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…तो क्या मुख्यमंत्री धामी ने रात में देखी ‘नायक’ फिल्म और सुबह पहुंच गए सचिवालय! कर दिया ऐलान ‘न चैन से सोऊँगा और न चैन से सोने दूंगा’

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देहरादून: ‘प्रदेश के विकास व जनहित के लिए न चैन से सोऊँगा और न अधिकारियों को चैन से सोने दूंगा।’ युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का यह ताजा डायलॉग है सूबे की नौकरशाही के नाम! धामी का ये धमक दिखाने वाला बयान तब आया है जब डॉ निधि उनियाल बनाम आईएएस डॉ पंकज कुमार पांडे जंग में नौकरशाही की हनक नए सिरे से प्रदेश की जनता ने देखी है। जाहिर है डॉ निधि उनियाल ने दम दिखाया तो धामी सरकार में नौकरशाही की दबंगई किस अंदाज में चल रही उसकी परतें उधड़ गई और मजबूरन नौकरशाही को सख्त संदेश देने की कसरत युवा मुख्यमंत्री को करनी पड़ी है।

मौका था लोक निर्माण विभाग की समीक्षा बैठक का और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को नौकरशाही पर नकेल कसने को पसीना बहा रहे विभागीय मंत्री सतपाल महाराज को भी पॉजीटिव फीलर देना था लिहाजा वे आ गए बिलकुल ‘नायक’ फ़िल्म के नायक अनिल कपूर के अंदाज में! धामी ने अफ़सरशाही को कान खोलकर सुना दिया है कि हर पखवाड़े प्रगति रिपोर्ट लेकर आओ और आज की तरह अधूरी तैयारी के साथ नहीं बल्कि पूरी तैयारी के साथ आया करें।

सीएम धामी ने बिलकुल फ़िल्मी अंदाज में ऐलान कर डाला है, ‘प्रदेश के विकास व जनहित के लिए न चैन से सोऊँगा और न अधिकारियों को चैन से सोने दूंगा!’ वैसे सूबे के युवा मुख्यमंत्री को लगातार इसी एक्शन मूड में रहना भी चाहिए ताकि अपार समर्थन की दोबारा बनी डबल इंजन सरकार अपेक्षाओं पर खरा उतर सके। लेकिन ऐसे सख्त संदेशों के साथ जोखिम यह रहता है कि मीडिया या मीटीग में हेडलाइन मैनेजमेंट के मकसद से दिए गए बयान और किए ऐलान तब कोरे फ़िल्मी डायलॉग साबित हो जाते हैं जब उनका न फॉलोअप होता है और ना ही कोई एक्शन।

याद कीजिये त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री की शपथ लेते ही भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति के साथ ‘धर्मयुद्ध’ का नगाड़ा बजा डाला था। फिर NH 74 मुआवजा घोटाले का ढोल पीटा गया और दो आईएएस अफसरोें के दामन पर भ्रष्टाचार के दाग लगाकर सजा दिलाने का दम भरा गया। फिर जांच चली अपनी रफ्तार और सीएम का सीबीआई जांच का विधानसभा के पटल पर दिया बयान केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी की एक घुड़की में ही फुस्स साबित हो गया। देखते देखते दोनों आईएएस डॉ पंकज कुमार पांडेय और चंद्रेश कुमार यादव, जिनको राजनीतिक हीरोगिरी के चक्कर में घोटाले में लपेटा (लपेटा इसलिए कि हल्ला मचाया कि दागी हैं और फिर चंद दिनों बाद बाइज़्ज़त बगलगीर बनाकर बिठाया) गया था तत्कालीन मुख्यमंत्री के ब्लूआईड ऑफ़िसर बनकर बगलगीर नजर आने लगे।

अब जब सीएम धामी ने अफ़सरशाही को सख्त संदेश दिया है तब उनके सामने डॉ निधि उनियाल बनाम आईएएस डॉ पंकज कुमार पांडेय प्रकरण है जिसकी जांच आज से ही शुरू भी हो गई है। इस प्रकरण में दिख जाएगा कि युवा सीएम अफ़सरशाही के दबाव में लीपापोती करते हैं या फिर इन मुद्दों पर जांच को आगे बढ़वाने का दम दिखाते हैं।

राज्य आंदोलनकारी, एक्टिविस्ट और सीपीआई(एमएल) इंद्रेश मैखुरी ने कुछ सवाल इस रूप में उठाए हैं-

क्या बहैसियत स्वास्थ्य सचिव डॉ.पंकज कुमार पांडेय को यह अधिकार था/है कि वे दून मेडिकल कॉलेज या किसी भी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य को यह निर्देश कर सकें कि प्राचार्य, उनकी पत्नी के उपचार के लिए डॉक्टर, उनके घर भेजें ?

दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य, इस निष्कर्ष पर कैसे पहुंचे कि ओपीडी में मरीजों को देखने से अधिक जरूरी स्वास्थ्य सचिव की पत्नी के स्वास्थ्य की जांच थी ?

दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य ने स्वास्थ्य सचिव की पत्नी की जांच के लिए डॉक्टर का चयन किस आधार पर किया ?

जब डॉ.निधि उनियाल, स्वास्थ्य सचिव डॉ.पंकज कुमार पांडेय की पत्नी पर अभद्रता का आरोप लगा कर उनसे घर से वापस लौट आईं तो उन्हें, स्वास्थ्य सचिव की पत्नी से माफी मांगने के लिए किसने कहा ? किसके निर्देश पर दून अस्पताल के सीएमएस, स्वास्थ्य सचिव के घर गए ?

स्वास्थ्य सचिव डॉ.पंकज कुमार पांडेय को यह भान कब हुआ कि अल्मोड़ा के सोबन सिंह जीना मेडिकल कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर की अत्यंत आपातकालीन आवश्यकता है ? 

क्या सोबन सिंह जीना मेडिकल कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर नियुक्त करने की प्रक्रिया चलायी जा चुकी थी ? क्या  उस प्रक्रिया से योग्य प्रत्याशी नहीं मिले थे ? इसलिए दूसरे मेडिकल कॉलेज से एसोसिएट प्रोफेसर का संबद्धिकरण ही एकमात्र रास्ता बचा था ?

डॉ.निधि उनियाल का स्वास्थ्य सचिव की पत्नी के साथ यदि विवाद नहीं हुआ होता या वे माफी मांग लेती तो भी क्या अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज के संचालन के लिए उनकी ऐसी ही आपातकालीन आवश्यकता होती ?

जांच होनी तो इन्हीं बिंदुओं के इर्दगिर्द चाहिए पर जो जांच में एक पक्ष हैं यानि स्वास्थ्य सचिव डॉ.पंकज कुमार पांडेय, वे उसी कुर्सी पर बैठ रहेंगे, जिस कुर्सी पर उनके बैठे होने के चलते यह सारा विवाद पैदा हुआ, तो जांच निष्पक्ष कैसे होगी ? उन्हें हटाना तो दूर छुट्टी भेजने का साहस भी उत्तराखंड सरकार नहीं जुटा सकी. यूं भी जिनकी पत्नी इतनी गंभीर बीमार हों कि ओपीडी से डॉक्टर को उठा कर उपचार के लिए भेजना पड़े तो ऐसी पत्नी के पति को तो छुट्टी दी ही जानी चाहिए थी !

जो एनएच 74 के घोटाले में निलंबित होने के बावजूद शासन-सत्ता की आँख के तारे बने बैठे हैं, ऐसी छोटी-मोटी जांच से उनका भला क्या बिगाड़ने वाला है ?

क्या उम्मीद की जाए कि सूबे के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी नौकरशाही को अपने सख्त संदेश का अपना जमीनी एक्शन डॉ निधि उनियाल बनाम स्वास्थ्य सचिव पंकज कुमार पांडेय प्रकरण में दिखाएँगे?

बाकी तो आप यहाँ पढ़िए हूबहू सरकारी प्रेस रिलीज जिसमें झलक रहा CM धामी का ‘नायक’ अवतार

  • प्रदेश के विकास व जनहित के लिए न चैन से सोऊँगा और न अधिकारियों को चैन से सोने दूंगा: पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री
  • निर्माण कार्यों की गुणवत्ता में लापरवाही पर संबंधित अधिकारियों एवं एजेंसियों पर सख्त कारवाई की जायेगी
  • कार्य प्रगति की प्रत्येक 15 दिन में मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करें विभाग
  • जनहित में कार्य संस्कृति और कार्य व्यवहार में सुधार लायें अधिकारी
  • प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना की बैठक में अधूरी तैयारी पर मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिये कि एक सप्ताह बाद पूरी तैयारी से बैठक में प्रतिभाग करें
  • मुख्यमंत्री ने सचिवालय में की लोक निर्माण एवं संबंधित विभागों की समीक्षा

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को सचिवालय में लोक निर्माण विभाग की समीक्षा के दौरान अधिकारियों को सख्त निर्देश दिये कि प्रदेश में सड़क एवं पुलों के निर्माण कार्य में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जायेगी। कार्यों का निर्धारित समयवधि में पूरा करने के साथ गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाए। कार्यों की गुणवत्ता में कोई शिकायत आई तो, संबंधित अधिकारियों एवं एजेंसियों पर सख्त कारवाई की जायेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि जनहित में अधिकारियों को कार्य संस्कृति एवं कार्य व्यवहार में सुधार लाना होगा। इसके लिए पूरा सिस्टम मजबूत किया जाय।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रदेश के सर्वांगीण विकास के लिए हम सबको मिलकर प्रयास करने हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के विकास को गति देने के लिए वे न तो स्वयं चैन की नींद सोयेंगे और न अधिकारियों को सोने देंगे।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि लोक निर्माण विभाग के जो कार्य अवशेष हैं, उन कार्यों की प्रगति रिपोर्ट प्रत्येक 15 दिन में मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव के समक्ष प्रस्तुत की जाय। विभाग टारगेट का ग्राफ बनाकर लक्ष्य पूरा करें। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि चारधाम यात्रा मार्गों पर लैण्ड स्लाईड जोन के लिए 07 दिन में एक्शन प्लान बनाकर मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव के समक्ष प्रस्तुत किया जाय। लैण्ड स्लाईड जोन में पर्याप्त उपकरणों की व्यवस्था के साथ ही रिस्पांस टाइम कम से कम किया जाय। संवेदनशील लैण्ड स्लाईड जोन पर लोंगटर्म ट्रीटमेंट कर स्थाई समाधान निकाला जाय।

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की समीक्षा के दौरान अधूरी तैयारी के साथ आने पर मुख्यमंत्री ने नारजगी व्यक्त की उन्होंने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की बैठक बीच में ही स्थगित कर अधिकारियों को सख्त निर्देश दिये कि एक सप्ताह बाद पूरी तैयारी के साथ आयें, और पिछले पांच सालों में जो कार्य हुए हैं और जो कार्य प्रगति पर है, उनकी स्पष्ट जानकारी उपलब्ध कराई जाय।

बैठक में जानकारी दी गई कि चारधाम परियोजना के तहत 889 किमी लम्बाई के 53 कार्यों में से 691 किमी के 41 कार्य स्वीकृत हो चुके हैं। भारतमाला परियोजना के तहत सीमान्त क्षेत्रों के सामरिक दृष्टि से यातायात व्यवस्था को सुदृढ़ किये जाने के लिए 628 किमी के 05 सड़क मार्गों का चयन किया गया है।

बैठक में केबिनेट मंत्री गणेश जोशी, मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु, अपर मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन, प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, सचिव एस. ए. मुरूगेशन एवं संबधित अधिकारी उपस्थित थे।

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