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शैलजा की समझाइश का कांग्रेस नेताओं पर कितना असर?

केदारनाथ उपचुनाव से पहले कांग्रेस में क्यों छिड़ा कुरुक्षेत्र

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ADDA स्पेशल: क्या जो काम सोनिया गांधी, राहुल गांधी या प्रियंका गांधी वाड्रा नहीं करा पाईं वह उत्तराखंड कांग्रेस की प्रभारी कुमारी शैलजा कर सकेंगी? यह एक ऐसा प्रश्न है जिसका जवाब हरेक की पता है लेकिन फिर भी दिल्ली में कुमारी शैलजा ने उत्तराखंड कांग्रेस के तमाम नेताओं को बुलाकर एकजुटता की घुट्टी पिलाई है लिहाजा कुछ वक्त इंतजार करके देखना होगा।

वैसे उत्तराखंड के सियासी गलियारे में हल्ला इस बात को लेख मचा हुआ है कि भला ऐसा क्या झगड़ा प्रदेश कांग्रेस नेताओं में हुआ कि आनन फानन दिल्ली में इमरजेंसी मीटिंग बुलाई गई ताकि प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल के बीच छिड़े युद्ध को रोका जा सके।
कांग्रेस नेतृत्व ने बदरीनाथ और मंगलौर विधानसभा उपचुनाव की जीत के बाद लोकसभा चुनाव में लगातार तीसरी बार हार के गम को भुलाने की भरपूर कोशिश की लेकिन जिस तरह से दिल्ली तक रिपोर्टिंग पहुंची कि केदारनाथ धाम प्रतिष्ठा रक्षा यात्रा के रुद्रप्रयाग जिले में दाखिल होते होते करन माहरा वर्सेज गणेश गोदियाल वॉर चरम पर पहुंच गया। यहां तक कि विवाद ऐसा बढ़ा की गाली गलौज से लेकर टेबल पटकने जैसा नजारा दिखाई दिया।
यह अलग बात है कि कुछ नेताओं ने बीच बचाव कर स्थिति संभालने की कोशिश की लेकिन दिल्ली में बैठे आलाकमान को पूरी खबर लग चुकी थी। लिहाजा तमाम नेताओं को दिल्ली तलब कर लिया गया।
बताया जा रहा है कि झगड़े की जड़ में केदारनाथ उपचुनाव का कांग्रेस टिकट है। किसे मिलेगा टिकट इसे लेकर जहां गणेश गोदियाल सहित तमाम नेता पूर्ण स्थानीय विधायक मनोज रावत की पैरवी कर रहे जबकि करन माहरा जिलाध्यक्ष कुंवर सजवान या हरक सिंह रावत जैसे किसी चेहरे पर दांव लगाने के पक्ष में बताए जा रहे।


लोकसभा चुनाव में हरक सिंह रावत का रुख कांग्रेस प्रत्याशी गणेश गोदियाल को नुकसान पहुंचाने वाला रहा यह आरोप उन पर लगाया जा रहा है। जबकि दूसरी तरफ कहा जा रहा कि मनोज रावत कहीं बीजेपी के मुकाबले कमजोर न रह जाएं!
सवाल है कि अभी जब केदारनाथ उपचुनाव की तारीखों का एलान तक नहीं हुआ है और कांग्रेस में टिकट बंटवारे को लेकर ये हालात बनते दिख रहे फिर कैसे दावा किया जा सकता है कि बदरीनाथ और मंगलौर उपचुनाव दोहराया जाएगा?

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