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बीजेपी में बवाल, सतह पर संग्राम: लैंसडौन विधायक महंत दिलीप रावत और वन मंत्री हरक सिंह रावत में आर-पार की जंग, कभी बहू कभी अपने लिए लैंसडौन मांग रहे ‘शेर ए गढ़वाल’ के खिलाफ महंत ने खोला मोर्चा

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देहरादून: यूँ तो भाजपा पार्टी विद अ डिफरेंस का दावा करती है और मोदी-शाह दौर में केन्द्रीय नेतृत्व के अनुशासन के डंडे का भी जोर है। लेकिन जैसे जैसे विधानसभा चुनाव करीब आ रहे पार्टी के भीतर विधायकों को लेकर नाराजगी या फिर विधायकों द्वारा मंत्रियों को लेकर अपने गुस्से की इज़हार शुरू हो गया है। ताजा मामला लैंसडौन से बीजेपी विधायक महंत दिलीप रावत द्वारा सूबे के वन मंत्री और उनके बगल की सीट कोटद्वार से विधायक डॉ हरक सिंह रावत के खिलाफ खोल दिया गया है।

बीजेपी विधायक ने अपनी ही पार्टी के सरकार के मंत्री हरक सिंह रावत पर हल्लाबोल करते कहा है कि कैबिनेट मंत्री जानबूझकर उनके विधानसभा क्षेत्र लैंसडौन के लिए स्वीकृत कार्यों में रोड़े अटका रहे हैं। मंत्री हरक के खिलाफ विधायक महंत का गुस्सा इस कदर भड़का हुआ है कि उन्होंने लैंसडौन को और नजरअंदाज किया गया तो विधानसभा के बाहर आमरण अनशन पर बैठने की धमकी तक दे डाली है।

विधायक दिलीप रावत ने ऊर्जा व वन मंत्री डॉ हरक सिंह रावत के कोटद्वार क्षेत्र में अवैध खनन के खुले खेल वाले बयान के बाद भी उलटे कैबिनेट मंत्री पर ही निशाना साधा था। अब एक बार फिर महंत दिलीप रावत ने अपने क्षेत्र की जानबूझकर उपेक्षा करने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर धमाका कर दिया है।


महंत ने सीएम को लिखे पत्र में आरोप लगाया है कि लैंसडौन क्षेत्र में विद्युत वितरण खंड कार्यालय का लोकार्पण पिछले साल 12 दिसंबर को किया गया था लेकिन 20 दिन बाद भी अधिशासी अभियंता की नियुक्ति नहीं की गई है। बीजेपी विधायक ने आरोप लगाया कि ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत के दबाव में नियुक्ति नहीं की जा रही है। बीजेपी विधायक ने आरोप लगाया कि कालागढ़ वन प्रभाग का ऑफिस पहले लैंसडौन से संचालित होता था लेकिन अब वन मंत्री के दबाव में कैंप ऑफिस कोटद्वार से संचालित किया जा रहा है जिसके चलते लैंसडौन ऑफिस निष्क्रिय हो गया है।


महंत दिलीप रावत ने यह भी आरोप लगाया कि त्रिवेंद्र राज में मैदावन-दुर्गादेवी मार्ग खोलने की घोषणा हुई थी लेकिन अब श्रेय हरक सिंह रावत ले रहे। बीजेपी विधायक ने हरक सिंह रावत पर इस उपेक्षा का आरोप जड़ते हुए चेतावनी दी है कि अगर तीन दिन के भीतर उनके विधानसभा क्षेत्र लैंसडौन की समस्याओं का निस्तारण नहीं किया गया तो वे आमरण अनशन पर विधानसभा के बाहर बैठेंगे और इसके लिए ज़िम्मेदार सरकार होगी। हालाँकि ऊर्जा और वन मंत्री हरक सिंह रावत ने लैंसडौन के विकास कार्यों में अड़चन के बीजेपी विधायक महंत दिलीप रावत के आरोपों को तथ्यों से परे करार दिया है।

हरक सिंह रावत,ऊर्जा मंत्री

महंत दिलीप रावत का महज 72 घंटे में दूसरा लेटरबम बताता है कि सत्ताधारी बीजेपी के भीतर अंदर ही अंदर मचा कलह कोहराम अब चुनाव पास आते ही सतह पर आ गया है। बीते साल 28 दिसंबर को लेटर बम फोड़कर हरक सिंह रावत के वन महकमे में भ्रष्टाचार की बहार बताने वाले दिलीप रावत ने तीसरे ही दिन सीएम को लिखे लेटर के जरिए अपनी नाराजगी और आक्रोश जता दिया है।

दरअसल, बीजेपी विधायक महंत का अपने ही दल की सरकार के काबिना मंत्री पर फट पड़ना विकास कार्यों को लेकर उपेक्षा से ज्यादा सियासी वजहें लिए हुए हैं। इसकी झलक 28 दिसंबर के महंत दिलीप रावत के एक फेसबुक बयान से भी दिख जाती है। जब कहने को अपने लिखित बयान को उत्तराखंड की राजनीति से जोड़कर न देखने की बात कहते महंत सीधे हरक सिंह रावत पर हमला बोलते हैं और पार्टी नेतृत्व को भी कटघरे में खड़ा करते नजर आते हैं।


पढ़िए महंत दिलीप रावत ने प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष मदन कौशिक, संगठन महामंत्री अजेय कुमार और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को टैग करते क्या लिखा:

“द्रौपदी चीर हरण में तुम जो साध रहे खामोशी,
हे भीष्म-द्रोण इस पाप के तुम हो दोषी।।”

सवाल है कि यहाँ किस द्रौपदी चीरहरण की ओर इशारा बीजेपी विधायक कर रहे हैं और वे भीष्म-द्रोण कौन हैं जो उस पर चुप्पी साधे हुए हैं?

सियासी गलियारे में ये चर्चा भी जोर पकड़ रही है कि जिस तरह से अपनी मौजूदा सीट कोटद्रार से चुनाव लड़ने की अनिच्छा जाहिर कर चुके हरक सिंह रावत लैंसडौन से लेकर केदारनाथ, डोईवाला और यमकेश्वर की बात कर रहे, तो क्या ‘शेर ए गढ़वाल’ को रोके रखने के लिए लैंसडौन सीट को लेकर बीजेपी नेतृत्व ने हामी भर दी है? संभव है ऐसी ही किसी भनक के लगने के बाद महंत दिलीप रावत का भड़कना स्वाभाविक ही है! वैसे महंत दिलीप रावत एक कदम और आगे जाकर मंत्री हरक सिंह रावत पर हमलावर इसलिए भी हो सकते हैं कि कौन जाने कल को कोई पालाबदल हो जाए और फिर सामना हरक से ही हो तो कम से कम अभी से लैंसडौन विरोधी करार देकर जनता में अपनी बढ़त बना ली जाए।

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