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सीएम रहते त्रिवेंद्र और तीरथ ने ये जो ग़लतियां की रविवार को शपथग्रहण के बाद पुष्कर सिंह धामी हरगिज न दोहराएं

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देहरादून: खटीमा से दो बार के विधायक पुष्कर सिंह धामी रविवार को शाम 5 बजे उत्तराखंड के 11वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे। धामी प्रदेश के सबसे युवा मुख्यमंत्री होंगे और उनके राजनीतिक करिअर के लिए शनिवार का दिन टर्निंग पॉइंट साबित हुआ है। यहां से उनके लिए राजनीतिक ऊँचाइयों की तरफ आगे बढ़ने का लम्बा रास्ता भी है और अगर अपने पूर्ववर्तियों की तरफ करिश्मा नहीं कर पाए तो 2022 में राजनीतिक करिअर को ग्रहण लगने का खतरा भी। सबसे पहले तो मुख्यमंत्री बनते ही पुष्कर सिंह धामी को अपने पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत और त्रिवेंद्र सिंह रावत से हुई ग़लतियों से सबक लेकर उनके दोहराव से बचना होगा।

तीरथ सिंह रावत सरल और सहज थे लेकिन उनका सीएम को रूप मे कार्यकाल विवादित बयानों से शुरू हुआ और फटी जिंस पर बयान ने उनके फटेहाल सोच का मुज़ाहिरा कर दिया देश-दुनिया और बीजेपी नेतृत्व के सामने। उसके बाद भी उन्होंने सबक न लेकर अमेरिका से दो सौ साल ग़ुलामी, 20 बच्चे पैदा करने से लेकर प्रधानमंत्री मोदी को राम और कृष्ण का अवतार बताने जैसे बयानों से खूब निगेटिव पब्लिसिटी बंटोरी और आलाकमान को अहसास कराते रहे कि उनके फैसले में खोट रहा। नए मुख्यमंत्री के लिए विधायक दल नेता बने धामी का एक बयान ऑलरेडी मीडिया में वायरल हो रहा है, उम्मीद है ऐसे बयानों से शपथ के बाद बचा जाएगा।


वहीं, तीरथ सरकार चलाने को लेकर भी अलग छाप नहीं छोड़ पाए उलटे निज़ाम बदला लेकिन जमीन पर अंतर बहुत अधिक नहीं दिखा। फैसले लेकर दबाव में पलटने से लेकर देवस्थानम बोर्ड आदि पर वादा कर मुकरने जैसे हालात बना दिए गए। न जिलों में सीएम रहते त्रिवेंद्र रावत के सेट किए अफसरों की अदला-बदली की और न शासन में बैठे प्रभाव जमाए अफसरोें के पर क़तरे।


त्रिवेंद्र सिंह रावत पार्टी विधायकों, मंत्रियों और कार्यकर्ता से ज्यादा तवज्जो ‘अपने’ अफसरों को देते थे और तीरथ ने विधायकों-मंत्रियों को फ़्रीहैंड तो दिया लेकिन अफसरोें से कामकाज लेने को लेकर प्रभाव नहीं छोड़ पाए और उनके कार्यकाल के 115 दिनों में कुंभ से लेकर चारधाम यात्रा जैसे मसलों पर हाईकोर्ट से जमकर फटकार लगती रही।


एक और ग़लती पहले त्रिवेंद्र सिंह रावत ने की और उसी नक़्शेक़दम पर तीरथ सिंह रावत भी चले। वो बड़ी ग़लती थी कामकाज के लिहाज से बेहद अहम विभागों को अपने पास ही घेरकर रखना। त्रिवेंद्र रावत ने स्वास्थ्य मंत्री नहीं बनाया तो तीरथ ने भी वही किया। आबकारी, लोक निर्माण विभाग, खनन से लेकर अहम विभागों को मुख्यमंत्री रहते दोनों ने खुद के पास रखा लेकिन कामकाज की छाप नहीं छोड़ी।


जाहिर है बेहद कम समय के लिए मुख्यमंत्री का ज़िम्मा संभाल रहे पुष्कर सिंह धामी के सामने चुनौतियों का पहाड़ है और चुनाव बेहद करीब। ऐसे में सबसे युवा मुख्यमंत्री बन रहे धामी से उम्मीद करनी चाहिए कि वे पूर्ववर्तियों की ग़लतियों से बचेंगे और अपना असर छोड़ेंगे।जाहिर है ये उनकी खुद की राजनीति के लिए भी अहम है और उन्हें चुनावी चेहरा बना चुकी बीजेपी के लिए तो बेहद अहम है ही।

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