- विधानसभा सत्र का पहला दिन रहा खास
- राज्यपाल अभिभाषण और लेखानुदान पेश
- बेरोजगारी चरम पर और राज्यपाल अभिभाषण में रोजगार पर धामी सरकार ने पीटा डंका
- मुख्यमंत्री ने पेश किया 21 हजार करोड़ से ज्यादा का लेखानुदान
- सिर्फ सरकारी कार्मिकों के वेतन-भत्तों पर 8000 करोड़ से अधिक होगा खर्च
देहरादून: विधानसभा सत्र के पहले दिन राज्यपाल अभिभाषण में सरकार के आगामी वित्त वर्ष के रोडमैप की झलक दिखाने की कोशिश की गई, तो वहीं, सरकार की गुजरे वक़्त की उपलब्धियों का ढिंढोरा भी जमकर पीटा गया। सत्र के पहले दिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वित्त वर्ष के चार माह के खर्च को लेकर 21 हज़ार 116 करोड़ 81 लाख रुपए का लेखानुदान भी पेश किया। चिंताजनक बात यह है कि राज्य पर कर्ज की देनदारियां और सरकारी कर्मचारियों के वेतन और भत्तों का भार इतना बढ़ रहा है कि बजट का मुख्य हिस्सा उसी पर ख़र्च हो रहा है। लेखानुदान में से 8 हजार करोड़ से अधिक राशि इसी मद में ख़र्च होगी।
पहले बात बेरोजगारी और राज्यपाल अभिभाषण में रोज़गार के बड़े बड़े दावों की
धामी सरकार ने राज्यपाल अभिभाषण के ज़रिए बीते साल खूब नौकरियां बांटने और आगामी वित्तवर्ष में नए जॉब्स पैदा करने को लेकर गुलाबी तस्वीर प्रस्तुत की है। लेकिन एक के बाद एक कई सर्वे और रिपोर्ट बताती हैं कि उत्तराखंड में बेरोजगारी की दर उच्चतम स्तर पर है। ये अलग बात है कि धामी सरकार ने मंगलवार को राज्यपाल अभिभाषण में रोज़गार के मोर्चे पर न केवल अपनी पीठ ठोकी है बल्कि लगभग एक लाख रोजगार दिये जाने का आसमानी दावा भी किया है।
धामी सरकार ने राज्यपाल अभिभाषण में दावा किया है कि विभिन्न प्रशासकीय विभागों के तहत 76,969 पदों पर नियमित नियुक्तियां की है और उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने 1554 पदों पर अधियाचन प्रेषित किया गया है।
धामी सरकार ने दावा किया है कि दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल विकास योजना के तहत 1510 युवाओं को रोज़गार मुहैया कराया गया है। व्यावसायिक ट्रेनिंग के ज़रिए 24398 युवाओं को ट्रेनिंग दी गयी है। इससे 6501 युवाओं को रोज़गार मिला है जबकि 9616 युवाओँ द्वारा स्वरोजगार शुरू किया गया है। जबकि हकीकत कुछ और कहानी कह रही है।
सेंटर फॉर मोनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी ( Centre for Monitoring Indian Economy – CMIE) की ताज़ा रिपोर्ट बताती है कि जनवरी की 3.5 फ़ीसदी बेरोजगारी दर के मुकाबले बीते फरवरी माह में यह बढ़कर 4.6 फ़ीसदी हो गई है। यानी एक महीने में बेरोजगारी दर एक फीसदी से अधिक बढ़ गई। अभी मार्च का बेरोजगारी का आंकड़ा आना बाकी है, जो बताएगा कि जब सरकार विधानसभा सदन में रोजगार पर बड़े दावे पेश कर रही थी तब राज्य में नौकरी की जंग लड़ते बेरोजगार युवाओं का आंकड़ा कहा पहुंच चुका था।
बेरोजगारी का ताजा आंकड़ा इसलिए अधिक चिंता बढ़ाता है जब CMIE रिपोर्ट कहती है कि आज के मुकाबले जनवरी 2016 में राज्य में बेरोजगारी दर महज़ 1.3 फीसदी थी। जबकि जनवरी 2018 में बेरोजगारी दर 4 फीसदी हो गई और मार्च 2020 में उच्चतम स्तर 22.3 फीसदी पर पहुंच गई थी। हालांकि फिर इसमें गिरावट दिखी लेकिन जनवरी 2022 के मुकाबले फरवरी 2022 में बेरोजगारी दर एक फीसदी बढ़ गई है।
CMIE की रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि उत्तराखंड में सितम्बर-दिसम्बर 2016 में 40.01फीसदी लोग कार्यरत थे जो सितम्बर-दिसम्बर 2021 में महज 30.43 फीसदी रह गई। ज़ाहिर है सरकारी नीतियों के अलावा कोरोना महामारी भी इसकी एक बड़ी वजह रही।
अब बात लेखानुदान की
सत्र के पहले दिन दोपहर बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा पटल पर वित्त वर्ष के शुरुआती चार माह यानी अप्रैल से जुलाई के ख़र्च के लिए 21 हजार 116 करोड़ 81 लाख रुपए का लेखानुदान पेश किया जिसे बुधवार को चर्चा के बाद पारित कराया जाएगा। मुख्यमंत्री धामी के लेखानुदान में राज्य के सरकारी कर्मचारियों के वेतन और भत्तों पर लेखानुदान का एक तिहाई हिस्सा यानी 8025 करोड़ रुपए ख़र्च हो जाएगा। कार्मिकों के वेतन और भत्तों पर 5796 करोड़ रुपये और रिटायर्ड कार्मिकों की पेंशन और दूसरे मदों पर 2229 करोड़ ख़र्च होंगे।
इतना ही नहीं धामी सरकार को लेखानुदान के 21 हज़ार करोड़ में से 1563 करोड़ कर्ज़ भुगतान और 2256 करोड़ सरकार द्वारा लिए कर्ज के ब्याज के तौर पर देने होंगे।
ज़ाहिर है धामी सरकार ने वादों की जो गुलाबी तस्वीर जनता के सामने पेश की है उसे हकीकत की जमीन पर उतारने के लिए अपने आय के संसाधन बढ़ाने होंगे और इसके लिए खूब भगीरथ प्रयास करने होंगे। सवाल है कि क्या जब खनन से लेकर आबकारी जैसे आय बढ़ाने वाले क्षेत्रों से सरकारी खज़ाना भरने की बजाय अपनी जेबें भरने की अटकलें आम हों तब उम्मीद कितनी और किससे की जाए!