दिल्ली/देहरादून: मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के अचानक हुए दिल्ली दौरे ने राजनीतिक अटकलबाज़ी को नए सिरे से हवा मिल गई है। बुधवार सुबह दिल्ली दौरे पर गए सीएम की कल देर रात्रि गृहमंत्री अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से लंबी मुलाकात हो गई थी। बावजूद उसके मुख्यमंत्री गुरुवार रात्रि भी दिल्ली रुक गए हैं और माना जा रहा है कि आज रात्रि फिर उनको पार्टी आलाकमान की तरफ से बुलावा आ सकता है। यहाँ तक कहा जा रहा है कि संभव है कि वे शुक्रवार को भी दोपहर तक दिल्ली रूकें।
दरअसल, अगर केन्द्रीय चुनाव आयोग तक उपचुनाव कराने को लेकर मुख्यमंत्री की तरफ से कोई दरख्वात या अर्ज़ी जाती है या बीजेपी या फिर प्रदेश की नौकरशाही के स्तर से कोई प्रयास इनिशिएट होता है तब तो सीएम तीरथ सिंह रावत सेफ होंगे अन्यथा ये दिल्ली दौरा उनकी कुर्सी के लिए संकट का सबब साबित होगा।
दिल्ली के स्तर पर जानकार सूत्रों ने खुलासा किया है कि एक तो बीजेपी में नए सिरे से पॉवर इक्वेशन में फिर से गृहमंत्री अमित शाह का एक्शन में आना यानी डिसिजन मेकिंग में पहले की तरह सीधे भागीदारी बढ़ना और दूसरा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से चल रहे सियासी शह-मात खेल में तीरथ सिंह रावत की बलि न ले ली जाए! वो इस तरह की उपचुनाव अगर तीरथ सिंह रावत के लिए होना है तो उसी तर्ज पर ममता बनर्जी को भी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बने रहने के लिए 5 नवंबर तक विधानसभा की सदस्यता लेनी होगी।
ऐसे में भले पिछले 10 सालों की तरह 11वें साल भी ममता दीदी ने प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री शाह के लिए बंगाल के मशहूर मालदा, हिम सागर और लक्ष्मण भोग आम भेजें हो लेकिन सियासी तौर पर वार-पलटवार में न दिल्ली पीछे हट रही और न बंगाल से जवाब देने में कौताही बरती जा रही। इसी सियासी जंग के मद्देनज़र जानकार मानते हैं कि चुनाव आयोग शायद ही कोरोना काल में उपचुनाव कराने की जहमत उठाए। अब जब उपचुनाव ही नहीं होंगे तब ममता का जो होगा वो तो नवंबर में देखा जाएगा तीरथ के लिए तो संकट हाल-फिलहाल खड़ा हो गया है।
अब सवाल उठता है कि आज रात्रि दिल्ली में रहकर क्या तीरथ सिंह रावत पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को ये समझाने में कामयाब हो जाएंगे कि वे गंगोत्री या किसी दूसरी सीट से आसानी से चुनाव निकाल लेंगे। साथ ही क्या तीरथ की इस दलील को पार्टी नेतृत्व तवज्जो देगा कि उनके कार्यकाल के करीब चार महीने का अधिकतर समय कोरोना की दूसरी लहर से लड़ने में बीता है लिहाजा 2022 के नज़रिए से रिज़ल्ट दिखाने को उनको कामकाज का और वक्त दिया जाए।
जानकार सूत्रों को ये भी कहना है कि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व नए नामों और दूसरे तमाम विकल्पों पर भी विचार कर रहा है। ऐसे कयासों को कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज की दिल्ली दौड़ से भी जोड़कर देखा जा रहा है। प्रदेश बीजेपी कॉरिडोर्स में अचानक राज्यमंत्री डॉ धनसिंह रावत की चर्चा भी जोर पकड़ रही है। कहा जा रहा है कि अगर पार्टी नेतृत्व उपचुनाव के ऑप्शन को तवज्जो नहीं देता है तब धनसिंह ही हैं जो आखिरी दौर में महाराज को भी मात दे सकते हैं। जबकि अमित शाह के यूपी चुनाव को लेकर बैकडोर से एक्शन में आने और डिसिजन मेकिंग में सक्रिय दिखने से टीम त्रिवेंद्र को भी खंडूरी-निशंक-खंडूरी दौर के दोहराव की आस जग गई है।
जाहिर है इस सब के बीच सीएम तीरथ सिंह रावत के लिए यही रात भारी है और अगर वे नेतृत्व को मना ले जाते हैं तो दो दिन से निगेटिव संकेत देती उनकी बॉडी लैंग्वेज कल दोपहर तक पॉजीटिव होती दिख जाएगी, अन्यथा कौन जाने सोमवार तक पहाड़ की सियासी फ़िज़ाओं में रंग और बदलते नजर आएँ।