- CM Dhami Delhi Tour
- सीएम धामी ने निर्मला सीतारमण और अश्वनी वैष्णव से की मुलाकात
- मांगी ये ट्रेनें और सौंग डैम प्रोजेक्ट के लिए पैसा
Uttarakhand News:दिल्ली दौरे पर गए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से मुलाकात की। मुख्यमंत्री ने रेल मंत्री से टनकपुर-देहरादून के मध्य एक जनशताब्दी रेल सेवा और दिल्ली-रामनगर के मध्य शताब्दी एक्सप्रेस रेल सेवा संचालित किए जाने के अनुरोध किया।
मुख्यमंत्री ने रेल मंत्री से देहरादून से सहारनपुर को मोहण्ड के रास्ते रेलवे से जोड़ने के लिए टनल आधारित रेल लाईन परियोजना और ऋषिकेश-उत्तरकाशी रेल लाईन परियोजना का शीघ्र परीक्षण कराकर इसके निर्माण की स्वीकृति देने का अनुरोध भी किया।
मुख्यमंत्री ने केंद्रीय रेल मंत्री से हरिद्वार से वाराणसी वंदे भारत ट्रेन प्रारंभ करने का आग्रह करते हुए कहा कि इससे श्रद्धालुओं और पर्यटकों को बड़ी सुविधा मिलेगी।
मुख्यमंत्री धामी ने पूर्व में मिले सहयोग के लिए आभार व्यक्त करते हुए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से किच्छा-खटीमा नई रेल लाईन परियोजना की सम्पूर्ण लागत भारत सरकार द्वारा वहन किए जाने का आग्रह किया। उन्होंने अनुरोध किया कि रामनगर-हरिद्वार -देहरादून सीधी रेल सेवा संचालित की जाए।
पूर्णागिरी मेले की अवशेष आयोजन अवधि हेतु देश के विभिन्न स्थानों मुख्यतः नई दिल्ली, मथुरा एवं लखनऊ आदि से टनकपुर के लिए पर्याप्त संख्या में रेल सेवा का भी संचालन प्रारम्भ किया जाए।
मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड में रेल सेवाओं पर रेल मंत्री के साथ चर्चा करते हुए कहा कि वर्तमान में कुमाऊं और गढ़वाल को जोड़ने के लिये देहरादून-काठगोदाम जनशताब्दी एक मात्र रेल सेवा है। कुमाऊं क्षेत्र के एक बड़े हिस्से के साथ-साथ नेपाल बोर्डर होने के कारण वहां के लोगों का आवागमन भी टनकपुर से ही होता है। इसलिए टनकपुर-देहरादून के मध्य एक जनशताब्दी रेल सेवा संचालित करना जरूरी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के जनपद नैनीताल के रामनगर क्षेत्रान्तर्गत स्थित प्रसिद्ध पर्यटन स्थल जिम कार्बेट नेशनल पार्क में देश-विदेश से पर्यटकों का निरन्तर आवागमन होता है। अतः दिल्ली- रामनगर शताब्दी एक्सप्रेस रेल सेवा संचालित किया जाना अति आवश्यक है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देहरादून से नई दिल्ली तक रेल की यात्रा करने के लिए वर्तमान में हरिद्वार होकर जाना पड़ता है। हरिद्वार-देहरादून रेल लाईन सिंगल लेन है। देहरादून से हरिद्वार तक का अधिकांश अंश राजाजी नेशनल पार्क के अन्तर्गत होने के कारण वन्य जीव जंतुओं की सुरक्षा की दृष्टि से रेल की गति भी अत्यन्त नियंत्रित होती हैं। इससे दिल्ली तक की यात्रा में अपेक्षाकृत अधिक समय लगता है।
सीएम ने कहा कि अगर देहरादून से मोहण्ड होते हुए सहारनपुर तक रेल लाईन जिसका कुछ भाग टनल के माध्यम से भी होगा, निर्मित कर दी जाती है तो नई दिल्ली एवं देहरादून के मध्य रोड की तरह रेल से आवागमन भी अधिक त्वरित हो जायेगा। इसके फलस्वरूप प्रदेश में पर्यटकों की आवाजाही सुविधाजनक होने के साथ-साथ व्यवसायिक गतिविधियों को भी बल मिलेगा।
सीएम ने कहा कि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना में अपनायी जा रही टनल प्रणाली के समान ही देहरादून से सहारनपुर को मोहण्ड होते हुए रेलवे से जोड़ने के लिए टनल आधारित रेल लाईन परियोजना की संभाव्यता का परीक्षण कराकर परियोजना की स्वीकृति प्रदान की जाए।
सीएम धामी ने की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात
दिल्ली दौरे में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से भी मुलाकात की। मुख्यमंत्री ने वित्त मंत्री से सौंग बांध पेयजल परियोजना हेतु 1774 करोड़ रु की धनराशि का वित्त पोषण भारत सरकार के पूंजीगत व्यय हेतु विशेष सहायता के अन्तर्गत कराने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि इस परियोजना से देहरादून की पेयजल समस्या का समाधान हो जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देहरादून नगर एवं इसके उपनगरीय क्षेत्रों में पेयजल की व्यवस्था मुख्य रूप से नलकूप के द्वारा की जा रही है, जिसके फलस्वरूप भूजल स्तर में लगातार गिरावट हो रही है। देहरादून की बढ़ती हुई आबादी के कारण पेयजल की मांग निरन्तर तेजी से बढ़ती जा रही है, जिसके कारण वर्तमान पेयजल आपूर्ति व्यवस्था भविष्य की पेयजल मांग को पूर्ण करने में सक्षम नहीं होगी। इस समस्या के दृष्टिगत व भविष्य में सतत पेयजल की सुविधा प्रदान करने के लिए गंगा नदी की सहायक नदी सौंग नदी पर सौंग बांध पेयजल परियोजना’ प्रस्तावित है प्रस्तावित परियोजना की कुल लागत रू0 2021 करोड़ है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि परियोजना के निर्माण से 150 एम.एल.डी. पेयजल ‘गुरुत्व’ के माध्यम से देहरादून नगर व इसके उपनगरीय क्षेत्रों के लगभग 10 लाख आबादी को पेयजल उपलब्ध होगा। परियोजना के निर्माण उपरान्त पेयजल व्यवस्था की नलकूपों पर निर्भरता लगभग समाप्त हो जाएगी। इससे भूजल दोहन में भारी कमी आएगी और भू जल स्तर में बढोत्तरी होगी। इससे ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी आयेगी एवं भविष्य में नए नलकूपों एवं उन पर होने वाले संचालन व रखरखाव सम्बन्धी व्यय में भी भारी कमी आएगी।
साथ ही परियोजना बनने से झील का निर्माण होगा जो कि क्षेत्र में पर्यटन को बढावा देगा और इससे रोजगार सृजन होगा एवं स्थानीय नागरिकों की आय में वृद्धि होगी। झील निर्माण से पर्यावरण को भी लाभ होगा। इस परियोजना का एक अन्य मुख्य लाभ बाढ़ नियंत्रण है। परियोजना के निर्माण के फलस्वरूप देहरादून जनपद के 10 ग्रामों की लगभग 15000 आबादी को सौंग नदी में प्रतिवर्ष आने वाली बाढ़ से सुरक्षा प्रदान होगी।
उन्होंने कहा कि परियोजना देहरादून नगर के जलापूर्ति हेतु अत्यन्त महत्वपूर्ण है परियोजना से सम्बन्धित सभी आवश्यक तकनीकी वन भूमि हस्तान्तरण स्टेज-1 एवं अन्य आवश्यक स्वीकृतियाँ सम्बन्धित विभागों / मंत्रालयों प्राप्त की जा चुकी है। परियोजना से प्रभावित होने वाले कुटुम्बों के पुनर्वास एवं पुनर्व्यवस्थापन हेतु व्ययभार (रू. 247 करोड़) राज्य सरकार द्वारा वहन किया जायेगा।