देहरादून: हरिद्वार महाकुंभ में कोविड टेस्टिंग के नाम पर फ़र्ज़ी निगेटिव रिपोर्ट बनाकर सरकार से पैसे वसूलना ही आपदा में अवसर का इकलौता उदाहरण नहीं है। देश में कोरोना महामारी के दौर में तरह तरह के तरीके इजाद कर लुटेरे आपदा में अवसर खोज ले रहे हैं। अब इस लूट का नया शिकार फ़िल्ममेकर रमेश तौरानी बने हैं। रमेश तौरानी ने अपने 365 कर्मचारियों को कोवीशील्ड समझकर 1200 रु और जीएसटी अतिरिक्त देकर वैक्सीन लगवाई लेकिन उनको न इसके सर्टिफ़िकेट मिल पाए हैं और चिन्ता हो रही कि कहीं सलाइन वाटर न लगा दिया गया हो। एक और प्रोडक्शन हाउस मैचबॉक्स पिक्चर्स के डेढ़ सौ कर्मचारियों के साथ भी ऐसा ही हुआ।
मुंबई में फेक वैक्सीनेशन स्कैम का खुलासा सबसे पहले हीरानंदानी एस्टेट सोसायटी में रह रहे लोगों के 300 लोगों को ठगने के बाद हुआ था। खुद को कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल से संबंधित बताते हुए हेल्थ वर्कर्स के भेष में पहुँचे ठगों ने 1260 रु प्रति डोज के हिसाब से पैसे चार्ज कर लिए गए। बाद में जब फ़र्ज़ी तरीके से सर्टिफ़िकेट अलग-अलग अस्पतालों के नाम से भेजे गए तो शक होने पर अस्पतालों में फोन किया गया तो पता चला कि हॉस्पिटल की तरफ से न ऐसे कैंप लगाए गए और न ही सर्टिफ़िकेट जारी किए गए।
उत्तराखंड में भी कोविड टेस्टिंग का फर्जीवाड़ा उजागर हो चुका है। हरिद्वार कुंभ में बिल का मीटर चालू रखने के लिए निजी लैबों ने कैसे लाखों फ़र्ज़ी कोविड टेस्ट कर डाले ये मामला उजागर हो चुका है। अब देहरादून सहित कई शहरों में सोसायटीज और वर्क प्लेस पर भी वैक्सीनेशन कराया जा रहा है। लिहाजा फेक वैक्सीन के ठगों से सावधान रहने की दरकार है।