दिल्ली: एक तरफ जहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पॉपुलैरिटी का फायदा सियासी फ़्रंट बीजेपी को 2014 से लगातार मिल रहा..दूसरी तरफ सात साल से लगातार तमाम पॉलिटिकल पार्टियों में चंदा हासिल करने में भी वह अव्वल बनी हुई है। फ़िर चंदा चाहे कॉरपोरेट घरानों की तरफ से मिला हो या व्यक्तिगत रूप से डोनेशन मिला हो, बीजेपी सात साल से सब पर भारी बनी हुई है। एक आंकड़े के अनुसार बीजेपी को 2019-20 में चंदे के तौर पर 750 करोड़ रु मिले जो कांग्रेस को मिली डोनेशन 139 करोड़ से पांच गुना अधिक है। तीसरे नंबर पर चंदा पाने वाली पार्टी एनसीपी है। शरद पंवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस को 59 करोड़ रु चंदा मिला। इंडियन एक्सप्रेस न्यूज वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार चौथे नंबर पर सीपीएम रही जिसे 19.6 करोड़ रु चंदा मिला और ममता बनर्जी की टीएमसी को आठ करोड़ रु की डोनेशन हासिल हुई।
अगर भाजपा के मुख्य दानदाताओं की बात करें तो उसमें बीजेपी सांसद राजीव चंद्रशेखर की जुपिटर कैपिटल ने 15 करोड़ रु डोनेट किए। जबकि दूसरे कारपोरेट्स में आईटीसी समूह ने 76 करोड़ रु, द प्रुडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट ने करीब 218 करोड़ रु, जनकल्याण इलेक्टोरल ट्रस्ट ने करीब 46 करोड़ रु, बीजी शिर्के कंस्ट्रक्शन टेक्नोलॉजी 35 करोड़ रु और माक्रोटेक डेवलेरर्स (लोढ़ा डेवलपर्स) ने 21 करोड़ रु का चंदा बीजेपी को दिया।
खास बात ये है कि बीजेपी के लिए चंदा जुटाने के लिहाज इलेक्टोरल ट्रस्ट काफी मददगार साबित हो रही हैं। ये इलेक्टोरल ट्रस्ट यानी ऐसी कंपनी जिसे पॉलिटिकल पार्टियों को डोनेशन के लिए कारपोरेट घरानों से पहचान गुप्त रखते हुए फंड मिलता है जिसे फिर ये डोनेट करती है। प्रुडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट के पास भारती एंटरप्राइजेज, जीएमआर एयरपोर्ट डेवलेपर और डीएलएफ़ जैसे डोनर हैं. जबकि जनकल्याण इलेक्टोरल ट्रस्ट को जेएसडब्ल्यू जैसे समूह फंड देते हैं।
खास बात ये है कि बीजेपी तो डोनेशन से मिली कुल वास्तविक रक़म कहीं ज्यादा होगी क्योंकि इसमें 20 हज़ार से ऊपर व्यक्तिगत, कारपोरेट ओर इलेक्टोरल ट्रस्ट्स और एसोसिएशन्स द्वारा दिया चंदा शामिल है। जबकि पार्टी को इलेक्टोरल बॉड्स के ज़रिए मिला चंदा अलग है जिसकी वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट अभी जमा नहीं की गई है। वैसे भी 2018 से जब से इलेक्टोरल बॉड स्कीम लॉंच हुई है उसका सबसे ज्यादा फायदा बीजेपी को ही मिला है।
Less than a minute