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‘जो कहा वो किया’: महिलाओं को नौकरियों में आरक्षण और धर्मांतरण रोक का कानून, धामी की धमक का मैसेज दे गया विधानसभा का शीत सत्र

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  • उत्तराखण्ड में दो ऐतिहासिक विधेयक विधानसभा में पास
  • सीएम पुष्कर सिंह धामी ने वायदा किया पूरा, धामी सरकार की महत्वपूर्ण उपलब्धि
  • महिलाओं को सरकारी नौकरियों के क्षैतिज आरक्षण का बना कानून
  • प्रदेश में धर्मान्तरण पर रोक सम्बंधित कानून बना

Uttarakhand News: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने अब तक के मुख्यमंत्रित्वकाल में अपनी एक खास छवि यह बनाई है कि अगर वे कोई वादा करते हैं तो निभाने का इरादा और माद्दा भी रखते हैं। शायद यही वजह है कि धामी अक्सर कहते हैं कि उनकी सरकार में अगर कोई शिलान्यास हुआ है तो उद्घाटन करने भी वे आएंगे। उत्तराखंड विधानसभा के दो दिन चले शीतकालीन सत्र में भी यह फिर साबित हो गया।

धामी सरकार ने महिलाओं से जुड़े 30 फीसदी क्षैतिज आरक्षण और धर्मांतरण पर रोक लगाने संबंधी विधेयक को पारित कराकर जता दिया है कि अगर वे कोई वादा कर लेते हैं तो उसे निभाने की गारंटी भी दे देते हैं। महिला आरक्षण पर हाई कोर्ट की रोक के बाद मुख्यमंत्री धामी ने प्रदेश की मातृ शक्ति से यही वादा किया था कि सरकारी सेवाओं में उनके अधिकार की रक्षा के लिए सरकार सुप्रीम कोर्ट हो या विधानसभा का सदन,वह कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी।

बुधवार को विधानसभा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हुई तो दो दिन चले शीतकालीन सत्र के बाद धामी सरकार ने महिलाओं के आरक्षण और धर्मांतरण पर रोक लगाने संबंधी विधेयक को पारित कराकर “जो कहा वो किया” के सीएम के संकल्प पर मुहर लगा दी।

उत्तराखंड विधानसभा का सत्र भले दो दिन चला लेकिन धामी सरकार ने अपना तमाम विधायी कामकाज निपटा लिया। सरकार ने अनुपूरक बजट से लेकर कई विधेयक पारित करा लिए जिसमें दो महत्वपूर्ण विधेयक भी विधानसभा में ध्वनिमत से पास हो गए।

ज्ञात हो कि हाल में देश की शीर्ष अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट ने धर्मांतरण को गंभीर समस्या करार देते हुए इसे देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बताया था और केंद्र सरकार से कहा था कि इसके खिलाफ सार्थक और गंभीर कदम उठाए जाएं। ठीक सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मुख्यमंत्री धामी ने उत्तराखंड में धर्मांतरण के खिलाफ कड़े कानून का एलान कर दिया था और बुधवार को विधानसभा में विधेयक पास कराकर जो कहा था उस पर अमल भी ही गया।

उत्तराखण्ड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक 2022 के पास होने के बाद प्रदेश में धर्मान्तरण को लेकर कठोर कानून का प्रावधान हो गया है। इसके अलावा उत्तराखण्ड लोकसेवा (महिलाओं के क्षैतिज आरक्षण) विधेयक 2022 से प्रदेश में महिलाओं को राज्याधीन सरकारी सेवाओं में 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण की व्यवस्था एक बार फिर से लागू हो जाएगी।

जाहिर है मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और राज्य सरकार की यह अपने आप में बड़ी उपलब्धि है। कुछ दिन पूर्व राज्य सरकार ने इन दोनों विधेयकों को कैबिनेट से मंजूरी दी थी। बुधवार को विधानसभा में इन विधेयकों के पास होने से प्रदेश में इसे लागू करने की जल्द अधिसूचना जारी हो जाएगी।

दो अहम विधेयकों के पास होने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखण्ड देवभमि है और यहां पर धर्मान्तरण जैसी चीजें हमारे लिए बहुत घातक हैn। इसलिए सरकार ने यह निर्णय लिया था कि प्रदेश में धर्मान्तरण पर रोक के लिए कठोर से कठोर कानून बने। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का प्रयास है कि इस कानून को पूरी दृढ़ता से प्रदेश में लागू किया जाएगा।

ज्ञात हो कि राज्य विधानसभा में जब जबरन धर्मांतरण संबंधी यह विधेयक पारित हुआ तो विधायकों ने लगातार मेजें थपथपाकर सीएम धामी के इस कदम की जमकर सराहना की। कहने को राज्य में 2018 में धर्मांतरण के खिलाफ त्रिवेंद्र सरकार कानून बना चुकी थी लेकिन धामी सरकार अब इसे इतना सख्त कर दिया है कि ऐसी घटना को अंजाम देने वाले सीधे जेल जाएंगे। अब जबरन धर्मांतरण गैर जमानती बना दिया गया है और 10 साल तक की सजा का प्रावधान कर दिया गया है। अब जबरन धर्मांतरण की सूचना मिलते ही कोई भी मुकदमा दर्ज करा सकेगा। अभी तक संबंधित व्यक्ति के परिजन या रिश्तेदार ही मुकदमा दर्ज करा सकते थे।

वहीं उत्तराखण्ड में महिलाओं के क्षैतिज आरक्षण विधेयक को लेकर मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि उत्तराखण्ड निर्माण में मातृशक्ति का बहुत बड़ा योगदान है और सरकार ने यह पहले ही तय किया थाकि विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले इस प्रदेश में मातृशक्ति का सम्मान करते हुए उन्हें इस क्षैतिज आरक्षण का लाभ मिले। ज्ञात हो कि नैनीताल हाईकोर्ट ने एक फैसले में महिलाओं के 30 फीसदी क्षैतिज आरक्षण पर रोक लगा दी थी जिसके बाद सरकार सुप्रीम कोर्ट गई और उस पर स्टे लगा। लेकिन अब कानून बनाकर सीएम पुष्कर सिंह धामी ने मातृशक्ति में बड़ा संदेश देना चाहा है।

ज्ञात हो कि उत्तराखंड की महिलाओं को राज्य सरकार की सेवाओं में आरक्षण काफी पहले से मिला हुआ था। नित्यानंद स्वामी सरकार ने 20 फीसदी क्षैतिज आरक्षण दिया था जिसे तिवारी सरकार ने 30 फीसदी कर दिया था। तभी से सरकार के शासनादेश के आधार पर महिलाओं को ये आरक्षण मिलता आ रहा था लेकिन लोक सेवा आयोग की एक भर्ती परीक्षा की कुछ अभ्यर्थियों ने इसे हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। इसी के बाद हाई कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी जिसे धामी सरकार ने पहले सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देकर स्टे ऑर्डर हासिल किया और अब कानूनी रूप दिलाकर इसे हमेशा के लिए अटकाने लटकाने के झंझट से मुक्ति दिलाने का ऐतिहासिक कदम उठाया है।

धामी सरकार ने शीत सत्र के दौरान 5440 करोड़ का अनुपूरक बजट भी पास करा लिया है।

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