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किसके इशारे पर मंत्री महाराज को छकाया जा रहा! पहले अफसरशाही अब पीछे पड़ गए कर्मचारी संगठन? अयाज और आईपी की जांच से किसको आंच?

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  • क्या मंत्री सतपाल महाराज को रणनीति के तहत किया जा रहा परेशान?
  • अफसरशाही किसके इशारे पर चाहती महाराज साबित हो जाएं फेल?
  • सवाल ये भी कि आखिर मंत्री महाराज की सीएम धामी द्वारा गठित तीन सदस्यीय जांच समिति पर भरोसा क्यों नहीं?
  • मुख्यमंत्री और मंत्री महाराज में आखिर चल क्या रहा है?
  • पहले TSR, अब क्या सीएम पुष्कर भी महाराज के प्रभाव से परेशान?
  • सचिवालय संघ से लेकर लोनिवि संयुक्त कर्मचारी महासंघ क्यों हो रहे मंत्री सतपाल महाराज के खिलाफ लामबंद?
  • महाराज ने सिर्फ पुलिस से जांच मांगी फिर मंत्री के निजी सचिव रहे आईपी सिंह बेगुनाह तो कर्मचारी संगठन क्यों उतार आए प्रेशर पॉलिटिक्स पर?
  • क्या अब मुख्यमंत्री से मिलकर कर्मचारी संगठन मंत्री महाराज की लगाएंगे शिकायत?
  • मंत्री महाराज ने डिजिटल हस्ताक्षर के लिए खुद की बजाय निजी सचिव का मोबाइल नंबर क्यों कराया रजिस्टर्ड?
  • क्या बाकी मंत्री भी महाराज के रास्ते पर ही?

Minister Satpal Maharaj vs Dhami Bureaucracy: उत्तराखंड की धामी सरकार में पीडब्ल्यूडी मंत्री सतपाल महाराज के डिजिटल हस्ताक्षर के साथ फर्जीवाड़ा कर अयाज अहमद को विभागाध्यक्ष बनाने का मामला अब खासा गरमा गया है। यह मामला जहां सरकार के भीतर मंत्री किस कदर लाचार खुद को जता रहे उसकी तस्वीर दिखाता है, वहीं महज मंत्री के पीआरओ द्वारा शिकायत दर्ज कराते ही जिस प्रकार से कर्मचारी संगठनों ने सतपाल महाराज को बुलडोज करना शुरू कर दिया है, वह चौकाता भी है।

आखिर जब पीडब्ल्यूडी मंत्री अपने विभाग में एक प्रमोशन की प्रक्रिया में फर्जीवाड़े का आरोप लगा रहे हैं तब जांच के जरिए मामले का दूध का दूध और पानी का पानी हो जाने तक कर्मचारी संगठन इतना आगबबूला क्यों हो रहे? क्या उन्हें प्रदेश के सबसे कद्दावर मंत्री सतपाल महाराज पर भरोसा नहीं या फिर पुलिस से विश्वास उठ गया है? अब मंगलवार को लोनिवि संयुक्त कर्मचारी महासंघ ने बैठक कर मुख्य सचिव से लेकर मुख्यमंत्री के समक्ष मामला उठाने की हुंकार भरी है।


कर्मचारी संगठनों का आरोप है कि पीडब्ल्यूडी विभागाध्यक्ष पद पर अयाज अहमद चीफ सेक्रेटरी की अगुआई में हुई डीपीसी के बाद प्रमोट किए गए थे और फाइल विभागीय मंत्री के नाते सतपाल महाराज के पास भी गई थी। लिहाजा अब वे इस मामले को बेवजह तूल क्यों दे रहे हैं? वहीं लोनिवि की मिनिस्ट्रीयल एसोसिएशन अभियंता संवर्ग ने सीएस को पत्र लिखकर अयाज अहमद के खिलाफ दर्ज मुकदमा खारिज करने की मांग की है। यह कर्मचारी संगठन भी मंत्री सतपाल महाराज की शिकायत लेकर मुख्यमंत्री धामी से मुलाकात करेगा।

सचिवालय संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी पहले ही कह चुके हैं कि सचिवालय प्रशासन विभाग की तरफ से की गई प्रारंभिक जांच में कोई तथ्य न पाते हुए मंत्री के निजी सचिव रहे आईपी सिंह को दोषमुक्त कर चुका, तो अब एफआईआर का उत्पीड़न क्यों। लेकिन मंत्री सतपाल महाराज जिस तरह से इस मामले को अंजाम तक लेकर जाने की बात कर रहे हैं, सवाल उठता है कि क्या कोई बड़ा खेल चल रहा था जिसकी भनक लगने के बाद अब मंत्री महाराज बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं और इसका भंडाफोड़ करने की ठान चुके हैं?

महाराज बार-बार दलील दे रहे हैं कि सचिवालय प्रशासन स्तर पर हुई जांच के दौरान उनको मंत्री होने के बावजूद अंधेरे में रखा गया लिहाजा उनको इस जांच पर भरोसा न होकर पुलिस जांच की दरकार है।

इस प्रकरण में जिस तरह से खुद मंत्री महाराज कह रहे कि उनको अंधेरे में रखा गया और बिना सीएम के दखल केस तो जांच कराने में ही हांफ गए थे, उससे जनता को लेकर अफसरशाही कितनी संजीदा होगी अंदाजा सहज लग जाता है।

सवाल है कि क्या लोक निर्माण विभाग में एचओडी के प्रमोशन में मंत्री महाराज के साथ “खेल” हो गया है? खुद महाराज को कहना पड़ रहा है कि अगर उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से नहीं कहा होता तो प्रमोशन के नाम पर हुए फर्जीवाड़े में रिपोर्ट तक दर्ज नहीं होती।


पीडब्ल्यूडी मंत्री सतपाल महाराज का खुला आरोप है कि उनको अंधेरे में रखकर उनके निजी सचिव ने विभागाध्यक्ष के प्रमोशन की ई फाइल प्रमुख सचिव की भेज दी। मंत्री महाराज खुद को इतना असहाय पा रहे हैं कि इस फर्जीवाड़े की जांच के आदेश कराने में भी उनके पसीने छूट जाते अगर मुख्यमंत्री दखल नहीं करते!

ज्ञात हो कि महाराज को जब इस फर्जीवाड़े का पता चला उसके बाद उनके पीआरओ शिकायत पर पुलिस ने निजी सचिव आईपी और पीडब्ल्यूडी विभागाध्यक्ष बन बैठे अयाज अहमद के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है।

मंत्री महाराज का दूसरा आरोप यह है कि फर्जी डिजिटल हस्ताक्षर कांड में पहले उनके निजी सचिव आईपी सिंह ने उनको धोखा दिया और बाद में सचिवालय प्रशासन ने मामले की जांच की लेकिन उनसे कोई बात करना भी गंवारा नहीं समझा गया बल्कि उनको पूरी तरह से अंधेरे में रखा गया। सवाल है कि क्या सचिवालय प्रशासन किसी के इशारे पर जांच के नाम पर लीपापोती कर निजी सचिव को बचाना चाह रहा था?

मंत्री महाराज सीधे आरोप लगा रहे कि उन्होंने किसी को भी डिजिटल हस्ताक्षर के लिए अधिकृत नहीं किया था तब उनकी शिकायत के बावजूद “इफ एंड बट” क्यों होते रहे? महाराज बार-बार कह रहे हैं कि उन्होंने अयाज अहमद की फाइल को आगे नहीं बढ़ाने को साफ कह दिया था बावजूद इसके फाइल प्रमुख सचिव तक पहुंचा दी गई।


दरअसल इस पूरे प्रकरण में ऐसा लग रहा है कि सरकार और शासन में बैठा एक वर्ग है जो मंत्री महाराज को ही झूठा और लापरवाह साबित कराना चाह रहा है। यह भी चौंका दे रहा है कि अगर मंत्री सतपाल महाराज को लग रहा है कि विभाग में फर्जीवाड़ा हुआ है तब कार्मिक संगठन उनको बुलडोज करने पर क्यों उतर आया है?

सवाल है कि यह विरोध मंत्री महाराज को झूठा और लापरवाह साबित कर किसी को खुश करने के लिए हो रहा है या फिर वाकई निजी सचिव आईपी सिंह और पीडब्ल्यूडी एचओडी अयाज अहमद बिना जांच दूध के धुले मान लिए गए और असल में उनका उत्पीड़न मंत्री सतपाल महाराज के हाथों हो रहा?

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