देहरादून: अच्छा लगता है देखकर टीवी और अखबार में खबर चलती है कि ‘नौकरशाही पर सीएम धामी ने कसी नकेल’, अब ‘नपेंगे लापरवाह नौकरशाह’, ‘धामी राज में सिफ़ारिशें नही चलेगी नौकरशाहों की’ आदि-आदि। लेकिन ‘सरकार’ हकीकत जमीन पर उलट है। नौकरशाह कल भी पिछले दोनों ‘सरकार’ साहब के दौर में बेपरवाह रही और आज की जमीनी हकीकत दिखने लगी है। खबर है कि IAS दीपक रावत ने चार दिन हो गए ऊर्जा निगमों में प्रबंध निदेशक यानी एमडी पद पर ज्वाइनिंग नहीं ली है। न्यूज साइट ईटीवी भारत ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि आईएएस दीपक रावत इस पद पर काम नहीं करना चाहते हैं।
अब इसे आप मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के उन दावों को ठेंगा दिखाना भी मान सकते हैं जिनके तहत अफसरों को अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा के नियमों का कार्मिक विभाग की चिट्ठी के जरिए पुनर्पाठ कराया गया है दो दिन पहले। तो क्या सरकार और उच्च अधिकारियों पर तबादले/पोस्टिंग को लेकर
राजनीतिक या अन्य तरह के दबाव डालने वाले आईएएस अफसरों की लिस्ट में दीपक रावत का भी नाम है? सच सरकार जाने! सवाल है आखिर कौन-कौन और हैं जो मुख्यमंत्री धामी पर दबाव डालकर मनचाही पोस्टिंग के लिए पॉवर कॉरिडॉर में अपने रसूख़ का अहसास मुख्यमंत्री को कराना चाह रहे!
वैसे दीपक रावत एमडी ऊर्जा निगमों में ज्वाइन न करें ये चाहत तो ऊर्जा मंत्री डॉ हरक सिंह रावत की भी है जिसका इज़हार वह मीडिया में अफसरों से कामकाज लेने पर दिए अपने बयान के ज़रिए जाहिर कर भी चुके हैं।
ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत का जोर चला तो वे सचिव सौजन्या के साथ भी काम करने से बचेंगे। वैसे जिस दिन मुख्यमंत्री ने बंपर तबादले किए थे उसी दिन The News Adda ने ये खबर चलाई थी कि इन तबादलों के जरिये मुख्यमंत्री ने न केवल नौकरशाही के बरगद हिलाए हैं बल्कि कुछ मंत्रियों को भी अपने तरीके से कामकाज कराने का मैसेज दे दिया है। अब उन मंत्रियों में सबसे पहले दर्द हरक का छलका चुका है। अभी एक-दो और मंत्री है जिनका दर्द आ सकता है छलककर बाहर चंद दिनों में!
वैसे दीपक रावत की ज्वाइनिंग पर नजर बनाकर रखनी होगी क्योंकि मुख्यमंत्री धामी के दावों का दम देखने का पहला बहाना होगा।