देहरादून: राज्य सचिवालय तथा प्रदेश के सभी राजकीय, शिक्षणेतर संस्थानों, निगमों व स्वायत्तशासी निकायों के कार्मिकों, शिक्षकों के वेतन-भत्तों व काॅमन मुद्दों की पूर्ति को लेकर प्रदेश स्तर पर गठित उत्तराखंड अधिकारी-कर्मचारी- शिक्षक समन्वय समिति को पुनर्जीवित किया जाएगा। समिति द्वारा वर्ष 2019 में किये गए आन्दोलन के बाद तत्कालीन वित्त मंत्री स्वर्गीय प्रकाश पन्त के साथ 31 जनवरी 2019 को हुए लिखित समझौते के अनुरूप अधिकांश मांगें अभी तक क्रियान्वयन हेतु लम्बित हैं। अब इन सभी माँगों को समन्वय समिति के बैनर तले क्रियान्वित कराने के लिए प्रदेश के सभी कार्मिक वर्ग की भावनाओं के अनुरूप विगत 2 वर्ष से संयोजक मण्डल के अधिकांश संयोजकों के सेवानिवृत्त हो जाने, राजनैतिक दलों की सदस्यता लेने तथा वर्ष 2019 में ही कार्मिकों के प्रति सदभाव रखने वाले वित्त मंत्री प्रकाश पन्त का आकस्मिक निधन हो जाने के कारण कार्मिकों की कामन मांगों पर बनी लिखित सहमति का अक्षरशः पालन अब तक नही हो सका है।
इस सम्बन्ध में उत्तराखंड अधिकारी-कर्मचारी-शिक्षक समन्वय समिति के एकमात्र सेवारत संयोजक व सचिवालय संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी ने बताया है कि सचिवालय सहित प्रदेश के सभी कार्मिकों व शिक्षकों की भावनाओं व आग्रह को देखते हुए कार्मिकों की इस समन्वय समिति को पुनर्जीवित कर इन सभी कॉमन मुद्दों का अपेक्षित क्रियान्वयन जल्द से जल्द कराया जाएगा।
समिति के संयोजक जोशी ने कहा है कि यह समझौता 31 जनवरी 2019 को उत्तराखंड अधिकारी-कर्मचारी-शिक्षक समन्वय समिति के साथ सम्पन्न हुआ था, जिसमें संयोजक मंडल के रूप में सचिवालय संघ द्वारा प्रमुख भूमिका निभाई गयी थी। जबकि समन्वय समिति के अन्य संयोजकों में से अधिकांश संयोजक सेवानिवृत्त हो चुके हैं तथा कई संयोजक राजनैतिक पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर चुके हैं। इस कारण समिति को शीघ्र ही नये सिरे से सचिवालय तथा प्रदेश के अन्य सेवा संघों के प्रभावशाली पदाधिकारियों के सहयोग से नवीन संयोजक मंडल गठित कर सहमति प्राप्त बिन्दुओं सहित वर्तमान में अन्य नवीन कॉमन मांगों को पूर्ण कराया जायेगा, जिसमें मात्र सेवा संघों के सेवारत पदाधिकारियों को ही शामिल किया जायेगा।
उत्तराखंड अधिकारी-कर्मचारी-शिक्षक समन्वय समिति के संयोजक दीपक जोशी द्वारा यह भी चिंता जताई गई है कि सेवा संघों की मान्यता नियमावली के अन्तर्गत कोई भी सेवानिवृत्त कार्मिक किसी भी सेवा संघ में पदाधिकारी नही रह सकता है। ऐसी स्थिति में ऐसे सेवा संघों की मान्यता रद्द किये जाने का नियम कार्मिक विभाग से निर्गत है। ऐसे सेवा संघों मे काबिज पदाधिकारियों द्वारा सेवानिवृत्ति के बाद दिये जाने वाले बयान की क्या महत्ता एवं विधिक दृष्टिकोण से कितना सही है, इसका आकलन भी सभी को करना चाहिये। सरकार व कार्मिक विभाग को ऐसे संघों का तत्काल संज्ञान लेना चाहिए, जिसमें पदाधिकारी सेवानिवृत्ति के बाद भी काबिज हैं। कार्मिक विभाग के स्पष्ट आदेश के विपरीत अभी भी प्रदेश के कई प्रमुख सेवा संघों में सेवानिवृत्त कार्मिकों के शीर्ष पदाधिकारी के रूप में यथावत बने रहने का मामला अत्यन्त गम्भीर है। इसे तत्काल संज्ञान में लेकर इस सम्बन्ध में आवश्यक कार्यवाही अमल में लाना कार्मिक हित में अपरिहार्य है। ऐसे पदाधिकारियों द्वारा किये जा रहे पत्राचार व दिये जाने वाले बयानों की कोई विधिक मान्यता नही हो सकती। यह कृत्य कार्मिक विभाग के आदेशों का माखौल उडाए जाने के अतिरिक्त और कुछ नही कहा जा सकता है।
सचिवालय सहित प्रदेश कार्मिकों, शिक्षको, पेंशनर्स के ज्वलन्त काॅमन मुददे:
- गोल्डन कार्ड की ख़ामियों को दूर कर CGHS योजना से आच्छादित करना।
- केंद्र द्वारा घोषित 11% डी0ए0 की ऐरियर सहित बहाली कराना।
- सभी विभागों, शिक्षणेतर संस्थानों, निगमों, निकायों में 01 माह के भीतर पदोन्नति के सभी रिक्त पदों को भरा जाना।
- कार्मिक विभाग की शिथिलीकरण नियमावली 2010 को पुनः लागू कराया जाना।
- एम0ए0सी0पी0 के स्थान पर राज्य कार्मिकों हेतु ए0सी0पी0 की पूर्व व्यवस्था 10, 16 व 26 प्रभावी कराया जाना, ऊर्जा निगम हेतु 9, 14, 19 की बहुप्रतीक्षित व्यवस्था को लागू कराया जाना। शिक्षकों को पूरे सेवाकाल मे कम से कम 03 पदोन्नति अथवा 03 एसीपी की अनुमन्यता।
- 01 अक्टूबर, 2005 के पश्चात नियुक्त कार्मिकों को पुरानी पेंशन की देयता हेतु सरकार के स्तर से संकल्प पारित कराकर केंद्र सरकार को भेजा जाना।
- पति-पत्नी के सरकारी सेवा में नियुक्त होने पर दोनों को मकान किराया भत्ते की अनुमन्यता कराया जाना।
- चतुर्थ श्रेणी कार्मिकों को स्टाफिंग पैटर्न का लाभ दिलाने हुये ग्रेड वेतन 4200 की अनुमन्यता तथा वाहन चालकों को इस व्यवस्था के अन्तर्गत ग्रेड वेतन 2400 को इग्नोर कराते हुये ग्रेड वेतन 2800, 4200, 4600 व
4800 दिलाया जाना। - राजकीय कार्मिकों हेतु निर्गत होने वाले वेतन भत्तों व अन्य सेवा लाभों के शासनादेशों में ही समान रूप से निगम/स्वायत्तशासी निकायो के कार्मिकों के लिये भी एकसाथ आदेश निर्गत कराया जाना।
- राज्य सचिवालय के समान सभी निदेशालयों में 05 दिवसीय कार्य दिवस लागू कराया जाना।
- सचिवालय भत्ते की दर मूल वेतन का 10 प्रतिशत कराया जाना।
- उपनल व आउट सोर्स कार्मिकों को समान कार्य के अनुरूप समान वेतन का लाभ अनुमन्य कराया जाना।
- राज्य के सभी लोक सेवकों हेतु एक समान नीति अपनाते हुए अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों को प्रतिवर्ष मूल वेतन में वृद्धि के सापेक्ष मकान किराया भत्ता की दर में प्राप्त होने वाली वृद्धि के अनुरूप प्रदेश के सभी अधिकारियों, कर्मचारियों, शिक्षकों के प्रति वर्ष वेतन वृद्धि उपरांत बढे हुए मूल वेतन के सापेक्ष मकान किराया भत्ता की दर में प्रतिवर्ष वृद्धि कराया जाना।