देहरादून: अपने बयानों से सियासी तूफान को न्यौता देने वाले कैबिनेट मंत्री डॉ हरक सिंह रावत एक बार फिर चर्चा में हैं। ताजा बवंडर न्यूज 18 को दिए उनके एक इंटरव्यू के उस हिस्से को लेकर है जिसमें वे खुलासा करते है कि सीएम रहते हरीश रावत ढैंचा बीज घोटाले में त्रिवेंद्र सिंह रावत को जेल भेजना चाहते थे लेकिन उनकी (हरक सिंह) त्रिवेंद्र के समर्थन में लिखा गई दो पेज की नोटिंग ने उनको जेल जाने से बचा लिया। हरक सिंह ने कहा कि यह गोपनीय नोटिस पत्र उन्होंने एयरपोर्ट पर पूर्व सीएम भगत सिंह कोश्यारी और अजय भट्ट को भी दिखाया था। अब भाकपा( माले) ने कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत की इस स्वीकारोक्ति को मंत्रिमंडलीय सदस्य के नाते आचरण तथा विधि विरूद्ध करार दिया है।
यहाँ पढ़िए हुबहू इस मुद्दे जारी हुआ भाकपा( माले) के गढ़वाल सचिव इंद्रेश मैखुरी का बयान।
बीते दिनों एक टी वी चैनल के साथ साक्षात्कार में उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने जो बातें कही, वे बेहद आपत्तिजनक और मंत्री के तौर पर ली गयी गोपनीयता की शपथ का खुला उल्लंघन हैं। डॉ. हरक सिंह रावत ने अपने चिर-परिचित बड़बोलेपन का प्रदर्शन करते हुए कहा कि उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को कृषि मंत्री के रूप में किये गए ढैंचा घोटाले में जेल जाने से बचाया। यह गौरतलब है कि जिस समय की बात हरक सिंह रावत कर रहे हैं,उस समय वे कांग्रेस की सरकार में मंत्री थे और त्रिवेंद्र रावत भाजपा में थे। प्रश्न यह है कि दूसरी पार्टी के भ्रष्टाचार के आरोपी व्यक्ति को वे क्यों बचाना चाह रहे थे ? यह इस बात का सबूत है कि भाजपा-कांग्रेस में उत्तराखंड में भ्रष्टाचार और उसके आरोपियों को बचाने को लेकर अलिखित समझौता है।
लेकिन हरक सिंह रावत के बयान का दूसरा हिस्सा ज्यादा आपत्तिजनक, विधि विरुद्ध और मंत्री के तौर पर उनके द्वारा ली गयी पद व गोपनीयता की शपथ का खुला उल्लंघन है। हरक सिंह रावत ने दो वरिष्ठ भाजपा नेताओं का नाम लेते हुए कहा कि दो पेज का नोट बनाने के बाद, उक्त दो नेताओं को उन्होंने दिखाया। स्पष्ट तौर पर यह कृत्य गैरकानूनी है और मंत्री के रूप में ली गई गोपनीयता की शपथ का खुला उल्लंघन है। गोपनीयता की शपथ के अंतर्गत यह निहित होता है कि मंत्री के रूप में किये गए किसी कार्य को सार्वजनिक नहीं किया जाएगा, न किसी ऐसे व्यक्ति से प्रकट किया जाएगा, जो उसके लिए अधिकृत न हो, लेकिन हरक सिंह रावत स्वयं अपने मुंह से स्वीकार कर रहे हैं कि उन्होंने दो ऐसे भाजपा नेताओं को फ़ाइल का नोट दिखाया, जिनको इसे दिखाना विधि विरुद्ध था,गैरकानूनी था।
चूंकि यह हरक सिंह रावत की स्वयं की स्वीकारोक्ति है, इसलिए उन्हें तत्काल मंत्री पद से बर्खास्त किया जाना चाहिए और उनके विरुद्ध गोपनीयता की शपथ भंग करने के लिए मुकदमा दर्ज करते हुए वैधानिक कार्यवाही अमल में लायी जानी चाहिए।