- विधानसभा अध्यक्ष की छापेमारी के बाद विधानसभा सचिवालय में हड़कंप
- कमियां देख अधिकारियों कर्मचारियों के कस दिए पेंच
देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी भूषण बैकडोर से पूर्व स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल से लेकर संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल द्वारा की गई अवैध नियुक्तियों को निरस्त कर अपने एक्शन भरे तेवर दिखा ही चुकी हैं, अब विधानसभा सचिवालय के कामकाज के ढर्रे को ठीक करने के लिए उन्होंने कमर कस ली है। गुरुवार को स्पीकर ऋतु खंडूरी भूषण ने कामकाज और व्यवस्थाओं का जायजा लेने के लिए विधानसभा परिसर देहरादून का औचक निरीक्षण किया|
छापेमारी के दौरान विधानसभा अध्यक्ष ने सभी अनुभागों, अधिकारियों के कार्यालय कक्षों, सभागारों सहित समितियों के कार्यालयों का निरीक्षण किया। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी ने व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के लिए अधिकारियों को सुझाव देते हुए कमियां देख कई आवश्यक दिशा निर्देश भी दिए।
विधानसभा अध्यक्ष ने सबसे पहले गैलरियों में साफ सफाई की व्यवस्था का जायजा लिया। इस दौरान उन्होंने अनुभागों के कार्यालय कक्ष में स्टाफ के बैठने की व्यवस्था से लेकर, समितियों के कार्यालय कक्ष से सम्बंधित सभी विषयों की जानकारी ली। ऋतु खंडूरी ने विधानसभा पुस्तकालय का भी निरीक्षण किया।
छापेमारी के दौरान विधानसभा अध्यक्ष खंडूरी ने सभी अनुभागों में पहुंचकर स्टाफ की उपस्थिति के बारे में भी जानकारी प्राप्त की। दरअसल इस तरह की शिकायतें भी as रही थी कि कई अधिकारी और कर्मचारी हाजिरी लगाकर अपने घर या कहीं और कामकाज निपटाने के लिए निकल देते हैं। लगे हाथ स्पीकर ने अनुभागों एवं समितियों में उपस्थित अधिकारियों से उनकी जॉब प्रोफाइल के बारे में भी पूछताछ की।
हालांकि स्पीकर की छापेमारी की भनक पहले ही विधानसभा पहुंच गई या फिर बैकडोर भर्तियों पर ऋतु खंडूरी के बिग एक्शन का असर हुआ कि कामकाज का ढर्रा सुधरने लगा कि इस दौरान सभी अधिकारी एवं कर्मचारी अपने कक्ष में पाए गए।
विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी भूषण ने कई व्यवस्थाओं को लेकर अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश भी दिए। स्पीकर ने साफ सफाई की व्यवस्था को चाक-चौबंद रखने के निर्देश भी दिए।
जाहिर है स्पीकर ऋतु खंडूरी भूषण बैकडोर भर्तियों के बाद लगातार एक्शन में हैं और जिस तरह से उन्होंने कामकाज का ढर्रा बदलने की ठानी है उसके जरिए वे विधानसभा अध्यक्ष के रूप में अपनी पारी में एक अलग छाप छोड़ने की कसरत में लगी हैं। वैसे कामकाज का ढर्रा बदले और नई कार्य संस्कृति आए तो उससे भला किसे एतराज होगा!