- विधायक संजय गुप्ता ने हार मान प्रदेश में तोड़ दिए भाजपा काडर के हौसले!
- पार्टी विद अ डिफरेंस का राग अलापती भाजपा अपने विधायक के बड़बोलेपन से पहले भी फजीहत झेलती रही
- जब चैंपियन, ठुकराल, कर्णवाल के टिकट कट गए तो संजय की दृष्टि से लक्सर में कौनसी जीत देख रही थी भाजपा?
देहरादून: अपने बड़बोलेपन की वजह से हमेशा विवादों में घिरे रहे लक्सर से दो बार के भाजपा विधायक संजय गुप्ता ने 2022 बैटल के नतीजों से पहले ही हार मान ली है। संजय गुप्ता ने न केवल बसपा प्रत्याशी मोहम्मद शहज़ाद से मुकाबले में हथियार डाल दिए हैं बल्कि प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक को खुलेआम ऑन कैमरा ग़द्दार करार देकर अनुशासन का राग अलापने वाली पार्टी के अनुशासन को भी तार-तार कर दिया है।
अपने बड़बोलेपन के चलते पिछले पांच सालों मे कई बार विवादों में रहे संजय गुप्ता ने खुद के खिलाफ भीतरघात होने का आरोप लगाते हुए मदन कौशिक को निशाने पर लिया है। विधायक संजय गुप्ता के बयान के बाद कांग्रेस बल्लियां उछल रही लेकिन भाजपा में देहरादून से दिल्ली तक हड़कंप मच गया है। बताया जा रहा है कि विधायक संजय गुप्ता के बयान का संज्ञान पार्टी आलाकमान ने ले लिया है लेकिन चुनौती यह है कि ऐसे में जब सोमवार को ही वोटिंग खत्म हुई है और नतीजे 10 मार्च को आएंगे, उससे पहले एक्शन लिया भी जाए तो वह क्या हो!
वैसे भी यह पहली बार नहीं है, जब विधायक संजय गुप्ता के बड़बोलेपन ने भाजपा की परेशानी बढ़ाई हो। कभी डीएम-कप्तान और अधिकारियों से फोन पर उलझने के बयान वायरल होना रहा हो या फिर कभी तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ ‘झोटा बिरयानी’ बयान देकर भाजपा को असहज करना रहा हो, संजय गुप्ता ने अपने बड़बोलेपन से सत्ताधारी दल की जगहँसाई कराने में कोर कसर नहीं रखी।
चुनाव नतीजों से पहले हार स्वीकार करते हुए कौशिक पर हल्लाबोल करने से पहले प्रचार के दौरान भी हार के डर से कई उटपटांग बयान विधायक संजय गुप्ता ने दिए। पूर्व केन्द्रीय मंत्री और हरिद्वार सांसद रमेश पोखरियाल निशंक की मौजूदगी में लोगों से ‘जूतों की माला पहनाने और कुर्ता फाड़ देने से लेकर कॉलर पकड़ लेने लेकिन वोटों की फसल किसी और को न काटने देने’ वाला बयान तो जमकर वायरल हुआ है।
जनता को वोटों की फसल मान रहे दो बार के विधायक संजय गुप्ता लक्सर विधानसभा क्षेत्र में विकास कराने में सिफर साबित हुए हैं। एक दशक तक विधायक रहे संजय गुप्ता की उपलब्धियों में उनके विवादित और बड़बोले बयान ही चमक बिखरते नजर आ रहे हैं। वोट पॉलराइजेशन के समीकरण में जीत का गणित बनाते आ रहे विधायक संजय गुप्ता को जब जनता नकारती दिख रही तो उन्होंने सबसे पहले प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक को ही निशाने पर ले लिया है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि ऐसा क्या हुआ कि नतीजों से बहुत पहले ही वोटिंग खत्म होते-होते विधायक संजय के पास वह कौनसी दिव्य दृष्टि है जिसकी मदद से वे अपनी हार साफ-साफ देख पा रहे? या फिर उनको जंग से पहले अपने अंजाम का अहसास अच्छे से हो चुका था?
बहरहाल संजय गुप्ता ने सिर्फ अपनी हार का इज़हार ही नहीं किया है, उनके बयान ने नतीजों से पहले ही भाजपाई काडर के हौसले तोड़ डाले हैं। यहां तक कि यूपी में सात चरणों की चुनावी लड़ाई में विपक्षी अब संजय गुप्ता के बयान को यह कहकर पेश करने से भी नहीं चुकेंगे कि देखिए पड़ोसी राज्य उत्तराखंड में भाजपा कैसे बुरे हाल में है और अपनी हार क़बूल करता विधायक ही प्रदेश अध्यक्ष पर कई सीटों पर हराने का इल्ज़ाम लगा रहा। वैसे संजय गुप्ता के बड़बोलेपन से भाजपा को कितना फायदा हुआ इसका असल आकलन लक्सर विधायक ही कर के बता पाएंगे।