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सूत न कपास जुलाहों में लट्ठम लट्ठा! प्रीतम-हरदा-माहरा के ‘शो ऑफ स्ट्रेंथ’ से कांग्रेस होगी कितनी मजबूत

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Uttarakhand Congress infighting and Mission 2024: उत्तराखंड कांग्रेस 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से एकाध उपचुनाव या दो मेयर और कुछ पालिकाओं के चुनाव छोड़ दें तो बड़ी जीत को तरस गई है। लगातार दो लोकसभा चुनाव 2014 और 2019 में पार्टी हर बार बार पांच की पांच सीटों पर शिकस्त खा चुकी।

यही हाल विधानसभा चुनाव में रहा है, लगातार दोनों बार यानी 2017 और 2022 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पहले 11 और फिर 19 पर सिमट गई। चंपावत उपचुनाव और उसके बाद हरिद्वार जिला पंचायत चुनाव में उसे मुंह की खानी पड़ी है। लेकिन पार्टी के खेमों में बंटे क्षत्रप लोकल बॉडी इलेक्शन और चौबीस की चुनौती से कैसे निपटा जाए इस पर मिलकर पसीना बहाने की बजाय एक दूसरे से ही दो दो हाथ करने में उलझे हुए हैं।

जरा कल्पना करिए उस पार्टी का क्या हाल 2024 में पहाड़ प्रदेश की पांच की पांच लोकसभा सीटों पर होने वाला है जिसके गिने-चुने नेता होकर भी अंदरूनी कलह में इस कदर एक दूसरे को निपटाने में लगे हैं ,मानो जनता उनके लिए सत्ता के सफर में स्वागत को फूल मालाएं लेकर खड़ी हो! सामने भाजपा जैसा शक्तिशाली प्रतिद्वंद्वी पहाड़ चढ़ने जैसी चुनौती देने को ललकार रहा है और कांग्रेस के खेमेबाज नेता आपसी युद्धाभ्यास से ही फुरसत नहीं पा रहे हैं।

पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने प्रभारी देवेंद्र यादव और अध्यक्ष करन माहरा के सामने अपना शक्ति प्रदर्शन करने को सचिवालय कूच का आह्वान किया है। सोमवार के इस शक्ति प्रदर्शन को लेकर नजर आ रहे पोस्टरों में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और नए नवेले अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के अलावा प्रीतम सिंह ही पोस्टरों में दिख रहे हैं। यानी प्रीतम 21 सचिवालय कूच के जरिए सरकार के साथ साथ अपने पार्टी के मित्रों को भी इस शक्ति प्रदर्शन के जरिए संदेश दे देना चाह रहे हैं।

जवाब में करण माहरा ने भी 17 सांगठनिक जिलों और महानगरों के कार्यकारी अध्यक्षों का तुरत-फुरत एलान कर अपना दांव चल दिया है। अब उनकी नजर रहेगी कि प्रीतम के ‘शो ऑफ स्ट्रेंथ’ में कितने विधायक और दिग्गज जुटते हैं। आखिर अध्यक्ष तो इस सचिवालय कूच को लेकर न पोस्टरों में दिख रहे और न ही मंच पर दिखने जा रहे हैं, जैसा कि कहा जा रहा है कि वे इनवाइटेड भी नहीं हैं।


उधर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की तो है ही अपनी डफली अपना राग वाली स्थिति! जब प्रीतम सिंह सचिवालय कूच कर शक्ति प्रदर्शन कर रहे और भारत जोड़ो यात्रा से लेकर अन्य कार्यक्रमों के जरिए माहरा सूबे में मारे मारे फिर रहे तब हरदा अलग दुकान न चमकाएं ऐसा कैसे हो सकता है।

लिहाजा हरदा भी पहले 21 से ही निकलने वाले बताए जा रहे थे लेकिन अब उनके करीबी नेता सुरेंद्र कुमार अग्रवाल ने उनकी 22 से शुरू हो रही ‘भारत जोड़ो/ हरिद्वार जिंदाबाद यात्रा’ का आधिकारिक कार्यक्रम जारी कर दिया है। हालांकि प्रीतम के पोस्टरों में नेताओं के गायब होने से उठे बवाल को देखकर हरदा ने समझदारी ये दिखाई है कि भले यादव, माहरा और प्रीतम से छत्तीस का आंकड़ा चल रहा हो लेकिन पोस्टरों में फोटो चस्पां कराकर सबको साथ लेकर चलने का नया दांव चला है।

दरअसल हरदा का फोकस हरिद्वार लोकसभा सीट पर है जहां से वे 2009 में चुनाव जीत अल्मोड़ा में लगातार हार से मिले जख्मों पर मरहम लगाने में सफल रहे थे। लिहाजा एक बार फिर उनको अपने राजनीतिक सर्वाइवल के लिए हरिद्वार से ही अंतिम आस है।

सवाल है कि आपस में उलझकर ये कांग्रेसी दिग्गज किस सुनहरे राजनीतिक भविष्य की आस पाले बैठे हैं? एक तरफ राहुल गांधी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के जरिए पैदल चलकर नया राजनीतिक नैरेटिव गढ़ने की कसरत में लगे हैं और दूसरी तरफ उत्तराखंड कांग्रेस के गुटबाज नेताओं की हालत है, ‘सूत न कपास जुलाहों में लट्ठम लट्ठा’!

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