देहरादून: मंगलवार का दिन कांग्रेस के लिए बेहद खास था क्योंकि नई चुनावी टीम के सबसे बड़े चेहरों का देहरादून आगमन था। गणेश गोदियाल को प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभालनी थी और उनके साथ थे कैंपेन कमेटी के कमांडर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत। यह मौका था कांग्रेस के लिए 2022 की जंग को लेकर अपनी तैयारियों का अहसास सत्ताधारी बीजेपी को करा देने का लेकिन हुआ वहीं जिसके सबसे ज्यादा आसार थे।
गणेश गोदियाल को संगठन की कमान जरूर मिली लेकिन एक-दूसरे के खिलाफ मोर्चा संभालते नजर आए हरदा और प्रीतम कैंप। कांग्रेसी मंच से जमकर गुटबाजी दिखती रही और उससे पहले रोड शो में हरदा-गोदियाल और प्रीतम कैंप खींचे खींचे नजर आए। कांग्रेसी मंच पर प्रीतम सिंह बोलने के लिए खड़े हुए तो हरीश रावत-हरीश रावत के लगाकार लगते नारों ने प्रीतम को नाराज ही कर दिया। नए नवेले अध्यक्ष से लेकर प्रभारी तक मान-मनौव्वल कर प्रीतम को बोलने के लिए खड़ा करते रहे और हरदा हूटिंग के हल्ले ने नेता प्रतिपक्ष को बोलने तक का मौका न दिया।
उधर एक जमाने में हरदा के हनुमान रहे रणजीत रावत ने भी इशारों-इशारों में हरीश रावत पर हमला बोला। ‘कंपकंपाते हुए हाथों से शमशीर नहीं थामी जाती..’ इस शेर के ज़रिए रणजीत रावत ने हरदा पर हमला किया तो साफ पता चल गया कि कांग्रेस में कैंप वॉर अब थमने की बजाय और तेज होगा।
गोदियाल भले हरदा को बाइस के सियासी गणेश दिख रहे हों लेकिन हरदा वर्सेस प्रीतम कैंप वॉर में वह कहीं नहीं हैं। दरअसल गोदियाल के सहारे हरीश रावत कांग्रेस पर नए सिरे से क़ाबिज़ हो चुके हैं और अब नेता प्रतिपक्ष बनाए गए प्रीतम सिंह को पार्टी मंचों पर हरदा हूटिंग की आदत डाल लेनी होगी।
हरदा चाहते हैं कि कांग्रेस 2001-02 वाले दौर में लौट जाए और उस तस्वीर में गणेश गोदियाल की जगह बहुत कम बचती है शायद ‘यस मैन’ जैसी! दरअसल ये हरदा 2.0 पॉलिटिक्स है और जंग दोतरफ़ा है क्योंकि उनको बाइस में इक्कीस ‘अपनों’ पर भी साबित होना है और सियासी प्रतिद्वंद्वियों पर भी।
ऐसे में प्रीतम लाख सोनिया-राहुल गांधी के नारे लगवाने को पसीना बहाते रहे अब पहाड़ कांग्रेस पर हरदा क़ाबिज़ हो चुके लिहाजा बेहतर हो रणजीत रावत से कुछ अश’आर वे भी उधार ले लें क्योंकि बैटल बिगिन्स!