- वित्त मंत्रालय ने दिया कॉस्ट कटिंग का फ़रमान
- मोदी सरकार ने निर्णय लिया केन्द्रीय मंत्रालयों व विभागों में अनावश्यक या टाले जाने वाले ख़र्चों में हो कटौती
- DA की तीन पेंडिंग क़िस्तों की आस लगाए 26 जून की बैठक का इंतजार कर रहे केन्द्रीय कर्मियों को झटका
दिल्ली: कोरोना में इकॉनमी चौपट हो चुकी है जिससे राजस्व यानी केन्द्र सरकार की आमदनी पर बुरा असर पड़ रहा है। ऊपर से सरकार सबको फ्री वैक्सीन और 80 करोड़ लोगों को दिवाली तक राशन दे रही है। लिहाजा कोरोना महामारी के बीच कॉस्ट कटिंग की आँच अब केन्द्रीय कर्मचारियों तक पहुंच चुकी है। केन्द्रीय वित्त मंत्रालय ने सभी विभागों व मंत्रालयों को बाक़ायदा पत्र लिखकर कहा है कि अनावश्यक फ़िज़ूलख़र्ची के साथ साथ जो-जो ख़र्चे बचाये जा सकते हैं उनमें 20 फीसदी तक की कटौती की जाए।
इसका असर केन्द्रीय कर्मचारियों के ओवरटाइम, यात्रा भत्ता जैसे रिवार्ड्स पर पड़ेगा। जाहिर है पहले से अठारह महीने से फ़्रीज़ डीए के चलते परेशान कर्मचारियों को ताजा फैसला रास नहीं आएगा। लेकिन केन्द्र सरकार ने कोरोना महामारी का हवाला देते हुए कॉस्ट कटिंग की कैंची चला दी है।
वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग की तरफ से सभी मंत्रालयों/ विभागों को गए ज्ञापन में कहा गया है कि वे सभी परिहार्य गैर-योजनागत ख़र्चों( controllable/avoidable expenditure) में कटौती के कदम उठाएँ। हालांकि कोरोना महामारी संबंधी ख़र्चो को इसके दायरे से मुक्त रखा गया है। वित्त मंत्रालय ने कहा है कि कोरोना महामारी पर खर्च बढ़ने से वित्त वर्ष 2021-22 में जीडीपी के सापेक्ष राजकोषीय घाटा लक्ष्य 6.8 फीसदी से आगे न बढ़ जाए इसलिए 20 फीसदी की कटौती करनी होगी। कटौती का आधार वर्ष 2010-20 को रखा गया है।
खर्चों में 20 फीसदी कटौती का असर किस पर पड़ेगा?
कटौती की कैंची ओवरटाइम, रिवार्ड्स, घरेलू यात्रा,विदेश यात्रा खर्च, ऑफिस ख़र्चे, किराए, टैक्स, रेट्स, रॉयल्टी, प्रकाशन सामग्री, वस्त्र, विज्ञापन व प्रचार, प्रशासनिक ख़र्चे, राशन लागत आदि पर चलेगी। अब एक तो पहले से डीए की तीन किस्त पेंडिंग है जिसे लेकर 26 जून को बैठक होनी है, उससे पहले ख़र्चों में 20 फीसदी की कटौती का फ़रमान कर्मचारियों के लिए जोर का झटका धीरे से लगा, समझिए।