देहरादून: उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर आदर्श आचार संहिता की घोषणा 8 जनवरी को हो गई थी। लेकिन आचार संहिता लगते ही पहाड़ पॉलिटिक्स में नया सियासी बवाल छिड़ा हुआ है। दरअसल,ऐसा लगता है कि धामी सरकार ने आचार संहिता से चंद घंटे पहले 7 जनवरी को जमकर काम किया, काम ही नहीं बल्कि ओवरटाइम किया! लेकिन विपक्ष की शिकायत यह नहीं कि धामी सरकार ने 7 जनवरी को ज्यादा काम क्योंकर किया!
विपक्ष का आरोप है कि दरअसल, धामी सरकार ने 7 जनवरी को काम किया हो न किया हो लेकिन 8 जनवरी को चुनाव आचार संहिता लगने के बाद उसने बैकडेट में धड़ल्ले से काम किया। बहरहाल ये हल्का व्यंग्यात्मक पुट आपको अजीब लग सकता है लेकिन इसे इग्नोर करिए और असल चिन्ता पर आइये कि जब जुलाई में सीएम बनते ही पुष्कर सिंह धामी ताबड़तोड़ फैसले ले ही रहे थे तब ये 7 जनवरी के नाम पर आचार संहिता लगने के बाद बैकडेट में मेहनत क्यों करनी पड़ी? या फिर सरकार ख़म ठोककर कहे कि विपक्ष के आरोप बेबुनियाद हैं।
वैसे विपक्ष वाजिब सवाल उठा रहा कि भई! तबादले-नियुक्तियों के फैसले 7 को हो रहे थे तो उनके पत्र 9 जनवरी को क्या दिखाई देने लगे? अगर ये सिर्फ विपक्षी आरोप हैं तो आचार संहिता लागू होने के बाद 10 जनवरी की शाम को व्हाट्सएप से बैकडेट में यूटीयू के कुलसचिव के ट्रांसफर और नई नियुक्ति का ये आदेश क्यों वायरल हो रहा है?
जाहिर है आचार संहिता के मखौल उड़ाने के संगीन आरोप को लेकर धामी सरकार बैकफुट पर है। कांग्रेस चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटा चुकी है और अब सीपीआई(एमएल) के गढ़वाल सचिव और राज्य आंदोलनकारी इंद्रेश मैखुरी ने आयोग को पत्र लिखकर बैकडेट तबादलोें की अंधेरगर्दी में बहुविकल्पी तबादलोें को लेकर सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए एक्शन की माँग की है।
प्रति,
- श्रीमान मुख्य निर्वाचन आयुक्त,
भारत निर्वाचन आयोग,
नयी दिल्ली. - मुख्य निर्वाचन अधिकारी महोदया
उत्तराखंड, देहरादून.
महोदय /महोदया,
08जनवरी 2022 को भारत निर्वाचन आयोग द्वारा उत्तराखंड समेत पाँच राज्यों के चुनाव की घोषणा के साथ ही इन चुनावों के लिए आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू कर दी गयी।
लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि उत्तराखंड में श्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली सरकार को न तो भारत निर्वाचन आयोग की परवाह है और ना ही आदर्श आचार संहिता की।
आदर्श आचार संहिता की धज्जियां उड़ाते हुए बड़े पैमाने पर सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के तबादले कर दिये गए। इन तबादले के आदेशों पर तारीख भले ही 07 जनवरी 2022 की डाली गयी है, लेकिन जिस तरह से इन तबादलों के आदेश कल यानि 09 जनवरी 2022 से सार्वजनिक तौर पर दिखाई देने शुरू हुए हैं, उससे यह अंदेशा होता है कि उक्त तबादलों में 07 जनवरी की तिथि सिर्फ चुनाव आयोग की आँखों में धूल झोंकने के लिए डाली गयी है।
उक्त तबादले का आदेश करने वाले अधिकारीगण इस कदर हड़बड़ी में थे कि तबादले पर शिक्षक को किसी एक स्कूल में नहीं बल्कि कई स्कूलों का विकल्प, तबादला आदेश में लिख दिया है। किसी एक स्थान से तबादला हो कर जाने वाले शिक्षक के तबादला आदेश में नए नियुक्ति स्थल के तौर पर चार से लेकर सात स्कूल तक लिखे गए हैं ! एक तबादला आदेश में लिखा गया है- “हरिद्वार या देहरादून के निकट का कोई विद्यालय”! सवाल है कि क्या किसी ट्रांसफर एक्ट में शिक्षक या किसी भी कार्मिक को ऐसी छूट हो सकती है कि वह चार या सात विकल्पों में से मनमर्जी से कहीं भी ज्वाइन(join) करना चुन ले।
महोदय / महोदया इन तबादला आदेशों की भाषा से साफ होता है कि ये सब बेहद हड़बड़ी में, अंतिम क्षणों पर सिर्फ अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए किए गए हैं। अतः आपसे निवेदन है कि 07 जनवरी 2022 की तिथि वाले ऐसे सभी तबादलों को निरस्त किया जाये और ऐसे “बहुविकल्पीय” तबादले करने वाले अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से उनके पद से हटाया जाये क्यूंकि उनके पदों पर रहते स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव तो संभव नहीं है।
महोदय / महोदया इसके अलावा बड़े पैमाने पर आयोगों और समितियों में भी राज्य सरकार ने नियुक्तियाँ की हैं। आयोगों और समितियों में नियुक्त व्यक्ति तो सभी सत्ताधारी पार्टी के सदस्य हैं। इन सभी नियुक्तियों पर भी 07 जनवरी 2022 की तिथि आंकित है, लेकिन समाचार माध्यमों में ये 09 जनवरी 2022 को ही सार्वजनिक हुए हैं। जैसे बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति किए जाने के पत्र पर 07 जनवरी 2022 की तिथि अंकित है, लेकिन सार्वजनिक ये पत्र 09 जनवरी 2022 को हुए हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि नियुक्तियाँ बाद में की गयी हैं और फिर इन पर पिछली तिथि (बैक डेट) अंकित कर दी गयी है। अतः आयोगों, समितियों में की गयी ऐसी नियुक्तियाँ भी रद्द की जाएँ।
इन्हें रद्द किया जाना इसलिए भी आवश्यक है क्यूंकि ये सभी सत्ताधारी पार्टी से जुड़े हुए लोग हैं, जो सरकार के कार्यकाल के अंतिम क्षणों में सार्वजनिक एवं संवैधानिक पदों पर नियुक्ति पा गए हैं, इसलिए इनसे विधानसभा चुनाव की निष्पक्षता प्रभावित होने का खतरा निरंतर बना रहेगा। साथ ही उन अधिकारियों को भी पदों से हटाया जाये, जिन्होंने बैक डेट पर नियुक्ति के आदेशों की संस्तुति दी है।
साथ ही श्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली सरकार को इस तरह आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करने से रोकने के समुचित उपाय किए जायें।
सधन्यवाद,
सहयोगाकांक्षी
इन्द्रेश मैखुरी
गढ़वाल सचिव
भाकपा(माले)