देहरादून: त्रिवेंद्र राज के चार साल में विपक्षी विधायकों की तो बात दूर सत्ताधारी बीजेपी के विधायकों की नाराजगी गाहे-बगाहे सामने आती रही। त्रिवेंद्र सिंह रावत की कुर्सी जाने की एक बड़ी वजह यह भी रही कि मंत्री-विधायक और सांसद तक उनके मुख्यमंत्रित्वकाल में गिले-शिकवे लिए घूमते रहे। ऐसा लगता है, उसी से सबक लेकर मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत अपने 100 दिनों में ‘अपनों’ की नाराजगी दूर करने में कामयाब होते दिख रहे हैं। तीरथ सरकार में जहां मंत्री अपने-अपने विभागों से लेकर प्रभारी जिलों में एक्टिव दिख रहे वहीं सीएम ने जिलावार विधानसभा क्षेत्रों की समीक्षा बैठकों के ज़रिए अधिकारियों को विधायकों के अटके कामों को प्राथमिकता से पूरा करने के निर्देश देकर उनकी नाराजगी दूर करने की कोशिश की है।
सीएम तीरथ सौ दिनों में ज़्यादातर विधानसभा क्षेत्रों के विकास कार्यों की विधायकों के साथ बैठ कर समीक्षा कर चुके हैं और बार-बार अधिकारियों को निर्देश कि जनप्रतिनिधियोें के कार्यों को तवज्जो दें इसका असर विधायकों पर पड़ रहा है।
एक बीजेपी विधायक ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘पहले( टीएसआर एक राज) मुख्यमंत्री से मुलाकात ही दुर्लभ थी और अगर मुलाकात हो गई तो मुख्यमंत्री का अफसरों पर आत्मीयता लुटाना और विधायकों को वेटिंग रूम में बिठाना तकलीफ़देह होता था। अब कम से कम सीएम के यहाँ पहुँचने, बात रखने की हिचक तो नहीं।’
यहाँ तक कि कांग्रेस विधायकों का शिकायतों और माँगों को सीएम तीरथ तवज्जो देकर मैसेज देने की कोशिश कर रहे।
मुख्यमंत्री तीरथ रावत ने सोमवार, मंगलवार और गुरुवार के दिन विधायकों से मुलाकात के लिए रखें हैं ताकि समीक्षा बैठकों का फॉलोअप भी हो सके और रास्ते की अड़चनें हाथोंहाथ दूर की जा सकें।
बहरहाल अब ये अलग बात है कि जमीन पर कितना काम उतर पाता है और हाईकोर्ट को लेकर अफ़सरशाही कितना जल्दी गंभीर होकर सरकार की भद्द पिटवाना बंद करती है, मुख्यमंत्री ने विधायकों की नब्ज टटोलकर उनकी नाराजगी दूर करने के पॉलिटिकल डैमेज कंट्रोल की कसरत जरूर तेज कर दी है।