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Bhu Kanoon Uttarakhand: उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने यूनिफार्म सिविल कोड लागू करने के बाद एक और बड़ा और कड़ा फैसला ले लिया है। धामी कैबिनेट ने सशक्त भू कानून संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी है। ज्ञात हो कि त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार में
पहाड़ों पर उद्योग लगाने के नाम पर ढील दी गई थी लेकिन उसका असर ये हुआ कि उद्योग पहाड़ चढ़े नहीं, अलबत्ता ज़मीनों के खुर्दबुर्द का खेल ज़रूर शुरू हो गया। जब लोगों ने सख़्त भू कानून की मांग उठाई तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एलान किया था कि आने वाले बजट सत्र में सरकार भू कानून पर विधेयक लेकर आएगी। आज सत्र का दूसरे दिन है और इसी बीच हुई कैबिनेट बैठक में सशक्त भू कानून संशोधन विधेयक पर मुहर लग गई है।
कैबिनेट के फैसले के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रदेश की जनता की लंबे समय से उठ रही मांग और उनकी भावनाओं का पूरी तरह सम्मान करते हुए आज कैबिनेट ने सख्त भू-कानून को मंजूरी दे दी है। सीएम ने कहा कि यह ऐतिहासिक कदम राज्य के संसाधनों, सांस्कृतिक धरोहर और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करेगा, साथ ही प्रदेश की मूल पहचान को बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
सीएम धामी ने कहा,”हमारी सरकार जनता के हितों के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और हम कभी भी उनके विश्वास को टूटने नहीं देंगे। इस निर्णय से यह स्पष्ट हो जाता है कि हम अपने राज्य और संस्कृति की रक्षा के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे। निश्चित तौर पर यह कानून प्रदेश के मूल स्वरूप को बनाए रखने में भी सहायक सिद्ध होगा।”
जानिए नए भू कानून के प्रमुख प्रावधान ?
त्रिवेंद्र सरकार के 2018 के सभी प्रावधान किए गए निरस्त
जैसा कि ज्ञात है कि 2018 में तत्कालीन त्रिवेंद्र सरकार द्वारा उद्योगों को ज़मीन देने के नाम पर कई ढील दी गई थी लेकिन अब धामी सरकार ने
नए कानून में उस दौरान लागू किए गए सभी प्रावधानों समाप्त कर दिया है।
11 जिलों में बाहरी व्यक्तियों की भूमि खरीद पर प्रतिबंध
उत्तराखंड के हरिद्वार और उधमसिंहनगर को छोड़कर बाकी 11 जिलों में राज्य के बाहर के व्यक्ति हॉर्टिकल्चर और एग्रीकल्चर की भूमि नहीं खरीद पाएंगे।
पहाड़ों में चकबंदी और बंदोबस्ती
पहाड़ी इलाकों में भूमि का सही उपयोग सुनिश्चित करने और अतिक्रमण रोकने के लिए चकबंदी और बंदोबस्ती की जाएगी।
जिलाधिकारियों के अधिकार सीमित शपथ पत्र होगा अनिवार्य
अब जिलाधिकारी व्यक्तिगत रूप से भूमि खरीद की अनुमति नहीं दे पाएंगे। सभी मामलों में सरकार द्वारा बनाए गए पोर्टल के माध्यम से प्रक्रिया होगी।
ऑनलाइन पोर्टल से होगी भूमि खरीद की निगरानी
प्रदेश में जमीन खरीद के लिए एक पोर्टल बनाया जाएगा, जहां राज्य के बाहर के किसी भी व्यक्ति द्वारा की गई जमीन खरीद को दर्ज किया जाएगा।
शपथ पत्र देना होगा अनिवार्य
राज्य के बाहर के लोगों को जमीन खरीदने के लिए शपथ पत्र देना अनिवार्य होगा, जिससे फर्जीवाड़ा और अनियमितताओं को रोका जा सके।
नियमित रूप से भूमि खरीद की रिपोर्टिंग
सभी जिलाधिकारियों को राजस्व परिषद और शासन को नियमित रूप से भूमि खरीद से जुड़ी रिपोर्ट सौंपनी होगी। जमीन सरकार में निहित होगी
नगर निकाय सीमा के भीतर तय भू उपयोग
नगर निकाय सीमा के अंतर्गत आने वाली भूमि का उपयोग केवल निर्धारित भू उपयोग के अनुसार ही किया जा सकेगा।
यदि किसी व्यक्ति ने नियमों के खिलाफ जमीन का उपयोग किया, तो वह जमीन सरकार में निहित हो जाएगी।
नए भू कानून के होंगे ये प्रभाव ?
नए भू कानून के अमल में आने के बाद उत्तराखंड में बाहरी लोगों द्वारा अंधाधुंध भूमि खरीद पर रोक लगेगी।
पहाड़ी क्षेत्रों में भूमि का बेहतर प्रबंधन होगा, जिससे राज्य के निवासियों को अधिक लाभ मिलेगा।
भूमि की कीमतों में अप्राकृतिक बढ़ोतरी पर नियंत्रण रहेगा और राज्य के मूल निवासियों को भूमि खरीदने में सहूलियत होगी।
सरकार को भूमि खरीद-बिक्री पर अधिक नियंत्रण प्राप्त होगा, जिससे अनियमितताओं पर रोक लगेगी।