देहरादून: सत्ताधारी भाजपा के बाद अब विपक्षी कांग्रेस में भी टिकट बँटवारे के बाद बगावत के सुर सुनाई दे रहे हैं। कांग्रेस ने शनिवार देर रात्रि सूबे की 70 में से 53 सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया। टिकट बँटते ही नाराजगी के बोल मुखर होने लगे हैं। सत्रह सीटों पर पहले ही पेंच सुलझाने में पार्टी के पसीने छूट रहे हैं और कई सीटों पर बागी चुनाव लड़ने को ताल ठोकते पार्टी नेताओं ने हाईकमान के होश उड़ा दिए हैं।
घनसाली से पिछली बार कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़े भीमलाल आर्य को टिकट नहीं दिया गया जिसके बाद आर्य ने पार्टी पर धोखा देने का आरोप लगाते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। धनौल्टी में डॉ वीरेन्द्र सिंह रावत को टिकट नहीं मिलने से नाराज बताए जा रहे हैं।
यमुनोत्री पिछली बार कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़े संजय डोभाल की बजाय इस बार दीपक बिजल्वाण को मौका दे दिया गया है जिसके बाद डोभाल ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है।
कर्णप्रयाग में टिकट न मिलने से सुरेश बिष्ट ने पार्टी छोड़ने का मन बना लिया है। पौड़ी सीट से टिकट न मिलने पर पूर्व जिला पंचायत सदस्य तामेश्वर आर्य नाराज हैं। नाराजगी के सुर देहरादून जिले की सहसपुर सीट से लेकर राजपुर रोड सहित हरिद्वार में भी दिखा है।
कुमाऊं और तराई क्षेत्र में भी कई सीटों पर कांग्रेस नेताओं की नाराजगी झलक रही है कुमाऊं की 29 में स जिन 25 सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया गया है उनमें कई सीटों पर बदौलत के सुर सुनाई दे रहे हैं। कुमाऊं में बागेश्वर, गंगोलीहाट, किच्छा, गदरपुर, बाजपुर, सितारगंज आदि सीटों पर बगावत होती दिख रही है।
बागेश्वर सीट से हरीश रावत के ओएसडी रह चुके रंजीत दास को टिकट दिया गया है जिससे सज्जन लाल टम्टा और बालकृष्ण ने नाराजगी जताते हुए बागी ताल ठोकने के संकेत दिए हैं।
गंगोलीहाट सीट पर पिछली बार कांग्रेस प्रत्याशी रहे पूर्व विधायक नारायण राम आर्य ने इस बार खजान चंद्र गुड्डू को
टिकट दिए जाने पर नाराजगी जताई है। आर्य ने सीधे हरीश रावत पर तीखा हमला बोला है और टिकट बेचने का आरोप लगाया है।
किच्छा सीट पर तिलकराज बेहड़ को टिकट देने का विरोध करते हुए सात दावेदारों द्वारा बनाए ग्रुप 7 के नेता बागी तेवर अपनाते दिख रहे हैं। हरीश पनेरू ने निर्दलीय ताल ठोकने का ऐलान कर दिया है। वहीं बाजपुर में यशपाल आर्य का विरोध करते हुए सुनीता टम्टा बाजवा ने चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। सितारगंज और गदरपुर में पिछली बार कांग्रेस के उम्मीदवार रहे मालती बिस्वास और राजेन्द्र पाल सिंह के बागी सुर सुनाई दे रहे हैं।
जाहिर है भाजपा की तरह कांग्रेस के लिए भी एक के बाद एक सीट पर सुनाई दे रहे बगावत के सुरों को दबाकर रखना आसान नहीं होगा। अब इसे टिकट बंटवारे में बरती गई लापरवाही या भेदभाव कहे लेकिन छोटे राज्य उत्तराखंड जहां चंद वोटों मे कई सीटों पर हार-जीत का फैसला हो जाता है वहाँ तेज होते बगावत के सुर सत्तापक्ष हो या विपक्ष सियासी घाटे का सौदा साबित हो सकता है।