देहरादून(इंद्रेश मैखुरी): मंत्री जी आइडियाओं के धनी हैं। मूलतः वे देवपुरुष हैं, जिनको सरल शब्दों में बाबा कहा जाता है और अंग्रेजी में जिन्हें गॉडमैन कहते हैं। गॉड का आवरण ओढ़े बैठे उनके अंदर के मैन की हसरतों ने हिलोरें मारी और यह मैन, गॉड के तमगे के साथ ही सत्ता की कुर्सी थामने निकल पड़ा! उसी कुर्सी की तलाश में वह बहुत साल एक पार्टी में रहे और आजकल दूसरी पार्टी में मंत्री हैं।
हों भले ही वे देवपुरुष लेकिन मनुष्यों की दुनिया में रहते हैं, उन्हीं के लिए मंत्री पद संभालते हैं तो उनके भीतर का गॉड और मैन, उन नाचीज मनुष्यों की खातिर कुछ न कुछ करने को कुलबुलाता रहता है! इसलिए वे नित नए आइडियाज के साथ नमूदार होते रहते हैं। चूंकि मनुष्यों के लिए आइडिया लाते हैं तो कई बार आइडियाओं का स्तर, मनुष्यों की जो गत बना दी गयी है, उससे भी परले दर्जे का होता है!
कुछ दिन पहले वे फुट मसाज के उद्योग से रोजगार पैदा कर रहे थे, फिर कार्यकर्ताओं को छोटे-छोटे ठेके बांटने वाले थे और अब पर्यटन उद्योग के लिए वे नायाब आइडिया ले कर आए हैं।
वह कह रहे हैं कि सड़क काट कर जो मलबे के ढेर सड़क किनारे लगे हैं, उनको टूरिस्ट स्पॉट बनाएंगे ! कमाल का आइडिया। 889 किलोमीटर चार धाम सड़क को बेतरतीब काट कर चौड़ा करने की कोशिश की जा रही है। सैकड़ों मलबे के ढेर यानि मक डंपिंग साइट हैं तो उनसे सैकड़ों टूरिस्ट स्पॉट बनाने का आइडिया मंत्री जी ले आए हैं।
इस सड़क को लेकर उच्चतम न्यायालय ने जो हाई पावर कमेटी बनाई थी, उसने बाकी तमाम चीजों के अलावा मलबा निस्तारण के तौर तरीकों पर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि मलबा जहां डाला गया है, वे सुरक्षित स्थल नहीं हैं, कुछ जगह तो भूस्खलन की दृष्टि से संवेदनशील जगहों पर भी मलबा डाल दिया गया है। बेतरतीब मलबा डालने से कई प्राकृतिक जल धाराएं बाधित कर दी गयी हैं और कईयों के लिए खतरा पैदा हो गया है। कमेटी की रिपोर्ट यह भी कहती है कि ज्यादातर मलबा निस्तारण स्थलों पर स्थायीकरण और अन्य सुरक्षात्मक उपाय पर्याप्त नहीं हैं।
लेकिन मंत्री जी को इससे क्या ? उनके दिमाग में आइडिया आ गया, अब वह कर दिखाएंगे ! वैसे जिस तरह से पहाड़ खोदे जा रहे हैं और इस बरसात के मौसम में वे भरभराकर गिरते देखे गए और मटियामेट हो रहे हैं, उसे देखते हुए तो लगता है कि मंत्री जी के आइडिये के लिए मलबे के ढेरों में कोई कमी नहीं होने जा रही है ! पहाड़ के पहाड़ मलबे के ढेर में तब्दील हो रहे हैं ! मंत्री जी का आइडिया परवान चढ़ा तो चारों ओर मलबे के ढेर ही ढेर और चारों ओर पर्यटन ही पर्यटन !
वो अलग बात है कि पहाड़ के मलबे के ढेर में बदलते रहने से हम पहाड़ियों का अस्तित्व भी मलबा हो जाएगा !
पहले सुनते थे कि आपदा में लोग उत्तराखंड घूमने आ जाते हैं, उस पर तंज़ कर लोगों ने उसे नाम दिया- आपदा पर्यटन यानी डिजास्टर टूरिज़्म। अब मंत्री जी नया टूरिज़्म सुझा रहे हैं- मलबा पर्यटन यानी मक टूरिज़्म ! इस तरह ऊर्जा प्रदेश सहित जाने कौन-कौन से प्रदेश बनते-बनते अब हम मलबा पर्यटन का प्रदेश भी बनेंगे ! हमेशा की तरह मलबा होने वाले और पर्यटन करने वाले अलग-अलग होंगे, यह तय है।
साभार एफबी वॉल ( लेखक एक्टिविस्ट तथा सीपीआई (एमएल) के गढ़वाल सचिव हैं)
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