नौकरशाही पर नकेल का सिर्फ दिखावा या फिर बायोमेट्रिक हाज़िरी, अटैचमेंट से आगे जिलों में भी पूछा जाएगा कौन डीएम कितना दौड़ रहा!

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देहरादून: भाजपा के भीतर और बाहर के राजनीतिक विरोधी भले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को हलके में लेने की सोच रखते रहे हों। हकीकत यह है कि युवा मुख्यमंत्री तो तजुर्बा भले कम हो लेकिन भगतदा के सियासी हुनर का उन पर असर ऐसा है कि धामी कम करके भी बड़ा मैसेज देने की कूव्वत रखते हैं। और फिर कहीं से रास्ता भटकना भी हुआ तो महाराष्ट्र राजभवन से पहाड़ पॉलिटिक्स पर पैनी नजर और सूबे की सत्ता की पूरी थाह ले रहे भगतदा किस दिन काम आएंगे! जहां सीएम धामी कमजोर पड़ते दिखते हैं भगतदा का एक इशारा सहारा बन जाता है। लेकिन बावजूद इसके सीएम धामी अफ़सरशाही पर नकेल कसने के नाम पर कार्मिकों के समय पर दफ्तर पहुँचने और अपने कार्यालयों में अटेचमेंट पाए कर्मचारियों को उनकी असल जगह भेजने जैसे कदम उठाकर ही वाहवाही लूटने की कोशिश करते दिखते हैं।

अगर ऐसा नहीं होता और जिलों में बैठी अफ़सरशाही पर भी मुख्यमंत्री गुजरे एक सवा महीने में सख्ती करते नजर आते तो ज़िलाधिकारी भी दौड़-भाग कर पसीना बहाते दिखाई देते। धामी सरकार 2.0 का जीत का ख़ुमार अभी उतरा नहीं है, चौतरफा मंत्री स्वागत-सत्कार करते-कराते, मिलते-जुलते ही नजर आ रहे तो मुख्यमंत्री धामी अपने उपचुनाव को लेकर फोकस किए हुए हैं। सीएम धामी के लिए चंपावत उपचुनाव ‘करो या मरो’ की स्थिति वाला है। लिहाजा एक एक कर चंपावत जिले में नए डीएम की तैनाती से लेकर एडीएम चुन-चुनकर भेजे जा रहे हैं।

पॉवर कॉरिडोर्स की चर्चा यह है कि चंपावत भेजे गए डीएम भंडारी सीधे सीएम धामी की नहीं बल्कि किन्हीं और की च्वाइस के चलते भेजे गए हैं। अलबत्ता पीसीएस मनीष बिष्ट जरूर मुख्यमंत्री के पसंदीदा ज़रूर बताए गए जिनकी नियुक्ति को लेकर बड़ा बावेला मचा था और उन पर किनकी कृपा दृष्टि रही ये भी सर्वविदित है।

खैर इस सबसे इतर बड़ा सवाल यही है कि नौकरशाही पर नकेल के बहाने सिर्फ ‘समय पर सब दफ्तर पहुँचे’ और ‘सीएम कार्यालयों में अटैक कर्मचारी अपने मूल विभागों में वापस तैनाती पाए’ तक ही सीएम की सख्ती नजर आएगी या फिर जिलों में मौज काट रहे ज़िलाधिकारी भी तपती गरमी, बिजली किल्लत और वनाग्नि से जूझ रहे ग्रामीणों तक पहु्चेंगे? और सीएम कार्यालय तक रिपोर्ट पहुँचेगी कि किस डीएम ने कितने शिविर लगाए, कहां कहां जनता का दर्द समझने-सुनने अफसर दौड़े! उम्मीद है अभी न सही उपचुनाव से निपटकर युवा सीएम धामी ऐसे जिलोें में जमे अफसरोें की खोज खबर जरूर लेंगे!


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