत्यपाल मलिक बखूबी जानते हैं कि ब्रांड मोदी की कौनसी दुखती रग है जिसे दबाने से सत्ता प्रतिष्ठान से लेकर बीजेपी को सबसे अधिक दर्द हो सकता है। ऐसे में सत्यपाल मलिक को सीबीआई के बहाने घेरने का दांव कहीं प्रधानमंत्री मोदी के लिए नए सियासी संकट का सबब न बन जाए!
शनिवार को दिनभर चले घटनाक्रम ने इशारा कर दिया है कि सीबीआई के नोटिस के बाद पूर्व राज्यपाल मालिक धीरज न धरकर और अधिक हमलावर होंगे। जम्मू कश्मीर सहित चार राज्यों के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक आज जिस तरह से ढाई घण्टे दिल्ली के आरके पुरम पुलिस थाने में बैठे रहे और पुलिस कहती रही कि पूर्व राज्यपाल को गिरफ्तार नहीं किया गया है।
लेकिन हरियाणा,पंजाब,दिल्ली,राजस्थान और पश्चिमी यूपी से खाप पंचायतों के प्रतिनिधि आरके पुरम जुटने लगे, उससे साफ संकेत मिलते हैं कि मलिक से जिस दिन सीबीआई पूछताछ करेगी उस दिन ये खाप पंचायतों के प्रतिनिधि और किसान नेता समर्थन में उतरने से नहीं चूकेंगे।
क्यों मलिक से महाभारत पड़ सकता है महंगा!
दरअसल, उत्तर भारत की गऊ पट्टी ही वह पॉलिटिकल लैबोरेटरी है जहां से मोदी सत्ता को 2014, रहा हो या फिर 2019, फौलादी ताकत मिलती रही है। यूपी, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान सहित मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़, बिहार जैसे राज्यों में बीजेपी ने मोदी लहर पर सवार होकर लगभग विपक्षियों को रौंद डाला था।
आज की राजनीतिक तस्वीर ये है कि बिहार में लालू नीतीश के साथ आने से संकट बढ़ गया है और अगर सत्यपाल मलिक ने अपने खुलासों के बाद केंद्र सरकार द्वारा परेशान करने की पटकथा जनता तक डिलीवर कर दी तो पश्चिमी यूपी, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब में बीजेपी के लिए किसान आंदोलन की तर्ज पर मुश्किल बढ़ जाएगी।
आज कर्नाटक के जरिए दक्षिण में दाखिल हुई बीजेपी को अपना ये किला बचाने के लिए कांग्रेस से कड़ा मुकाबला करना पड़ रहा है और उत्तर भारत में मलिक जैसे वोकल नेता को अपने खिलाफ खड़ा करने का जोखिम मोदी शाह के लिए चौबीस की चुनौती और कठिन बना सकता है।
सत्यपाल मलिक खुद जाट बिरादरी से आते हैं और समाजवादी नेता के नाते दूसरी किसान बिरादरियों में भी उनकी पकड़ है। ऐसे में किसान आंदोलन से मोदी सत्ता पर गुस्साया तबका अगर फिर से लामबंद होने लगा तो इससे राजस्थान में इसी साल हो रहे विधानसभा चुनाव में ही कहीं नुकसान उठाना न पड़ जाए। राजस्थान में जाट बिरादरी का सियासत पर खासा असर है और किसान आंदोलन के दौर की नाराजगी से बनी दरारें उबरने लगी तो दूसरी किसान बिरादरी साथ न आएं इसकी गारंटी भी नहीं है।
जाहिर है पुलवामा आतंकी हमले के लिए मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा कर चुके सत्यपाल मलिक बेहद सोची समझी रणनीति के तहत मीडिया में बयानबाजी कर दबाव बढ़ाते जा रहे हैं। जैसे जैसे 2024 का दंगल नजदीक आता जाएगा, मलिक अपने तरकश से कई और तीर छोड़कर मोदी शाह की मुसीबत बढ़ाने का काम करेंगे। सत्यपाल मलिक बेहद सधे अंदाज में खुलासे कर मोदी सत्ता की घेराबंदी कर रहे हैं और राहुल गांधी हों या कोई अन्य विपक्षी नेता उनके मुकाबले सत्यपाल का निशाना कहीं अधिक अचूक रहता है।
फिलहाल तो सत्यपाल मलिक के समर्थन में उतरे खाप और किसान नेताओं ने पूर्व राज्यपाल की सुरक्षा के लिहाज से जेड प्लस सिक्योरिटी देने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस और विपक्षी दलों के प्रतिनिधियों की कमेटी बनाकर पुलवामा हमले सहित उनके आरोपों की निष्पक्ष जांच की मांग की है।
जाहिर है मलिक अपने लिए सहानुभूति और मोदी सत्ता के लिए मुश्किल बढ़ाने का ग्राउंड तैयार करने में जुट चुके हैं। देखना होगा सीबीआई पूछताछ के समय सियासत किस तरह की करवट लेती है क्योंकि विपक्षी दल भी मलिक के पीछे खड़े होने की तैयारी करते दिख सकते हैं।