देहरादून: डॉ इंदिरा ह्रदयेश के आकस्मिक निधन के बाद उत्तराखंड राज्य के लिए नए CLP नेता का फैसला करने के लिए आज दिल्ली में प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह, सह प्रभारी राजेश धर्माणी, सह प्रभारी दीपिका पाण्डेय सिंह की उपस्थिति में उत्तराखंड कांग्रेस विधायक दल की बैठक आयोजित हुई। बैठक में कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी से विधायक दल नेता तय करने का अनुरोध करने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया।
ज़रा रुकिए, ये ऊपर दी गई चंद लाइनें ख़बर नहीं बल्कि ख़बर को कवर करने की कलाकारी भर है, जो आम तौर पर ऐसी राजनीतिक बैठकों के बाद दी जाती है छापने को। खैर, अंदर की ख़बर ये है कि तमाम प्रयासों के बाद भी न महासचिव वेणुगोपाल और न प्रभारी देवेंद्र यादव पहाड़ के पार्टी दिग्गजों को एकजुट और एकराय कर पाए विधायक दल के नेता को लेकर। दस विधायक क़रीब-क़रीब बराबर-बराबर संख्या में बीच में दीवार खींचकर बैठ गए नेता प्रतिपक्ष को लेकर अपनी-अपनी पसंद के साथ। वैसे मोर्चाबंदी हरदा वर्सेस प्रीतम कैंप में ऐसी बन रही कि पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं ने तौबा कर फ़ैसला पार्टी हाईकमान पर छुड़वाना बेहतर समझा।
जानकार सूत्रों ने कहा है कि प्रीतम अपने समर्थक विधायकों के साथ उपनेता विपक्ष करन माहरा को ही नेता प्रतिपक्ष यानी सीएलपी लीडर बनाने के पक्ष में हैं। जबकि हरदा की तरफ़ से कुंजवाल का नाम है और रणनीतिक तौर पर ममता राकेश का नाम भी आगे किया गया। क़ाज़ी निज़ामुद्दीन न्यूट्रल पॉज़िशन में दिख रहे हैं क्योंकि पार्टी की राष्ट्रीय टीम में कामकाज कर रहे हैं लिहाज़ा राज्य राजनीति में किसी धड़ेबाजी में दिखने से बच रहे हैं। अब चुनाव चंद महीनों के भीतर है और सीएलपी नेता के लिए 10 विधायकों में भी जंगी माहौल देखकर पार्टी आलाकमान को फ़ैसला खुद करना होगा।
वैसे अब तेलंगाना से लेकर कई राज्यों में टीम गठन से जुड़ेफ़ैसलों में राहुल गांधी की छाप दिख रही है लिहाज़ा भले फ़ैसला अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी पर छोड़ा गया हो लेकिन चलेगी राहुल गांधी की ही। बवाल ज्यादा इसलिए भी मचा है कि हरदा कैप नेता प्रतिपक्ष के बहाने बड़े बदलाव की हिमायत कर रहा है जिसमें अध्यक्ष से लेकर विधायक दल नेता और कैंपेन कमेटी के अगुआ जैसे तमाम पदों पर 2022 के नजरिए से चेहरे घोषित हों। जबकि प्रीतम कैंप माहरा को सीएलपी नेता बनाकर एक या दो कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर ठाकुर-ब्राह्मण समीकरण बिठाने की वकालत कर रहा है।
वैसे चुनाव सामने देखकर गढ़वाल-कुमाऊँ, ठाकुर-ब्राह्मण के साथ साथ दलित, पंजाबी और मुस्लिम समीकरण साधने के फेर में कांग्रेस आलाकमान क्या निर्णय लेता है बाइस बैटल के परिणाम का दारोमदार उसी पर निर्भर करेगा।