Dehradun News: उत्तराखण्ड की सियासत में लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद शुरू हुआ मुलाक़ातों का दौर बदरीनाथ और मंगलौर विधानसभा उपचुनाव के बाद और तेज हो गया है।
लोकसभा चुनाव के बाद केंद्र में तीसरी बार एनडीए की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दिल्ली पहुँचकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मुबारकबाद दी। ज़ाहिर है यह एक शिष्टाचार मुलाक़ात तो थी ही लेकिन इसमें एक बार फिर दिखा कि मुख्यमंत्री की प्रधानमंत्री से साथ केमिस्ट्री बढ़िया बनी हुई है। मुख्यमंत्री फिर गृह मंत्री अमित शाह से लेकर तमाम केंद्रीय मंत्रियों से मिले और पहले से चल रही योजनाओं से लेकर नये कामों की सूची तमाम इन मुलाक़ातों में थमाते गये।
यहां तक तो ठीक था लेकिन इसके बाद इधर प्रदेश में बदरीनाथ और मंगलौर उपचुनाव के नतीजे आ गये और उधर मंत्रियों से लेकर पूर्व मुख्यमंत्रियों की दिल्ली दौड़ शुरू हो गई। धामी कैबिनेट में क़द्दावर मंत्री डॉ धन सिंह रावत की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जिस अन्दाज़ में ‘आत्मीय’ मुलाक़ात की तस्वीरें उत्तराखण्ड के पॉवर कॉरिडोर में वायरल हुई उसके बाद सियासी पारा गरमा गया था।
धन दा गृह मंत्री अमित शाह से भी मिलकर आये तो मुख्यमंत्री के बगल में स्टूल पर लंच करने वाली तस्वीर वायरल हो गई।
फिर धन सिंह लखनऊ में योगी आदित्यनाथ के साथ भी दिखाई दिए।।
इस बीच धामी कैबिनेट के एक और मंत्री गणेश जोशी गृह मंत्री अमित शाह से मिल आये।
मंगलवार को पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात की। कहने को यह मुलाक़ात भी शिष्टाचार ही थी क्योंकि तीरथ प्रधानमंत्री को तीसरी बार ताजपोशी की बधाई देने पहुँचे थे।
लेकिन जिस अन्दाज़ ए बयां के साथ उन्होंने बदरीनाथ और मंगलौर उपचुनाव के बाद हुई उत्तराखण्ड बीजेपी की विस्तारित कार्यसमिति में भड़ास निकाली थी उसके बाद आप आसानी से समझ सकते हैं कि प्रधानमंत्री से तीरथ की मुलाक़ात के मायने क्या क्या हो सकते हैं। वैसे भी तीरथ सिंह रावत ने पहले मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवाई फिर लोकसभा चुनाव आया तो गढ़वाल से टिकट कट गया और अनिल बलूनी बाजी मार गये।
उधर धामी कैबिनेट के एक और मंत्री सुबोध उनियाल ने भी कल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाक़ात की। मंत्री सुबोध भी प्रदेश की राजनीति में अरसे से अलग-थलग ही नज़र आ रहे हैं। ऐसे में अमित शाह से वक़्त मिल जाने के बाद उनकी मुलाकात के कई निहितार्थ निकाले जा रहे हैं।
उधर दिल्ली में संसद सत्र अटेंड कर रहे उत्तराखण्ड भाजपा के लोकसभा सांसदों ने केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गड़करी से मुलाक़ात कर आपदा के बाद प्रदेश की सड़कों ख़ासकर केदार घाटी में आई आपदा से सड़कों को हुए नुक़सान को लेकर मदद माँगी।
जब मुलाक़ातों का दौर जारी ही है तब बीजेपी के लोकसभा सांसद अनिल बलूनी, त्रिवेंद्र सिंह रावत और अजय भट्ट ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाक़ात की। गृह मंत्री से मुलाक़ात में प्रदेश में आई आपदा पर तो बात हुई ही लेकिन सूबे की सियासत पर गुफ़्तगू ना हुई हो ऐसा भला कैसे हो सकता है।
ख़ैर जब उत्तराखण्ड भाजपा नेताओं की देहरादून से दिल्ली भाग दौड़ थम ही नहीं रही तब पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत कहाँ शांत बैठने वाले थे। हरदा उधर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा तथा नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, प्रीतम सिंह, हरक सिंह रावत और रणजीत रावत आदि नेताओं के साथ केदारनाथ धाम प्रतिष्ठा रक्षा यात्रा से आपदा के चलते बीच रास्ते लौटे हैं और इधर दून पहुंचते ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाक़ात करने मुख्यमंत्री आवास पहुँच जाते हैं।
कहने को हरदा भी आपदा में नुक़सान की रिपोर्ट मुख्यमंत्री को देने का विपक्ष धर्म निभाने ही गये थे। लेकिन आप तस्वीरों की ज़ुबानी मुलाक़ातों की कहानी बखूबी समझ सकते हैं।
सवाल है कि एकाएक लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद क्या बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व के पास फ़ुरसत के पल कुछ अधिक ही रहने लगे जो नेताओं का ताँता लगा हुआ। ख़ासकर उत्तराखण्ड राज्य का बीजेपी हर नेता दिल्ली दौड़ क्यों कर रहा?
क्या दिल्ली के पास अब डिसेंट वॉइस सुनने का वक़्त भरपूर है या फिर कमजोर दिल्ली देखकर नेताओं ने अपनी बात रखने के दरवाजे खोजने शुरू कर दिये हैं और यह अभी आग़ाज़ है अंजाम राम जाने क्या होगा!