दिल्ली/देहरादून: उत्तराखंड कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष के बहाने छिड़ा हरदा-प्रीतम कैंप वॉर आज या कल में थम सकता है। कांग्रेस सूत्रों ने खुलासा किया है कि आज या कल में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष को लेकर बने गतिरोध का पटाक्षेप हो जाएगा। दरअसल डॉ इंदिरा ह्रदयेश के आकस्मिक निधन के बाद नया नेता प्रतिपक्ष खोजने निकली कांग्रेस हरदा कैंप के प्रदेश अध्यक्ष बदलाव के दांव के चलते संकट में फंस गई। पूर्व सीएम हरीश रावत ने आलाकमान के सामने गढ़वाल और कुमाऊं तथा ठाकुर-ब्राह्मण संतुलन साधने को प्रीतम सिंह को नेता प्रतिपक्ष यानी सीएलपी लीडर बनाने और गणेश गोदियाल को अध्यक्ष बनाकर फिर खुद के कैंपेन कमेटी की कमान संभालने का गणित रखा है।
जबकि प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह चाहते हैं कि वे अध्यक्ष बने रहें और नेता प्रतिपक्ष के लिए करन माहरा को ही उप नेता विपक्ष से एलिवेट कर दिया जाए। जातीय समीकरण साधने को दो कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाएं। सवाल है कि क्या कैंपेन कमेटी की कमान हरदा, अध्यक्ष प्रीतम और नेता प्रतिपक्ष यानी सीएलपी नेता करन माहरा के रूप में तीनों अहम पदों पर ठाकुर चेहरे की ताजपोशी करने का जोखिम पार्टी नेतृत्व लेना चाहेगा। आखिर ठाकुर-ब्राह्मण राजनीतिक समीकरण में ब्राह्मण तबके का प्रतिनिधित्व कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर संभव हो सकता है। ऐसे में सामाजिक समीकरण साधने को कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर ब्राह्मण, दलित और मॉयनॉरिटी को साधने की चर्चाएं खूब हैं लेकिन क्या पार्टी पंजाब फ़ॉर्मूले को यहाँ आज़माना चाहेगी।
हरदा-प्रीतम कैंपों से आगे निकलकर भी पार्टी सोच रही है और इसी कड़ी में दो नाम और हैं जिन पर मंथन पार्टी नेतृत्व ने किया है। एक नाम, विकासनगर से पूर्व विधायक नवप्रभात, पिछले दिनों पार्टी नेतृत्व ने उनको भी दिल्ली बुलाकर बातचीत ही थी। दूसरा चेहरा, प्रदेश यूथ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष भुवन कापड़ी हैं जिनको लेकर भी गंभीरता से मंथन हो रहा है और उनको भी आलाकमान ने दिल्ली बुलाकर बात की थी।प्रदेश कांग्रेस में महामंत्री भुवन कापड़ी के पक्ष में दो बातें हैं, एक उनका युवा होना और सीएम पुष्कर सिंह धामी का खटीमा में प्रतिद्वन्द्वी होना, दूसरा प्रीतम कैंप भी कापड़ी पर कम्फर्टेबल होगा। लेकिन भुवन कापड़ी के लिए दिक्कत यह है कि उनकी हरीश रावत के साथ पिछले दिनों में पटरी कम बैठी है। प्रकाश जोशी अब रेस से बाहर हैं, उनको पार्टी नेतृत्व दूसरे राज्यों में इस्तेमाल करेगा।
इन सबके बाद दलित चेहरे के तौर पर हरदा कैंप की तरफ से विधायक ममता राकेश और राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा का नाम भी उठाया गया। करन माहरा की काट में गोविंद सिंह कुंजवाल का पत्ता भी है।
सवाल है कि क्या कांग्रेस नेतृत्व ऐसा फ़ॉर्मूला दे पाएगा जो हरदा और प्रीतम कैंप को भी रास आए और बाइस बैटल में बीजेपी पर इक्कीस साबित होने की पार्टी की रणनीति के लिहाज से भी मुफ़ीद रहे।